एक सच्ची साखी । भजन सिमरन करने वाले सत्संगी की दुआ और बदुआ कैसे काम करती है । जरूर सुने

 

साध संगत जी आज की साखी है कि जो नाम की कमाई करते हैं भजन सिमरन करते हैं उनकी दुआ और बदुआ कैसे काम करती है वह आज हमें इस साखी के माध्यम से पता चलेगा जो कि एक माता जी की है जिनका एक बेटा है साध संगत जी आज की इस साखी से हमें यह भी पता चलेगा कि अगर हम भी नाम की कमाई करते हैं भजन बंदगी को पूरा समय देते हैं तो हमें इस समाज में कैसे रहना है कैसे संतुलन बनाए रखना है जोकि आज से बहुत वर्ष पहले सतगुरु ने हमें बताया है तो सतगुरु की कही गई बातें भी आज इस साखी के माध्यम से सांझा की जाएंगी तो साखी को पूरा सुनने की कृपालता करें जी ।

साध संगत जी, यह एक सच्ची साखी है और उस समय की है जब सदगुरु महाराज हुआ करते थे साध संगत जी उस समय एक सत्संगी परिवार होता था जो अक्सर सतगुरु के दर्शन करने उनके पास जाया करते थे और उस परिवार में उनका एक लड़का था जोकि इन सब बातों को नहीं मानता था, रूहानियत को नहीं मानता था लेकिन जो उसके माता-पिता थे उनको नाम की बख्शीश हुई थी और वह जब भी सत्संग सुनने जाया करते थे या फिर सेवा करने जाया करते थे तो अक्सर अपने बेटे को भी कहा करते थे कि हमारे साथ चलाकर, लेकिन वह नहीं जाता था क्योंकि उसे यह सब अच्छा नहीं लगता था उस लड़के की मां ने उसे बहुत जोर डाला कि बेटा महीने में एक बार ही सत्संग पर आ जाया कर, सिर्फ एक बार ही गुरु घर चला जाया कर वहां जाकर सेवा कर आया कर लेकिन वह अपनी मां की बात को नहीं मानता था और हर बार ही अपनी मां की बात को इग्नोर कर देता था लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया लड़का बड़ा हो गया था तो वह गलत साथ संगत में पड़ गया और यह बात उसकी मां को भी पता थी कि मेरा बेटा गलत संगत में पड़ गया है और उसकी मां ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की और उसे डांटा भी कि तेरी संगत सही नहीं है उसे छोड़ दें लेकिन वह नहीं माना, साध संगत जी उसकी मां कमाई वाली थी रोजाना भजन सिमरन को समय दिया करती थी तो जब वह अपनी मां की यह बात नहीं मानता था तो उसकी मां को बहुत दुख लगता था कि मेरी औलाद मेरा कहा नहीं मानती, तो जब वह गलत संगत में पड़ गया तो वह नशे भी करने लग गया और ऐसे ही धीरे-धीरे बात बढ़ती गई वह ऐसे नशे करने लग गया था जोकि उसके लिए अच्छे नहीं थे लेकिन उसके साथी उसे यह सब करने के लिए बढ़ावा देते थे तो वह उनकी बातों में आकर वह सब करने लग गया और जब वह ऐसा कर कर घर आता था तो उसकी मां को बहुत दुख होता था, तो धीरे-धीरे उसकी हालत खराब होने लगी और उसकी हालत इतनी खराब हो गई कि उसे हॉस्पिटल में दाखिल करवाना पड़ा और वहां पर भी डॉक्टरों ने उसको यही कहा कि आज से तुम्हें नशे करने बंद करने पड़ेंगे क्योंकि यह तुम्हारे लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है और अगर तुम नहीं माने तो तुम्हारी जान भी जा सकती है और डॉक्टरों ने उसे यही कहा कि अगर तुमने नशा करना बंद नहीं किया तो हमारी जो दी हुई दवाइयां है वह भी काम नहीं करेंगी और तुम्हारी जान भी जा सकती अब तुम्हारी जिंदगी तुम्हारे हाथ में है साध संगत जी जैसे कि हम सभी जानते हैं कि जिन्हें नशा करने की आदत हो जाती है वह नशे के बिना कहां रहते हैं उनसे एक पल भी नशे के बिना रहा नहीं जाता वह नशा ना मिलने पर कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते हैं किसी को मारने काटने के लिए भी तैयार हो जाते हैं तो ऐसी उनकी हालत हो जाती है तो इस लड़के के साथ भी ऐसा ही हुआ जब हॉस्पिटल में रात का समय होता था तो वह चीखता था चिलाता था कि मुझे नशा चाहिए मुझे और कुछ नहीं चाहिए मुझे बस नशा करना है लेकिन डॉक्टरों ने उसे यह सब करने के लिए मना किया था लेकिन फिर भी उसने उनकी बात नहीं मानी और चोरी से यह सब करता रहा और धीरे-धीरे उसकी हालत और खराब हो गई और अब डॉक्टरों ने उसकी मां को जवाब दे दिया था कि अब तो हम भी कुछ नहीं कर सकते हमने तो कितनी बार बोला है कि आपको इन चीजों से दूर रहना है लेकिन हमें लगता है कि आपके