साध संगत जी यह बात सतगुरु महाराज जी के समय की है जब एक मुसलमान सद्गुरु से कहता है की है सचे पातशाह मैं अपनी तकदीर से बहुत परेशान हूं मैं अपनी किस्मत से बहुत परेशान हूं मैं जिस काम को भी हाथ डालता हूं उसी में असफल हो जाता हूं मेरा वह काम बनता बनता ही बिगड़ जाता है काम बन भी जाता है लेकिन बाद में बिगड़ जाता है और हर बार मेरे साथ ऐसा ही होता है और इसी की वजह से मेरे साथ कोई काम नहीं करना चाहता और मैं रोजाना मालिक की भजन बंदगी भी करता हूं और उसके आगे विनती भी करता हूं हे मालिक मुझ पर मेहर कर कि मेरे साथ जो भी हो अच्छा ही हो लेकिन मेरे साथ हर बार ऐसा ही होता है मुझे हर काम में असफलता ही मिलती है ।
तो उसकी यह बात सुनकर सतगुरु बहुत ही प्यारे तरीके से समझाते हुए कहते हैं कि मालिक अपने भक्तों के साथ कभी भी बुरा नहीं होने देता वह तो सबके साथ अच्छा ही करता है उसके किए गए हर कार्य में कोई राज जरूर छिपा होता है जो हमें समझ नहीं आता हमारी बुद्धि उसे समझ ही नहीं पाती और उसे समझने के लिए मालिक की मेहर चाहिए होती है जिस पर उसकी मेहर होती है केवल वही उसके भेद को समझ पाता है और यहां पर सतगुरु उसे समझाने के लिए एक बहुत ही प्यारी साखी फरमाते हैं सतगुरु कहते हैं कि एक गांव में एक फकीर रहते थे और जिस गांव में वह रहते थे उस गांव में पशुओं को पालने का रिवाज था किसी ने अपने घर की रखवाली के लिए कुत्तों को पाल रखा था और किसी ने अपने खेतों के काम करने के लिए बैलों को पाल रखा था तो उस गांव में सभी लोगों ने किसी ना किसी जानवर को अपने काम करवाने के लिए पाल रखा था तो वह जो फकीर उस गांव में रहते थे वह सदा ही मालिक की रजा में राजी रहते थे तो एक दिन उस गांव के सभी कुत्ते मर जाते हैं और जब यह बात गांव वालों को पता चलती है वह भागे भागे उस फकीर के पास जाते हैं और कहते हैं की है गुरुदेव हमारे गांव के सभी कुत्ते मर गए हैं हमें लग रहा है कि कोई महामारी फैल गई है जिसके कारण हमारे गांव के सभी कुत्ते मर गए हैं तो ये बात सुनकर वह कहते हैं कि कोई बात नहीं इसमें भी अल्लाह की कोई मर्जी होगी तुम चिंता मत करो और दूसरे ही दिन उस गांव के दूसरे जानवर भी मर जाते हैं जैसे किसी के बैल मर जाते हैं किसी के मुर्गे मर जाते हैं और तीसरे दिन भी ऐसा ही होता है तो गांव वाले परेशान होकर फिर उस फकीर के पास चलते हैं और कहते हैं की है गुरुदेव पहले तो हमारे गांव के सभी कुत्ते मर गए और उसके बाद हमारे पशुओं की मृत्यु होने लग पड़ी है किसी के घर बैल मर रहे हैं किसी के मुर्गे मुर्गियां मर रही है यह अवश्य ही गहन चिंता वाली बात है यह अवश्य ही कोई ऐसी महामारी है जो हमारे जानवरों को मार रही है हमें जल्द से जल्द इसका कोई उपाय करना होगा नहीं तो हमारा बहुत नुकसान हो जाएगा क्योंकि इनके बिना हमारे काम रुक जाएंगे हमारी खेती हमारे बैलों की वजह से होती थी और कुत्ते हमारे घर की रखवाली करते थे लेकिन अब तो सभी जानवर मर गए और हमें अब अपनी चिंता सताने लगी है कि कहीं यह महामारी हम इंसानों में ना आ जाए तो कृपया हमें इसका उपाय बताएं कि हमें अब क्या करना चाहिए तो उनकी यह बात सुनकर वह फकीर कहता है कि इसमें चिंता करने वाली कोई बात नहीं है हम इतनी चिंता क्यों कर रहे हैं वह अल्लाह मालिक जो सृष्टि को चला रहा है क्या उसको इसके बारे में नहीं पता ? क्या उसे हमारी परवाह नहीं है ? वह सब जानता है और यह जो भी हो रहा है इसमें भी उसकी कोई मर्जी होगी हमें चिंता नहीं करनी चाहिए हमें सब उसके ऊपर छोड़ देना चाहिए क्योंकि होता तो उसकी मर्जी से है हम तो उसकी कठपुतलियां है उसके इशारों पर नाचती है तो उस फकीर की यह बातें सुनकर कुछ गांव वाले नाराज हो जाते हैं और कहते हैं कि पिछली बार भी जब ऐसा हुआ था तब भी इन्होंने ऐसा ही कहा था कि सब कुछ उस मालिक की मर्जी से हो रहा है जबकि ऐसा कैसे हो सकता है सभी जानवर एक साथ इकट्ठे कैसे मर सकते है और हमारा इतना नुकसान