साध संगत जी आज की ये साखी गुरु नानक प्रकाश ग्रंथ से ली गई है जिसमें एक जादूगरनी सतगुरु नानक पर अपने मंत्रों का जोर चलाती है और भाई मरदाना को अपने मंत्रों से अपना गुलाम बना लेती है तो उसके बाद क्या होता है आइए बड़े ही प्यार से आज का यह प्रसंग सरवन करते हैं
साध संगत जी जब सतगुरु नानक करतार की कीर्ति करते हुए संसार का भला करते हुए एक ऐसे नगर में जा पहुंचे जहां पर लोग जादू टोना करते थे और वह नगर भी इन्हीं कामों के कारण मशहूर था और उस समय आसपास के नगर वाले लोग उस नगर में जाने से डरते थे क्योंकि उस नगर में जो भी जाता था वहां के नगरवासी उस पर जादू टोना कर कर उसे अपने वश में कर लेते थे और उससे अपने काम करवाने लग जाते थे उसे अपना गुलाम बना लेते थे तो सभी नगर वासी जो आसपास के गांव के थे उस गांव में जाने से डरते थे और उस गांव में एक नूर शाह नाम की एक जादूगरनी थी जो कि उस नगर की मुखिया थी तो उस नगर में जिस किसी को भी जादू टोना सीखना होता था वह उसके पास जाते थे और सभी नगर वासी उसे अपना गुरु मानते थे और उसका बहुत सम्मान करते थे तो जब सतगुरु नानक भाई मर्दाना और भाई बालाजी के साथ उस नगर में जा पहुंचे तो भाई मरदाना जी को वहां पर जाकर प्यास लग गई और भाई मरदाना जी पानी की तलाश में थे कि कहीं से उन्हें पानी मिल जाए ताकि वह अपनी प्यास मिटा सके लेकिन उन्हें कहीं भी पानी दिखाई नहीं दिया तो उन्होंने सद्गुरु से कहां कि सतगुरु मुझे बहुत प्यास लगी है और आसपास कहीं भी पानी का नाम और निशान नहीं है तो आप मुझे आज्ञा दें मैं इस नगर में जाकर किसी के घर से पानी ले आता हूं तो सतगुरु की आज्ञा लेकर भाई मरदाना जी उस नगर में जाते हैं और उस नगर के एक घर का दरवाजा खटखटाते हैं तो अंदर से एक औरत बाहर आती है और वह भाई मरदाना जी को देखकर उन पर मोहित हो जाती है लेकिन भाई मरदाना जी उससे विनम्रता से पानी की मांग करते हैं और कहते हैं कि हमें पानी चाहिए तो भाई मरदाना जी की यह बात सुनकर वह औरत भाई मरदाना जी से कहती है कि आपके चेहरे पर कितना नूर है आप कहां से आए हो और इस नगर में आपको क्या काम है तो उसका जवाब देते हुए भाई मरदाना जी कहते हैं कि हम पंजाब से आए हैं और आपके नगर को देखने की इच्छा हुई इसलिए इस नगर में आए हैं तो भाई मरदाना जी की यह बात सुनकर वह औरत अंदर जाकर पानी का गिलास भाई मरदाना जी के लिए लेकर आती है और उस पर मंत्र पढ़कर भाई मरदाना जी को वह पानी का गिलास दे देती है तो उसे पीते ही भाई मरदाना जी उस औरत के वश में हो जाते हैं जैसे जैसे वह औरत उनको करने के लिए कहती है वह वैसा ही करते हैं तो वह औरत भाई मरदाना जी के गले में एक तवीज डाल देती है और भाई मरदाना जी को अपने घर में बांध कर रख लेती है भाई मरदाना जी पूरी तरह से उस औरत के वश में हो जाते हैं और उन्हें अपनी कोई खबर नहीं रहती जैसे-जैसे वह औरत उन्हें करने के लिए कहती है वह वैसा ही करते हैं तो उसके बाद वह औरत भाई मरदाना जी को घर पर बांधकर पानी का