बेटे को अपनी जान प्यारी नहीं है साध संगत जी ये बात सुनकर लड़के की मां को चिंता होने लगी क्योंकि डॉक्टरों ने उसे जवाब दे दिया था तो उसकी मां को चिंता हो रही थी कि मेरा एक ही तो बेटा है और अगर इसे भी कुछ हो गया तो मेरा क्या होगा, साध संगत जी मां तो मां ही होती है मां की ममता की सीमा को आज तक कोई भी जान नहीं पाया है हमारे माता-पिता अपने बच्चों के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते हैं और अपने जीवन भर की पूंजी अपने बच्चों पर लगा देते हैं, तो उस लड़के की मां ने भी ऐसा ही किया हॉस्पिटल में बैठी लड़के की मां ने आंखें बंद की और लड़के के सर पर हाथ रखकर मालिक से यह वचन किए की हे ! मालिक आज तक मैंने जितना भी भजन सिमरन किया है जितनी भी सेवा की है उसके फल स्वरुप मुझे मेरा बच्चा चाहिए, हे ! मालिक इसे ठीक कर दे तो ये वचन लड़के की मां ने वहां पर किए और उसकी मां का रोना नहीं रुक रहा था क्योंकि उस समय कुछ भी हो सकता था लड़के की जान भी जा सकती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ सतगुरु ने उस माता की पुकार सुनी और जहां पर डॉक्टर बोल रहे थे की अब इनको रिकवर करना मुश्किल होगा अब हमारे बस की बात नहीं रही और डॉक्टरों ने भी जब उन्हें जवाब दे दिया तो उसके बाद उस लड़के की मां की दुआ के कारण ही उसकी जान बच गई और धीरे-धीरे ठीक भी होने लगा था और 2 से 3 दिनों में वह बिल्कुल ठीक हो गया था और इसी बात को देखकर वहां के जो डॉक्टर थे वह भी हैरान थे की जैसी इनकी हालत बनी हुई थी बिल्कुल भी नहीं लगता था कि यह बच पाएंगे लेकिन फिर भी यह चमत्कार हुआ है तो यह सब देख कर वहां के जो डॉक्टर थे सभी हैरान हो गए थे कि यह कैसे हो गया क्योंकि हमें तो लग रहा था कि अब इनके कुछ ही दिन और हैं लेकिन यह तो बहुत जल्दी ठीक हो गए साध संगत जी उन डॉक्टरों को क्या पता था कि उस लड़के की मां की वह दुआ ही उसको बचा गई है, तो साध संगत जो कमाई वाले जीव हैं जो नाम की कमाई करते हैं उनके मुख्य से अगर कोई भी वाक्य निकलता है जो कि वेग में कहा गया हो जिसे उन्होंने पूरे होश में कहा हो वह पूरा होता ही होता है इसलिए तो अक्सर सत्संग में भी फरमाया जाता है की नाम की कमाई करने वाले अभ्यासी को कोशिश करनी चाहिए कि उसे चुप ही रहना चाहिए, और इसलिए फरमाया जाता है कि अगर कोई नाम की कमाई वाला अभ्यासी अपने मुख्य से कोई वचन कर देता है तो हमें उसे मजाक में नहीं लेना चाहिए क्योंकि उनके कहे गए वचन आज नहीं तो कल पूरे होते ही है, इसीलिए लोग अक्सर संत महात्माओं से संभल कर ही बात करते हैं और काम की ही बात करते हैं क्योंकि उन्हें डर रहता है पता नहीं इनके मुख्य से क्या निकल जाना है साध संगत जी ऐसी ही एक साखी सतगुरु महाराज जी के समय की है जब सतगुरु को गुरु गद्दी पर बिठाया जाना था तो सतगुरु ने महाराज जी से कहा था कि आप तो मुझे यह सेवा दे रहे हो लेकिन जब मैं आपकी किरपा से एक गुरु बन जाऊंगा तब तो मेरे मुख्य से जो भी निकलेगा वह तो सत्य होने लग जाएगा अगर मैंने किसी को कुछ कह दिया तो वह भी सत्य हो जाएगा तो तब मैं क्या करूंगा तो उस समय महाराज जी ने सतगुरु को उनका जवाब दिया था और आप भी कुछ देर अंतर्ध्यान रहे थे और उसके बाद आपकी आंखें खुली और आप जी ने सतगुरु को कहा यह बात सत्य है कि आप के मुख्य से जो भी निकलेगा वह पूरा तो होगा ही लेकिन पूरा वही होगा जो वेग में बोला गया हो जिसको आपने अंदर से बोला हो केवल वही पूरा होगा तो साध संगत जी आज की साखी से हमें यही प्रेरणा मिलती है कि हमें कभी भी जो कमाई वाले सत्संगी है उनका मजाक नहीं बनाना चाहिए उनके साथ कभी भी ऐसा मजाक नहीं करना चाहिए जो उन्हें अच्छा ना लगे क्योंकि वह हर समय उस मालिक से जुड़े हुए होते हैं और अगर वह कुछ कह दे, कोई ऐसे शब्द कह दें जो हमारे लिए अच्छे नहीं होंगे तो उसका नतीजा भी हमें ही भुगतना पड़ेगा ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर करना, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके ।

By Sant Vachan

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