साध संगत जी बात उस समय की है जब भारत और पाकिस्तान अलग हुए थे और उस समय देश में काफी दंगे फसाद हुए थे जिसके कारण लोगों का बहुत नुकसान हुआ था, बहुत लोगों को ऐसे ही मार दिया गया था तो उस समय संगत को भी बहुत तकलीफ झेलनी पड़ी थी क्योंकि उस समय कुछ अभ्यासी सज्जन सेवा पर गए हुए थे और उन्हें अपने परिवार की चिंता थी कि कहीं उनके साथ कुछ गलत ना हो जाए तो ऐसे ही एक सत्संगी सिख पाकिस्तान का था
जो कि सेवा पर आया हुआ था और उसका भजन सिमरन भी बहुत था तो जब उसे यह पता चला कि देश विभाजन हो गया है बाहर दंगे फसाद हो गए हैं तो उसे अपने परिवार की चिंता होने लगी क्योंकि वह उनको पीछे अकेला छोड़ कर आया था तो उसे यही चिंता हो रही थी कि कहीं उनके साथ कुछ गलत ना हो जाए और साथ ही उसे सतगुरु पर पूरा विश्वास था कि सतगुरु मेरे और मेरे परिवार के साथ कभी भी कुछ गलत नहीं होने दे सकते, तो जब वह भजन सिमरन पर बैठा तो उसने सतगुरु के आगे यही फरियाद की कि हे सच्चे पातशाह ! मेरे परिवार की संभाल करना क्योंकि मेरे सिवाय उनका वहां पर कोई नहीं है तो साध संगत जी कहते हैं कि सतगुरु ने फौजी रूप में उस सत्संगी सिख के परिवार की संभाल की थी सतगुरु ने एक फौजी के रूप में जाकर उनकी मदद की थी और उस समय कुछ मुसलमान उनके घर के बाहर खड़े थे लेकिन वह उनका कुछ नहीं बिगाड़ सके तो जैसे ही उस सत्संगी को ये बात पता चली कि दंगे बहुत बढ़ गए हैं और मेरे परिवार वाले खतरे में है तो वह अपनी सेवा खत्म कर सतगुरु की किरपा से पाकिस्तान चला गया ताकि वहां जाकर वह अपने परिवार वालों की रक्षा कर सके उनकी संभाल कर सके तो जब वह वहां पर गया तो उसकी पत्नी ने उसे कहा कि हमें भी भारत चले जाना चाहिए तो उसने अपनी पत्नी से कहा कि अभी मुझे अंदर से कोई हुक्म नहीं हुआ है जब सतगुरु का हुक्म होगा तब हम अवश्य ही भारत चले जाएंगे तो जब वह भजन सिमरन पर बैठा तो सतगुरु ने उसे अंदर से हुक्म दिया कि यहां से चले जाओ और सतगुरु ने उसे यह भी कहा कि सुबह दो ट्रक आएंगे एक 5:00 बजे आएगा और एक 7:00 बजे लेकिन तुम 7:00 बजे वाले में जाना तो उसे अंदर से यह हुकुम हो गया था तो उसने अपनी पत्नी को कहा कि सतगुरु ने मुझे हुक्म दे दिया है तो अभी हमें यहां से जाना होगा तो उन्होंने अपना सामान इकट्ठा किया और जैसे ही वह अपने घर से निकले तो उनके घर से निकलने के बाद ही कुछ मुसलमानों ने उसके घर को आग लगा दी और वह भागते हुए किसी तरह उस ट्रक के स्थान पर जा पहुंचे जो 7:00 बजे पाकिस्तान से भारत आने वाला था तो उसकी पत्नी ने अपने पति से कहा कि आप 7:00 बजे वाले ट्रक में ही क्यों जाना चाहते हैं जबकि हमें तो पहले जाना चाहिए और अगर हम यहां पर और रुके तो पता नहीं क्या हो जाएगा, तो सभी लोग उस ट्रक में बैठ रहे थे जो 5:00 बजे जाने वाला था तो उसकी पत्नी ने कहा हमें भी उसी में बैठ जाना