हो गया है और ये ऐसी बातें कर रहे है तो कुछ गांव वाले नाराज होकर वहां से चले जाते है तो उसके कुछ दिनों बाद ही रात के समय उस गांव में डाका पड़ जाता है डाकू लूटमार करते-करते उस गांव में भी आ जाते हैं लेकिन रात का समय होता है तो वह जब दूसरे गांव से लूट मार कर कर इस गांव में प्रवेश करते हैं और देखते हैं कि पूरा का पूरा गांव विरान पड़ा है यहां पर कोई हलचल नहीं हो रही गांव में कोई कुत्ता दिखाई नहीं दे रहा कोई बैल दिखाई नहीं दे रहा तो यह सब देख कर जो डाकुओं का सरदार होता है वह कहता है कि यह गांव विरान पड़ा है लगता है यहां कोई नहीं रहता, चलो आगे बढ़ते हैं किसी दूसरे गांव में जाकर लूटमार करते हैं तो वह इस गांव को छोड़ कर चले जाते हैं और जब सुबह होती है तो गांव वालों को इस बात की खबर होती है कि डाकू दूसरे गांव से लूटमार करते हुए हमारे गांव में भी आए थे लेकिन हमारा पूरा का पूरा गांव विरान पड़ा हुआ था क्योंकि किसी के घर में भी कोई पालतू जानवर नहीं बचा था जिससे कि उनको इस बात की खबर होती कि इस गांव में भी लोग रहते हैं तो जब यह बात गांव वालों को पता चलती है तो वह भागकर उस फकीर के पांव पकड़ लेते हैं और सभी उनके पास इकट्ठे हो जाते है तब वह फकीर गांव वालों को समझाता है कि हमें कभी भी अल्लाह से किसी बात की शिकायत नहीं करनी चाहिए कि वह ऐसा क्यों कर रहा है क्योंकि वह जो भी करता है हमारे लिए अच्छा ही करता है अगर वह हमें मार भी डालता है तो उसमें भी हमारी अच्छाई ही छिपी होती है क्योंकि हमारे लिए मर जाना ही अच्छा होता है इसलिए अल्लाह हमें मृत्यु देता है वह हमें इसलिए मृत्यु नहीं देता कि हमारा समय इस संसार में पूरा हुआ वह हमें इसलिए मृत्यु देता है कि उस समय हमारा मर जाना ही हमारे लिए अच्छा होता है इसलिए वह हमें मृत्यु देता है और इंसान कभी भी उसकी राजा को नहीं समझ सकता क्योंकि जब बच्चा मां के पेट में होता है अभी चार ही महीने हुए होते हैं और वह मालिक बच्चे में जान डाल देता है और हम मां के पेट में बिना स्वास के रहते हैं जो हमें बिना स्वास के मां के पेट में रख सकता है और हमें बिना मुंह के मां के पेट में भोजन दे सकता है क्या वह इस संसार में हमारी रखवाली नहीं कर सकता, क्या उसको नहीं पता है कि हमारे लिए क्या अच्छा है हमारे लिए क्या बुरा है हम किस बात की उसके आगे शिकायत करते हैं वह जो भी करता है हमारे लिए अच्छा ही करता है हमें तो केवल उसका शुक्र करना चाहिए उसकी रजा में रहना चाहिए और जो शुक्र नहीं करता उसके ऊपर से वह मालिक अपनी दया मेहर का हाथ खींच लेता है तो हमें जिंदगी में कभी भी मायूस नहीं होना चाहिए सदा ही उसका शुक्र करना चाहिए जो भी उसने हमें दिया है हमें उसका शुक्र करना चाहिए दुख में भी उसका शुक्र करना चाहिए और सुख में भी उसका शुक्र ही करना चाहिए और हमें कभी भी उसके आगे किसी बात की शिकायत नहीं करनी चाहिए कि हमारे साथ अच्छा नहीं हुआ क्योंकि हमारी बुद्धि उसकी रजा को समझने के काबिल नहीं है वह तो वही समझ सकता है जिस पर उसकी दया मेहर होती है अंत में सतगुरु कहते है तो जिंदगी में कभी भी हमें मायूस नहीं होना है परेशान नहीं होना है उसकी दी गई दातों का शुक्र करना है और इस संसार में सुरमें बनकर रहना है और उसकी भजन बंदगी के लिए वक्त निकालना है समय निकालना है, लेकिन हम तो शिकायतें से भरे रहते है अगर हमारे पैसे कहीं पर गिर जाते हैं तो हम शिकायत करने लग जाते है अगर हमारा कोई नुकसान हो जाता है तो हम शिकायत करने लग जाते हैं जबकि हमें तो उसका शुक्र करना चाहिए क्योंकि जब हमारा कोई नुकसान होता है तो उसमे भी उसकी कोई रजा होती है उसमें में भी हमारे लिए अच्छा छुपा होता है जो हमें दिखाई नहीं पड़ता और अगर मालिक हमारे लिए एक रास्ता बंद करता है तो दस और खोल देता है ।
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By Sant Vachan
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