Guru Nanak Saakhi : जो लोग नाम सिमरन नहीं करते उनका यमदूत करते है ये हाल ! जरूर सुने

 

साध संगत जी आज की साखी सतगुरु नानक देव जी के समय की है जब सतगुरु भाई मरदाना जी और भाई बालाजी के साथ चलते चलते भूटान पहुंच गए और सतगुरु वहां के राजा के नगर के पास जा पहुंचे, सतगुरु जिनके दर्शन करने से सब दुख और कष्ट कट जाते हैं एक वृक्ष देखकर उसकी छाया के नीचे मालिक की याद में बैठ गए और वहां का राजा बहुत ही कामी पुरुष था वह सदा ही पराई स्त्रियों के साथ रहता था और उनके साथ भोग विलास करता था और उस नगर में जिस किसी की भी शादी होती थी तो जिस स्त्री की शादी होती थी ।

वह अपने पति के घर नहीं जाती थी बलिक उसे राजा के साथ रहना पड़ता था और राजा उस स्त्री के साथ भोग करता था और उसके बाद वह अपने पति के घर जाती थी और सभी को राजा का ये हुक्म मानना पड़ता था क्योंकि सभी नगरवासी राजा से डरते थे तो उस राजा को श्रेष्ठ ज्ञान देने के लिए सतगुरु उसके नगर में गए थे और सतगुरु नगर के वृक्ष के नीचे बैठे हुए थे तो जब नगर वासियों ने देखा कि कोई संत महापुरुष आए हैं तो वह गुरुजी के पास जाकर नतमस्तक हुए और सतगुरु ने उन्हें उत्तम उपदेश दिया और सतगुरु ने कहा की सदा ही जगत के ईश्वर का नाम जपो, तो सतगुरु के अनमोल वचन सुनकर नगरवासी धन्य हुए और वह सभी नगवासी सतगुरु के लिए अपने घर से खाने पीने का सामान और गुरुजी के लिए वस्त्र लेकर आए लेकिन सतगुरु ने उन्हें लेने से मना कर दिया और कहा कि वह कुछ नहीं लेंगे और सतगुरु ने जोर डालकर सभी वस्तुएं उन्हें वापस लेकर जाने के लिए कहा तो सतगुरु वहां पर कुछ देर रहे और पूरे के पूरे नगर में सतगुरु की प्रशंसा होने लगी उनकी कीर्ति उस नगर में फैल गई थी, साध संगत जी महापुरख पूर्ण संत है वह ईश्वर के बिना और किसी को नहीं जानते उनमें काम क्रोध और लोभ राईभर भी नहीं होता वह बेपरवाह होते हैं और कुल मालिक से जुड़े होते है उनके वचन सुखदाई होते है तो उस नगर वासियों ने राजा के पास जाकर गुरुजी की प्रशंसा की और राजा को कहा कि आप भी चलकर उनके दर्शन करें क्योंकि उनके दर्शन करने से पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं तो नगर वासियों के समझाने पर राजा सतगुरु जी के पास आया और वह भी सद्गुरु के लिए वस्त्र भोजन लेकर आया और उसने सतगुरु को भेंट किया और आते ही सतगुरु के चरणों की वंदना की और सतगुरु से विनती की यह जो उपहार मैं आपके लिए लेकर आया हूं इसे स्वीकार करें और अपनी इच्छा अनुसार अच्छा भोजन करें और शरीर के ऊपर सुंदर कपड़े पहने, आप संत रूप गुणों की खान हो तो यह सुनकर गुरु जी ने वचन किए की यह वस्तुएं हमारे किसी काम की नहीं इनको गरीबों में बांट दो हम ईश्वर की दी हुई सभी चीजों से तृप्त है और हमारे दिल में किसी चीज की भी चाह नहीं है तो दिल में श्रद्धा धारण कर राजा ने हाथ जोड़े और प्रजा के नाथ ने कहा कि आप संत हो और आपको किसी चीज की परवाह नहीं है लेकिन मेरा इस तरह भला नहीं होगा, संत सदा ही पूर्ण उपकारी होते हैं तो आप मेरी भेंट स्वीकार करें और मेरे ऊपर उपकार करें मैं आप जी की शरण में आया हूं मैंने आप जी की बहुत बातें सुनी है तो कृपा धारण कर सतगुरु ने फरमाया कि अगर अपना भला करना चाहता है तो तू जो पाप कमा रहा है उसे छोड़ दे तू सदा ही पराई स्त्री के साथ दुष्कर्म करता है अगर तू हमारे वचन मानकर यह काम करने छोड़ दे तो तेरा सदा ही भला होगा अगर तेरे राज में किसी चीज की कमी है तो वाहेगुरु को कहकर वह भी तुझे दिला देंगे यह सुनकर राजा ने श्रद्धा के साथ गुरु जी से कहा मेरा चंचल मन विषय और विकारों में लिपटा रहता है और मेरा यह स्त्री रस कभी भी तृप्त नहीं हुआ, इस की लालसा दिन प्रतिदिन बढ़ती जाती है जैसे कि अग्नि में लकडी डालने से अग्नि और बढ़ती जाती है तो हे गुरुजी आप अपना विशाल उपदेश मुझे दे, हे कृपालु गुरुजी