मटका सिर पर रखकर नगर के कुएं से पानी लेने जाने लगती है तो सतगुरु भाई बालाजी को कहते हैं कि मरदाने को कितनी देर हो गई है लेकिन अब तक आया नहीं ! चलो चल कर देखते हैं साध संगत जी सतगुरु जानी जान है भला उनसे क्या छुपा है उन्हें तो पल-पल की खबर रहती है तो साध संगत जी सतगुरु भाई बालाजी से कहते हैं कि चलो चल कर मरदाने की खबर लेते हैं कि वह कहां पर है तो जब सतगुरु नानक नगर में प्रवेश करते हैं तो नगर में प्रवेश करते ही वह औरत उन्हें दिखाई पड़ती है जिसने भाई मरदाना जी को अपने घर में बांधकर रखा होता है मंत्रमुग्ध कर रखा होता है तो सतगुरु उसे कहते हैं कि हमारा आदमी इस नगर में आया है पानी के लिए इस नगर में आया था लेकिन वह वापस नहीं आया, क्या आपने उसे देखा है तो सतगुरु के यह वचन सुनकर वह औरत सतगुरु पर भी अपना जोर चलाने की कोशिश करती है लेकिन उसका कोई भी मंत्र सतगुरु पर नहीं चलता और यह देखकर वह हैरान हो जाती है कि यह अवश्य ही कोई करनी वाले फकीर लगते है कोई बड़े फकीर लगते है जिनके ऊपर मेरे मंत्रों का असर नहीं हो रहा और वह सतगुरु से कहने लगती है जी नहीं ! मैंने ऐसे किसी आदमी को नहीं देखा तो सतगुरु उससे फिर कहते हैं कि वह इसी तरफ आया था तो सतगुरु और उस औरत की वार्तालाप को सुन कर भाई मरदाना जी होश में आने लगते हैं क्योंकि सतगुरु के मुख्य से निकले वचन जब भाई मरदाना जी के कानों में पड़ते हैं तो उन्हें होश आने लगती है और उन पर मंत्रों का असर धीरे-धीरे दूर होने लगता है तो वह सतगुरु को पुकारते हैं तो सतगुरु उस औरत से कहते हैं कि वह इसी घर में है तुम क्यों झूठ बोल रही हो लेकिन वह औरत फिर भी यह बात मानने को तैयार नहीं होती और सतगुरु को कहने लगती है कि नहीं इस तरफ कोई नहीं आया है अगर आपको विश्वास नहीं हो रहा तो आप चल कर देख सकते हैं तो उस समय सतगुरु अपने मुख्य से शब्द उच्चारण करते हैं और जैसे ही सतगुरु वह श्लोक का उच्चारण करते हैं भाई मरदाना पर उन मंत्रों का असर पूरी तरह से खत्म हो जाता है और भाई मरदाना जी वहां से छूट कर बाहर आ जाते हैं और सतगुरु के पास आकर दीन होकर उनका शुक्रिया करते हैं लेकिन दूसरी तरफ जैसे ही सतगुरु ने शब्द का उच्चारण किया था तो उस औरत के सर पर जो मटका रखा हुआ होता है वह उसके सिर के साथ चिपक जाता है उसके बालों के साथ लग जाता है और वह औरत उसे निकालने का बहुत प्रयास करती है बहुत कोशिश करती है लेकिन वह नहीं निकलता वह अपने सभी तंत्रों मंत्रों का उपयोग कर कर थक जाती है और उसे यह बात समझ में आ जाती है कि ये जो मेरे सामने खड़े हैं यह कोई मामूली फकीर नहीं है क्योंकि आज तक मेरे मंत्रों से कोई बच नहीं पाया है और मेरे मंत्रों का असर कोई तोड़ नहीं पाया है तो वह भागी हुई जाती है और उस नगर की जो बड़ी जादूगरनी जिसका नाम नूर शाह होता है उसके आगे जाकर गिड़गिड़ाने लगती है कि हमारे नगर में एक फकीर आए हैं जिनके शिष्य पर मैंने अपने मंत्र चलाएं और उसके बाद वह मेरा गुलाम बन गया लेकिन