साध संगत जी यह एक सत्संगी की सच्ची आप बीती है जो उनके साथ हुआ वह उन्होंने संगत से सांझा किया है आप जी कहते हैं, की तेज गरमी का मौसम था, मुझे बहुत प्यास लगी थी, तो मैं एक गन्ने के रस की दुकान पर गया, पास में कुछ फूलों और पूजा की सामग्री की दुकानें थीं सामने ही एक बडा मंदिर था , इसलिए उस इलाके में हमेशा भीड रहती है, मैंने एक गिलास गन्ने के रस का आर्डर दिया, पास में ही फूलों की दुकान पे एक आदमी ने 500 रूपये वाले फूलों का हार बनाने का आर्डर दिया ।
तभी उस आदमी को एक गरीब बच्चे ने पीछे से हाथ लगाकर गन्ने का रस पिलाने की गुजारिश की, उस आदमी ने उसे " चल हट "कहते हुए भगाने की कोशिश की, उस बच्चे ने भूख और प्यास का वास्ता दिया, वो बच्चा भीख नहीं माँग रहा था, बल्कि अपनी प्यास बुझाने के लिये कह रहा था लेकिन उस प्रभु के भक्त के दिल में कोई दया नहीं आयी, बच्चे की आँखें सहमी हुई थी, वो भूख और प्यास से काफी लाचार दिख रहा था, इतने में मेरा गन्ने का रस आ गया, मैंने एक और रस का आर्डर दिया और उस बच्चे को पास बुलाकर प्यार से उसे अपना गन्ने का रस दे दिया, बच्चे ने वो रस पिया और मेरी तरफ बडे प्यार से देखा और मुस्कुराकर और धन्यवाद कह कर चला गया, उस की मुस्कान से मुझे बहुत खुशी और संतोष हुआ, लेकिन वो आदमी मेरी तरफ देख रहा था, जैसे कि मैंने कोई भारी गुनाह कर दिया हो, फिर मेरे करीब आकर बोला आप जैसे लोग ही इन भिखारियों को सिर चढाते हैं तो मैंने मुस्कराते हुए उससे एक सवाल पूछा, भाई साहब, आपको मंदिर की पत्थर की मूर्ति में तो भगवान नजर आता है, जिसके लिये आपने पाँच सौ रूपये का फूलों का हार भी बनवाया है, लेकिन भगवान के बनाए इन्सान के अंदर आपको भगवान नजर नहीं आता, मुझे नहीं पता कि आपके 500 रूपये के हार से मंदिर का भगवान मुस्करायेगा या नहीं, लेकिन मेरे 10 रूपये के चढावे से मैंने भगवान को हँसते मुस्कराते हुए देखा है और उसने मेरे मन को खुशी और तृप्ति से भर दिया है, इस बच्चे ने तो मेरा आज का दिन ही बना दिया है, साध संगत जी आज की इस कहानी से हमें भी यही सीख मिलती है कि मालिक की पूजा किसी धर्मस्थान पे जाकर किसी खास चीज़ के चढाने से नहीं होती, बल्कि सच्चे मन से प्रेम से किये गये सिमरन और भजन से होती है उसे याद करके होती है और ऐसी सेवा ही सच्ची सेवा होती है ।
साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर करना, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके ।
By Sant Vachan
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