मेरे मन की मत को बदले, मेरे मन को इस तरफ जाने से मोडें तो राजा के ये वचन सुनकर सतगुरु ने वचन किए कि हे राजन इस्त्री में कौन सी ऐसी बात है जिसको देखकर इतनी प्रीत बढ़ा रखी है जिन आंखों को देख कर तू कहता है कि यह कमल फूल जैसी है उनके अंदर गिद्द देखकर नफरत भी तो होती है और अगर हम इस पूरे शरीर को देखें तो इसके अंदर हड्डी मास के अलावा और कुछ नहीं है और मुखड़े को चंद्रमा जैसा कहते हो यह चर्बी और लहू के ऊपर लपेटा हुआ चम है गोरा रंग देखकर सुंदर कहते हो इसके अंदर इन वस्तुओं के अलावा और कुछ नहीं है और अगर कहते हो कि यह दांत कलियों जैसे हैं तो इन्हे मांस के बिना  हड्डियां जानो जब यह मुंह से निकल जाते हैं या फिर टूट जाते हैं तब इनको कोई हाथ भी लगाना नहीं चाहता इसी प्रकार ही यह पूरी देह हद्द मास और लहू की बनी हुई है यह मानव शरीर हद्द मास लहू और मल मूत्र से भरा हुआ है तो तुम किस चीज को देखकर इस तरफ लुभाएंमान होते हो हे राजन ! इस पूरे शरीर को देखो और विचार करो और सतगुरु ने कहा कि जो पराई स्त्री से भोग करते हैं वह नरकों में जाते हैं और यमराज के दूत उसे बहुत दुख देते हैं लोहे की सीखों को तपाते हैं और पापी को उसके साथ लगाते हैं कामी व्यक्ति जो छिन भर का सुख पाता है वह बहुत देर तक नार्कों में दुख भोगता है जब राजा ने अपने कानों से सद्गुरु के यह वचन सुने तो उसने अपने चित में यह विचार किया और अपने पापों का अपने ऊपर बहुत बड़ा बोझ समझा और यह सुनकर वह सतगुरु के चरणों में जाकर गिर पड़ा और उसने सतगुरु से कहा कि मैंने अनजान होकर यह पाप किए हैं और अब जाकर मुझे इस बात की समझ आई है तो कृपा कर मुझे आप बख्श दें और आगे से मैं ऐसे पाप नहीं करूंगा तो सतगुरु राजा के यह वचन सुनकर बहुत प्रसन्न हुए और सतगुरु ने राजा से वचन किए कि हे राजन अब से जीवन में यह पाप मत करना पीछे जो पाप तुमने किए हैं वह बख्श दिए गए हैं और अब से चित लगाकर सतनाम का जाप करो और इस नगर में एक धर्मशाला बनवाओ और वहां पर सत्संग करो और गुणों की खान हरि की महिमा वहां पर करो तो सतगुरु नानक के यह वचन सुनकर उस राजा को समझ आई और उसने सतगुरु का हुक्म माना और सभी पाप छोड़ दिए और सतगुरु के हुक्म पर चलकर उसने जीवन व्यतीत करना शुरू कर दिया तो सतगुरु वहां पर कुछ देर रुके तो उस राजा ने सतगुरु से एक फरियाद और की हे महाराज ! मेरे इस देश में चावल और पशम ही होती है और कोई अनाज पैदा नहीं होता इसलिए आप अपनी कृपा हमारे ऊपर करें ताकि यहां पर सभी तरह का अन्न पैदा हो तो सतगुरु ने यह सुनकर वचन किए कि यहां पर सभी तरह का अन्न पैदा होगा और यह कहकर सतगुरु ने आगे चलने की तैयारी की और जब वहां के नगर वासियों को इस बात की खबर हुई कि सतगुरु आगे जाने की तैयारी कर रहे हैं तो सभी लोग सतगुरु के पास आकर इकट्ठे हो गए और सद्गुरु के आगे फरियाद की कि आप यहां से ना जाए आप यहां हमारे पास ही रहे क्योंकि आपके आने से हमारा यह देश पवित्र हो गया है और आप की अपार कृपा हम पर हुई है तो आप हमें छोड़कर ना जाए तो उन्होंने सतगुरु को वहां पर रोक लिया उस दिन सतगुरु को उन्होंने नहीं जाने दिया लेकिन अगले ही दिन सतगुरु वहां से अलोप हो गए और यह देखकर वहां के नगरवासी बहुत पछताए की सतगुरु के दर्शन कर मन तृप्त नहीं हुआ था हमने उनकी अच्छी तरह से सेवा नहीं की और अब वह चले गए हैं तो गुरुजी वहां से चले गए तो नगर वासियों ने सतगुरु के उपदेश पर चलना शुरू कर दिया और सतनाम का जाप करना शुरू कर दिया और इसी तरह सतगुरु नानक ने इस संसार को करतार से जोड़ा और सतनाम की कमाई करने के लिए कहा उसके नाम का जाप करने का उपदेश इस संसार को दिया ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर करना, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके । 

By Sant Vachan


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