जैसे ही वह फकीर आए मेरे मंत्रों का असर उस पर खत्म हो गया और यह घड़ा मेरे सिर से चिपक गया मैंने इसे उतारने की बहुत कोशिश की सभी प्रयास किए मंत्रों का उच्चारण किया लेकिन मेरे सभी प्रयास विफल हो गए तो आप मेरी मदद कीजिए मैं आपकी शिष्य हूं तो जादूगरनी नूर शाह उसको लेकर सतगुरु के पास आ जाती है और वह भी अपने मंत्रों का जोर सतगुरु पर दिखाती है लेकिन वह सतगुरु को कुछ नहीं कर पाती क्योंकि उसके किसी भी मंत्र का असर सतगुरु पर नहीं हो रहा होता, मुक्तिदाता सतगुरु नानक वहां पर खड़े रहते हैं और वह अपना जोर उन पर चलाने की कोशिश करती रहती है तो जब अपने सभी प्रयास कर कर थक जाती है तो वह भी हैरान हो जाती है कि आज तक किसी ने हमारा सामना नहीं किया लेकिन यह अवश्य ही करनी वाले फकीर है कोई बड़े महात्मा जन है और वह दीन होकर सतगुरु के चरणों पर गिर पड़ती है और उसके साथ जो उसके शिष्य होते हैं वह भी यह सारा दृश्य देख रहे होते हैं तो जादूगरनी नूर शाह सभी को कहती है कि ये पूर्ण पुरख स्वामी है आप सभी इनके चरणों पर प्रणाम करें तो जो भी वहां पर मौजूद होते है सभी दीन होकर सद्गुरु के चरणों पर प्रणाम करते हैं और अरदास बिनती करते हैं उसके बाद नूर शाह सतगुरु के आगे अरदास करती है कि मैंने आपकी शक्ति देख ली है आप हम पर कृपा करें हमें बख्श दे और यह जो लीला आपने की है यह घड़ा जो इसके सिर से चिपक गया है इसके बालों से चिपक गया है कृपया इसे उतार दें और हम पर अपनी कृपा की दृष्टि करें तो सतगुरु नानक नूर शाह के यह वचन सुनकर उसे कहते हैं की वाहेगुरु से बड़ा कोई नहीं है उसका नाम लो और इसे नीचे उतारो तो वह ऐसा ही करती है और घड़ा उसके सिर से अलग हो जाता है और वह उसको नीचे रख देती है तो सतगुरु की यह लीला देखकर वहां पर मौजूद सभी नगर वासी जो ये दृश्य देख रहे होते हैं वह सतगुरु को प्रणाम करते हैं और सतगुरु उन्हें उपदेश करते हैं कि करतार से बड़ा कोई मंत्र नहीं उससे बड़ी कोई शक्ति नहीं वह सबका दाता है और उससे ऊंचा उसका नाम है और उसके नाम से बड़ा कोई मंत्र नहीं तो सद्गुरु उनके कार्य को देखते हुए वहां पर श्लोक का उच्चारण करते हैं "गली असी चंगियां, आचारी बुरियां, मनो कसुदा कलियां बाहर चिटीयां" जिसका अर्थ है कि बातों में हम अच्छी है मन से बुरी है काली है लेकिन बाहर चिटी है तो साध संगत जी इस साखी से हमें यही प्रेरणा मिलती है कि जो पूर्ण संत सतगुरु होता है उस पर किसी का कोई जोर नहीं चलता वह आदि पुर्ख स्वामी है वह महा-आत्मा है और वह हमारा उद्धार करने के लिए ही यहां पर आए होते हैं उनका और कोई मकसद नहीं होता वह तो हम जैसे भटके हुए लोगों को सही रास्ता दिखाने आए होते हैं ताकि हमारा यहां से छुटकारा हो सके हमें यहां से मुक्ति मिल सके ।
साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर कीजिए, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके ।
By Sant Vachan
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