एक सच्ची आप बीती । एक सत्संगी लड़की की सच्ची कहानी । जिसने भी सुनी वह दंग रह गया । जरूर सुने

 

साध संगत जी ये एक एक सच्ची घटना है जो आपके दिल को विश्वास से भर देगी, क्योंकि कई बाहर रूहानियत के इस मार्ग पर हम भी डोल जाते हैं हमारा भी विश्वास मन के पीछे लग कर अपने गुरु के प्रति कम हो जाता है जो कि हमारे मन की चाल होती है और उस समय जो सत्संगी अभ्यासी मन की इस चाल को समझ लेता है तो वह मन से ऊपर उठ जाता है और सतगुरु की अपार कृपा उस पर सदा ही बनी रहती है और जो मन के पीछे लग कर डोल जाते हैं वह रूहानियत के मार्ग से भटक जाते हैं मालिक उन्हें कई इशारों से समझाने की कोशिश करता है लेकिन वह मन के जाल में ऐसे फस जाते हैं कि निकलना मुश्किल हो जाता है और मालिक के उन इशारों को वह नहीं समझ पाते जो मालिक उन्हें समझाना चाहता है लेकिन जिसे अपने गुरु पर पूर्ण विश्वास होता है जिसने अपना तन, मन, धन सब कुछ सतगुरु के चरणों पर अर्पण कर दिया होता है और जो सच्ची लगन से सतगुरु से जुड़ा होता है मालिक से जुड़ा होता है उसके साथ ऐसा नहीं होता तो ऐसी ही एक सच्ची घटना एक लड़की की है जो कि आपसे सांझा करने जा रहा हूं ।

