जो सत्संगी नामदान लेकर घर बैठ गए हैं नाम की कमाई नहीं करते उन्हें यह जान लेना चाहिए कि उनकी देह को लाश के समान कहा गया है बाबा फरीद जी अक्सर अपने श्रद्धालुओं को समझाते थे कि जिस तन में खुदा का नाम नहीं वह तन लाश के समान है और सतगुरु अक्सर फरमाते थे कि ये आपका काम है और आपको ही करना है, किसी और को नहीं करना, अगर 'नाम' लेकर 50 साल बैठे रहो तो कुछ नहीं बनेगा, इसके विपरीत अगर नाम लेकर 8 दिन भी कमाई करो, तो उसका फायदा हो जाएगा ।
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