चाहिए तो उस सत्संगी सिख ने कहा कि नहीं मेरे सतगुरु ने मुझे 7:00 बजे वाले ट्रक में जाने का आदेश दिया है तो मैं उसी में जाऊंगा और हमें उसी में जाना चाहिए तो इसी बात को लेकर उसकी अपनी पत्नी से थोड़ी लड़ाई भी वहां पर हो गई क्योंकि वह अपने पति को जो ट्रक पहले जाने वाला था उसमें जाने के लिए बोल रही थी लेकिन उसने ऐसा नहीं किया और वह 7:00 बजे वाले ट्रक में ही गए तो जब वह भारत पहुंचे तो वहां आकर उन्हें पता चला कि जो ट्रक हमसे पहले रवाना हुआ था उन सभी लोगों को मार दिया गया है उन पर बहुत अत्याचार किया गया है तो जब यह बात उनको पता चली तो वह सतगुरु को याद कर बहुत रोए, की सतगुरु ने कैसे हमारी संभाल की है सतगुरु कैसे अपने भक्तों की संभाल करते हैं कैसे वह हमारा मार्गदर्शन करते हैं क्योंकि साध संगत जी अगर वह भी उसी ट्रक में बैठ गए होते तो शायद उनके साथ भी वही होना था जो बाकी लोगों के साथ हुआ लेकिन सतगुरु ने अपने शिष्य को अंदरूनी मार्गदर्शन से उसे 7:00 बजे वाले ट्रक में जाने का आदेश दिया, साध संगत जी इसीलिए तो अक्सर सतगुरु फरमाते है की अगर मुझसे बात करना चाहते हो तो अंदर मिलो मैं वहां पर हर समय हाजर हूं और पल पल आपका मार्गदर्शन करता हूं जो अंदर मेरे साथ जुड़े हुए है, तो साध संगत संगत जी इस साखी से हमें भी यही संदेश मिलता है कि जब हम अपने सतगुरु के हुक्म को मानकर भजन बंदगी करते है तो सतगुरु हमें अंदर से मार्गदर्शन देते है सतगुरु हमें पहले ही वह सब बता देता है जो होने वाला होता है जो सत्संगी रोजाना मालिक की भजन बंदगी करते हैं सतगुरु के हुक्म को मानकर भजन सिमरन करते हैं सतगुरु उन्हें उनका भला बुरा पहले ही बता देते हैं उनका मार्गदर्शन सद्गुरु अंदर से करते रहते हैं तो साध संगत जी ऐसे सतगुरु अपनी संगत की संभाल करते हैं उनका मार्गदर्शन करते हैं तो अगर हम भी अपने सतगुरु का मार्गदर्शन चाहते हैं ताकि हमारे साथ भी अगर जीवन में कुछ गलत ना हो तो हमें भी रोजाना भजन सिमरन को समय देना है अंदर सतगुरु से रिश्ता बनाना है ताकि हम हर समय अपने सतगुरु के साथ अंदर जुड़े रहे और सतगुरु पल-पल हमारा मार्गदर्शन करते रहे और जिस अभ्यासी का जीवन ऐसा हो जाता है तो फिर उसे इस दुनिया में किसी और चीज की कामना नहीं रह जाती क्योंकि वह अपने अंदर अपने मूल शब्द से जुड़ जाता है अपने मालिक से जुड़ जाता है तो उस पर चाहे सुख आए या फिर दुख आए तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ता और वह आनंदित रहता है उसके चेहरे पर हर समय मुस्कान रहती है इसलिए तो जो नाम की कमाई करते हैं वह हर समय खुश रहते हैं आनंदित रहते है ।
साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर करना, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके ।
By Sant Vachan
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