साध संगत जी एक लड़की थी जिसका "श्री गुरु नानक साहिब जी पर अटुट विश्वास था वह सुबह तीन बजे उठ जाती थी और स्नान कर रोज़ाना नितनेम पाठ करती, रोज गुरुद्वारा साहब जाती श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश भी  करती, सहज पाठ भी करती और साध संगत जी जब वह छोटी थी उसके माता पिता बताते हैं कि इसको शुरू से ही गुरबाणी पढ़ने का शौक था इसकी शुरू से ही इस तरफ लगन थी तो स्कूल में भी जो इसके टीचर थे वह भी यह जानकर हैरान थे कि इतनी छोटी सी बच्ची को इतनी गुरबाणी आती है तो सभी का उससे बहुत प्यार था और सभी उससे बहुत प्यार करते थे और एक बार स्कूल में गुरद्वारा साहिब से कुछ पाठी आए हुए थे और स्कूल में यह प्रोग्राम आयोजित किया गया था कि जो बच्चा सबसे ज्यादा पाठ सुनाएगा उसको इनाम दिया जाएगा तब इस लड़की ने उन को सबसे ज्यादा पाठ सुनाएं और जो सुनने वाले पाठी थे वह भी यह देखकर हैरान रह गए कि छोटी सी बच्ची है लेकिन इसने कितनी गुरबाणी कंठ की हुई है साध संगत जी उसको बहुत सारी गुरबाणी कंठ थी तो जैसे जैसे वह बड़ी होती गई उसकी लगन रुहानियत की तरफ और बढ़ती गई, घर में काम करते समय भी गुरबाणी की कोई ना कोई तुक हमेशा उसके मुंह मेे होती और वो सिर पर हमेशा चुन्नी लगा कर रखती, फिर उसकी शादी हो गई, ससुराल घर जा कर भी उसने अपना नितनेम नहीं छोड़ा, रोज गुरुद्वारा साहिब जाना, सेवा करनी, प्रकाश करना, लेकिन उसके ससुराल वालों को यह बिल्कुल भी पसंद नहीं था क्योंकि उसके ससुराल वाले किसी और बाबा को मानते थे, उनको बहू का इस तरह गुरु घर जाना बिल्कुल पसन्द नही था, वो सब उसको जो उनके बाबा थे जिन को वह मानते थे वह अपनी बहू को भी उन्हें मानने के लिए कहते लेकिन उस लड़की ने साफ मना कर दिया और कहा मेरे श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी पुरन समरथ है और वही मेरे गुरु है तो मुझे किसी और के सामने सिर झुकाने की जरुरत नहीं तो साध संगत जी यह होता है गुरु पर अटूट विश्वास यह होती है गुरु के प्रति सच्ची लगन और जिस की ऐसी लगन सतगुरु के प्रति होती है तो इस दुनिया की कोई भी ताकत उसे छू भी नहीं सकती और उसका बाल भी बांका नहीं कर सकती तो साध संगत जी उसके ससुराल वाले चाहते थे कि जिस तरफ हम लगे हैं ये भी हमारे साथ उस तरफ लग जाए जिस बाबा को हम माथा टेकने जाते हैं जिनकी पूजा हम करते हैं यह भी उनकी पूजा करने लग जाए तो उन्होंने बहुत कोशिश की लेकिन उनकी हर कोशिश नाकामयाब हुई और उसके ससुराल वाले कोई ना कोई बहाना ढूँढने की कोशिश करते ताकि किसी तरह इसको नीचा दिखाया जाए तो उनके सभी प्रयास करने पर वह नहीं मानी तो एक दिन उसके ससुराल वालों ने कहा कि अगर तेरे गुरु ग्रंथ साहिब पुरन समरथ हैं तो इस महीने की 31 तारीख तक वो आप चल कर के हमारे घर आएं अगर वो आ गए तो तुझे कभी भी गुरू घर जाने से नहीं रोकेगे और अगर नहीं आए तो तुम कभी भी गुरु घर नहीं जाएगी़ तो ये सुनने के बाद उसे थोड़ा दुख तो जरूर हुआ ! लेकिन उस लड़की को पुर्ण रुप से विश्वास था उसने कहा मुझे मंजुर है, तो उसने रोज सुबह गुरुद्वारा साहब जाना अरदास करनी और कभी कभी रो भी पड़ना और एक ही बात कहनी कि सच्चे पातशाह जी मुझे आप पर पूरा विश्वास है तो ऐसे ही दिन निकलते गए, आखिर 30 तारीख आ गयी उस रात लड़की बहुत रोई की अगर सुबह गुरु जी घर ना आए तो मेरा विश्वास टूट जाएगा, तो उस रात 3 बजे के बाद बहुत बरसात हुई उस सुबह लड़की गुरुद्वारा साहब नही जा सकी जब सुबह हुई तो उसी गाँव के गुरुद्वारा साहब के ग्रंथी साहब ने देखा कि गुरुद्वारा साहब कि कच्ची छत से पानी लीक हो रहा है उन्होंने सोचा कि कहीं कुछ गलत ना हो जाए तो गाँव के कुछ समझदार लोगों को बुला के हालात बताए तो सब ने यह सलाह की कि जब तक बरसात नहीं रुकती और छत ठीक नहीं होती तब तक गुरु साहिब जी का पावन सरुप का किसी के घर में प्रकाश कर देना चाहिए ताकि बेअदबी ना हो, तब ग्रंथी जी ने कहा रोज यहाँ एक लड़की आती है जो कभी कभी प्रकाश भी करती है और सेवा भी बहुत करती है, हम लोग गुरु साहिब जी का सरुप उसके घर ले जाते हैं तो सब लोग इस बात पर सहमत हो गए तो एक बुजुर्ग कहने लगा कि एक बंदा उसके घर भेज कर इजाजत ले लो लेकिन ग्रंथी साहब ने कहा इजाज़त क्या लेनी ! वो मना थोड़ा करेगी, तब ग्रंथी साहब और गाँव के कुछ लोग गुरु साहिब जी के पावन सरुप को बेहद आदर सत्कार से लेकर उस लड़की के घर की तरफ चल पड़े, लड़की के ससुराल वाले सब इस बात पर खुश हो रहे थे कि आज 31 तारीख़ है अगर गुरु ना आए तो कल से इसका गुरुद्वारे जाना बंद, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई जब ससुर ने दरवाजा खोला तो सामने "श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी" और ये देखकर वो तो दंग रह गया, ग्रंथी जी ने कहा जल्दी से कोई भी एक कमरा खाली करके उसकी अच्छी तरह से साफ सफाई करो गुरु साहिब जी का प्रकाश करना है, उस लड़की ने बहुत चाव से कमरा साफ किया और "श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी" का प्रकाश वहां पर किया तो उसकी श्रद्धा विश्वास देख सारे परिवार ने उस लड़की से माफी मांगी क्योंकि लड़की का विश्वास रंग लाया, साध संगत जी बात सारी विश्वास की है, भगत धन्ना ने भी विश्वास के साथ पत्थर में से परमात्मा को पा लिया था, सतगुरु पूर्ण रूप से समरथ होते है और कमी हमारे अंदर ही होती है सतगुरु की तरफ से कोई कमी नहीं होती इसलिए अक्सर सत्संग में भी बानी का हवाला देकर हमें समझाया जाता है क्योंकि यह हमारे संत महात्माओं की जिंदगी का निचोड़ है उनकी जिंदगी के अनुभव है जो भी उनके साथ हुआ है वहीं उन्होंने संगत से सांझा किया है ताकि हम भी उससे कुछ सीख सकें ताकि हम भी रूहानियत के इस मार्ग पर आगे बढ़ सके और हमारा भी इस संसार में पार उतारा हो सके लेकिन हम सतगुरु का कोई भी हुक्म अपनी बुद्धि को आगे रखकर मानते  हैं और गुरु के हुक्म को पीछे इसीलिए हम बाद में दुखी होते हैं, भक्ति सारी विश्वास पर खड़ी है इसलिए फरमाया जाता है कि गुरु पर विश्वास बनाओ, कुछ भी असंभव नहीं है बस कभी भी शक ना करो कि मेरा गुरु यह कर सकता है या नहीं ! हमें नीयत साफ रखकर चलना है, हमारे अंदर ये विश्वास होना चाहिए कि हाँ !, मेरे गुरु सब कुछ कर सकते हैं हमें विश्वास मतलब के लिए नहीं रखना, हमारे दिल में प्रेम होना चाहिए, गुरु के प्रति सच्ची लगन होनी चाहिए तब जाकर कहीं बात बनती है तब जाकर उस कुल मालिक से मिलाप होता है क्योंकि मालिक से मिलाप करने से पहले हमें गुरु को राजी करना पड़ता है गुरु को खुश करना पड़ता है और गुरु हमारी भजन बंदगी से ही खुश होता है जब हम रोजाना नितनेम से उसके बताए हुए तरीके से चलते हैं रोजाना भजन बंदगी करते हैं तब जाकर कहीं बात बनती है और उस मालिक का दीदार होता है अंदर से उसके दर्शन होते हैं तो साध संगत अगर ये घटना सुन कर आपके दिल में सतगुरु के लिए ज़रा सा भी विश्वास है तो प्रतिदिन भजन बंदगी को समय दे ताकि सतगुरु की अपार किरपा हम पर बरसती रहे ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर करना, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके । 

By Sant Vachan


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