Ruhani Saakhi : जो सत्संगी लोग पंडितों के पास जाकर पूछताछ करते है उपाय करते है ये साखी जरूर सुने

 

साध संगत जी आज की ये साखी हमारा सतगुरु के ऊपर विश्वास दृढ़ कर देगी और आज की इस साखी में हमें यह भी पता चलेगा कि जब हम एक पूर्ण संत महात्मा से नाम ले लेते हैं हमें एक पूर्ण संत सतगुरु से नाम की बख्शीश हो जाती है तो उस दिन से लेकर सतगुरु कैसे हमारे अंग संग रहते हैं हमारे हर निजी मामले में वह कैसे सहाई होते हैं वह आज हमें इस साखी के माध्यम से पता चलेगा तो साखी को पूरा सुनने की कृपालता करें जी ।

साध संगत जी यह घटना पंजाब के लुधियाना शहर के एक सत्संगी परिवार की है जिन्हें सतगुरु से नाम की बख्शीश हो चुकी है और उस सत्संगी परिवार ने कभी भी सेवा का मौका अपने हाथ से नहीं जाने दिया वह गुरु घर की सेवा के लिए तत्पर रहते हैं हमेशा तैयार रहते हैं साध संगत जी उनकी सेवा इतनी है कि गुरु घर में संगत को उनके परिवार की मिसाल दी जाती है ताकि और संगत भी उनसे सीख सकें उनसे प्रेरणा ले सकें क्योंकि जब भी कोई सेवा आती है तो गुरु घर की तरफ से सबसे पहले उन्हें सूचित किया जाता है क्योंकि वह सेवा का कोई भी मौका अपने हाथ से नहीं जाने देते फिर चाहे वह तन की सेवा हो या फिर धन की सेवा हो तो साध संगत जी उनके पड़ोस मैं एक हिंदू परिवार रहता है और उस परिवार की महिला इस सत्संगी परिवार की बीवी की सहेली होती है तो जब उनके पड़ोस में से उस हिंदू परिवार की महिला का बेटा विदेश चला जाता है तो ये देख कर इनके मन में भी यह बात चलने लगती है कि क्यों ना हम भी अपने बेटे को विदेश में भेज दे, तो वह अपने बेटे को विदेश भेजने की तैयारी कर लेते हैं लेकिन ऐसा नहीं हो पाता क्योंकि जब वह अपने बेटे को विदेश भेजने के लिए उसका वीजा अप्लाई करते हैं तो उसका वीजा नहीं लगता और रद्द हो जाता है तो जब वह दूसरी बार वीजा अप्लाई करते हैं तो दूसरी बार भी उन्हें एंबेसी की तरफ से जवाब मिल जाता है तो उसके बाद वह फिर एक बार और प्रयास करते हैं लेकिन फिर उन्हें वही जवाब मिलता है तो इस चक्कर में उनके बहुत पैसे खराब हो जाते हैं तो जब यह बात उस हिंदू परिवार की महिला को पता चलती है कि वह भी अपने बेटे को विदेश भेजना चाहते हैं लेकिन उनका काम नहीं बन रहा और उनके बहुत पैसे खराब हो गए हैं तो वह उनके घर जाती है और अपनी सहेली को बताती है कि मैंने सुना है कि आप भी अपने बेटे का विदेश का काम बना रही है लेकिन उसका काम नहीं बन रहा, वीजा बार-बार रद्द हो जाता है और तुम्हारे बहुत पैसे खराब भी हो चुके है तो तुम मेरी सलाह मानो जहां से मैंने अपने बेटे का काम करवाया था वहां से एक बार अपने बेटे का काम करवा कर देखो तो वह भी अपनी सहेली की बात मान लेती है और जहां से उसके बेटे ने अप्लाई करवाया होता है वहां से एक बार और वीजा अप्लाई करती है लेकिन इस बार भी उन्हें वही जवाब मिल जाता है तो इस बात को लेकर वह सत्संगी बीबी भी बहुत परेशान हो जाती है कि अब तो बहुत पैसे खर्च हो गए हैं लेकिन फिर भी मेरे बेटे का विदेश का काम नहीं बन रहा और मैं हर पल सतगुरु के आगे अरदास करती हूं कि इसका बाहर का काम बन जाए लेकिन अभी तक सतगुरु ने मेरी फरियाद नहीं सुनी और वह बहुत ही निराश हो जाती है कि पता नहीं मेरे बेटे के साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है जबकि सब लोगों के बच्चे विदेश जा रहे हैं और मेरे ही बेटे का विदेश का काम नहीं बन रहा तो ऐसी ऐसी बातें उसके मन में चलने लगती है तो हिंदू परिवार की महिला उसको सलाह देती है कि तुम हमारे पंडित जी के पास चलो और अपने बेटे का टेवा भी अपने साथ लेकर चलो हम वहां जाकर उनसे बात करते हैं तो जब यह बात वह उस बीबी को कहती है तो वह उसके साथ जाने के लिए मना कर देती है और कहती है कि मुझे मेरे सतगुरु पर पूरा विश्वास है और कहती है कि सतगुरु के घर देर हो सकती है अंधेर नहीं हो सकता, लेकिन उस महिला के बार बार कहने पर वह उसे अपने साथ ले जाती है और उसके बेटे का टेवा भी अपने साथ ले जाती है तो जब वह दोनों उस पंडित के पास जाती है और अपनी सारी बात उनसे करती हैं तो सबसे पहले वह जो पंडित होता है वह उस लड़के का टेवा अपने हाथ में लेकर देखने लगता है और देखते ही उसकी मां को यह बात कहने लगता है कि आपके बेटे का बचाव केवल आपके ही कारण हो रहा है और आपके जो गुरु हैं उनकी दया मेहर का हाथ सदा ही आपके ऊपर है इसीलिए आपके परिवार पर कोई आंच नहीं आ सकती वह सदा ही आप के अंग संग है उनकी अपार कृपा आप पर बरस रही है और इस टेवे के अनुसार ज्यादा से ज्यादा यही संभावना बन रही है कि आपका बेटा गलत रास्ते पर चलने लगेगा नशे करने लगेगा और यह केवल ग्रहों की चाल की वजह से हो रहा है लेकिन जल्द ही आपके बेटे के ऊपर से यह प्रभाव खत्म हो जाएंगे तो साध संगत जी जब जे बात वह बीबी को पता चलती है तो वह वहां पर बैठी बैठी ही रोने लग जाती है क्योंकि उसे इस बात की समझ आ जाती है उस पता चल जाता है कि मेरे बेटे का विदेश का काम क्यों नहीं बन रहा था और वह सोचती है कि अगर मेरे बेटे का विदेश का काम बन जाता और वह विदेश चला जाता तो वहां जाकर वह गलत संगत में पड़ सकता था और कुछ भी हो सकता था लेकिन मेरे सतगुरु ने ऐसा नहीं होने दिया जब तक यहां पर इसका हिसाब किताब पूरा नहीं हो जाता तब तक मेरे गुरु ने इसको यहीं पर रोक रखा था ताकि इसे किसी तरह का नुकसान ना हो और इसे अपने साथ जोड़ रखा था अपनी संगत के साथ जोड़ रखा था ताकि ये गलत संगत में ना जाए और संगत की सेवा में लगा रहे क्योंकि अगर यह विदेश चला जाता तो पता नहीं इसे वहां पर कैसा माहौल मिलना था कैसे लोग मिलने थे शायद यह वहां जाकर नशे करने लग जाता तो अगर ऐसा हो जाता तो मेरी क्या हालत होनी थी तो इसीलिए मेरे सतगुरु ने यह काम रोक रखा था लेकिन हमें इस बात की खबर नहीं होती कि हमारा काम क्यों नहीं बन रहा है क्योंकि उसके ना बनने के पीछे भी कोई ना कोई राज जरूर होता है सतगुरु की कोई दया मेहर उसके पीछे छुपी होती है जो हमें नजर नहीं आती क्योंकि गुरु हमारे लिए वही करता है जो हमारे लिए अच्छा है और जिसे वह नाम दान की बख्शीश कर देते हैं जिसकी जिम्मेवारी वाले ले लेते हैं उसकी पल पल संभाल करते हैं और सतगुरु कोशिश करते हैं कि मेरे सत्संगी को किसी तरह की तकलीफ ना हो किसी तरह का दुख उसे ना सहन करना पड़े, तो साध संगत जी वह सोचती है कि जितने भी पैसे हमारे यहां पर खराब हो गए हैं उसके पीछे भी कोई ना कोई वजह जरूर रही होगी क्योंकि अगर मेरी औलाद गलत रास्ते पर चल पड़ती तो पता नहीं कितना नुकसान होना था और क्या-क्या होना था और वहां पर कितना खर्च आना था तो जब यह बातें उस बीबी के अंदर चलने लगती है तो उसकी आंखें बंद हो जाती और आंखों से आंसू निकल पड़ते है और वह घर आकर सतगुरु की याद में बैठ कर रोने लगती है और सतगुरु का धन्यवाद करती है तो साध संगत जी इस साखी से हमें भी यही प्रेरणा मिलती है कि जब हमें नाम की बक्शीश हो जाती है और उसके बाद हमारे जीवन में जितनी भी तकलीफ आती है जितने भी दुख आते हैं या फिर हमारा कोई काम नहीं बन रहा तो हमें चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि उसके पीछे भी सतगुरु की कोई ना कोई रजा जरूर छुपी होती है कोई ना कोई राज जरूर छिपा होता है जो कि उस समय हमें समझ में नहीं आता लेकिन सतगुरु भली-भांति उसे जानते हैं और सतगुरु वही करते हैं जो हमारे लिए अच्छा होता है क्योंकि मालिक के घर देर हो सकती है अंधेर नहीं हो सकता यह बात अक्सर सत्संग में भी फरमाई जाती है तो जब हमारे साथ जीवन में ऐसा होने लगे तो हमें निराश नहीं होना चाहिए बल्कि उस समय हमें ज्यादा से ज्यादा भजन सिमरन करना चाहिए ताकि वह मालिक वह सतगुरु अंदर से हमें मार्गदर्शन दे सके और हमें एहसास हो सके कि अगर हमारा काम कोई नहीं बन रहा है तो उसके पीछे भी कोई ना कोई वजह जरूर है कोई ना कोई बात जरूर छुपी है तो जब वह बात हम समझ लेते हैं तब हम उस मालिक की रजा को समझ लेते है तब हमें समझ आ जाती है जब हमें वह समझ आ जाती है उसके बाद हम सतगुरु के आगे कोई प्रश्न नहीं करते कोई सवाल नहीं करते कि हमारा यह काम क्यों नहीं बन रहा ? क्योंकि हम अपने सतगुरु की लीला को समझ लेते हैं उसे भली-भांति जान लेते है और गुरु हमारे लिए जो करता है अच्छा ही करता है ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर करना, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके । 

By Sant Vachan


Post a Comment

0 Comments