Guru Nanak Saakhi : जब एक तांत्रिक ने सतगुरु नानक पर काला जादू करने की कोशिश की तो क्या हुआ !

 

साध संगत जी यह साखी सतगुरु नानक देव जी के समय की है जब सतगुरु नानक आसाम और बंगाल की यात्रा के बाद 1506 ईसवी को उड़ीसा में जा पहुंचे तो आइए बड़े ही प्यार से आज का यह प्रसंग सरवन करते हैं ।

साध संगत जी जब सतगुरु नानक आसाम और बंगाल की यात्रा के बाद 1506 ईसवी को उड़ीसा में गए तो वहां जाकर सतगुरु ने अपना डेरा एक कुटिया में जमा लिया और सतगुरु की कुटिया के नजदीक ही एक तांत्रिक रहता था जिसका नाम चेतन भारती था और वह तांत्रिक काला जादू करता था और काले जादू का ही अभ्यास करता था और वह बहुत सारी अलौकिक शक्तियां पाना चाहता था तो सतगुरु के दर्शन करकर और सतगुरु के प्रवचन सुनकर वहां पर लोग बहुत प्रभावित हुए और धीरे-धीरे कर लोग सतगुरु के पास आने लगे तो वहां पर सतगुरु नानक की प्रसिद्धि देखकर वह तांत्रिक ईर्ष्या से भर गया और उसने सतगुरु नानक को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की लेकिन वह सतगुरु नानक का बाल भी बांका नहीं कर पाया तो जब उसने अपने सभी प्रयास कर लिए और सतगुरु नानक का बाल भी बांका नहीं कर पाया तो अंत में वह वहां पर गया जहां सद्गुरु संगत को प्रवचन सुनाते थे तो उसने वहां पर पेड़ की डाल को तोड़ा और सतगुरु को नुकसान पहुंचाने के लिए आगे बढ़ा तो उस समय सतगुरु नानक मालिक की भजन बंदगी में लीन थे और उसे अपने पास आता हुआ देख सतगुरु नानक ने अपनी आंखें खोली तो उसने जैसे ही सतगुरु के दर्शन किए और उनके दिव्य स्वरूप को देखा तो उसके हाथ से वह पेड़ की डाल नीचे गिर गई जिसे वह सतगुरु को नुकसान पहुंचाने गया था और उसे यह बात समझ आ गई थी कि जिनको वह नुकसान पहुंचाना चाहता था वह तो लोगों को तारने के लिए आए हैं वह तो भटके हुए लोगों को सही रास्ता दिखाने आए हैं उनका मार्गदर्शन करने आए है तो जब सतगुरु की दृष्टि उस तांत्रिक पर पड़ी तो वह सतगुरु के चरणों पर जाकर गिर पड़ा और उनका शिष्य बन गया तो एक दिन उसने सतगुरु नानक को दातुन दी और सतगुरु नानक ने वे दातुन की और सतगुरु ने आधी दातुन को जमीन में दबा दिया तो कुछ समय के बाद वहां पर एक विशाल पेड़ हो गया जिसके दर्शन करने दूर-दूर से संगत वहां पर आने लगी तो कुछ समय बाद सन 1923 में वे वृक्ष नीचे गिर गया और तब प्रोफेसर कृष्ण पारेजा और प्रोफेसर बाबा करतार सिंह जी ने पेड़ का वैज्ञानिक परीक्षण किया और उन्हें यह नतीजा मिला कि ये जो वृक्ष टूटा है वह गुरु जी के काल का ही है और फिर मुरझाए हुए उस पेड़ से एक बार फिर कपाल फूटी और एक बार फिर से वह पेड़ हरा भरा हो गया उसके बाद प्रोफेसर पारेजा और प्रोफेसर सिंह ने संगत का सहयोग लिया और सन 1935 में गुरुद्वारे का निर्माण किया जिसे आज संगत गुरुद्वारा गुरु नानक दातुन साहिब के नाम से जानती हैं जोकि कटक उड़ीसा में स्थित है धीरे धीरे गुरुद्वारे का प्रचार बड़ा और सिख लोगों की संख्या उड़ीसा में भी बढ़ने लगी और गुरुद्वारा साहिब का निर्माण बहुत ही शानदार और भव्य रूप से किया गया गुरुद्वारे के पास ही बाबा श्री चंद का उदासी मठ है और कहते हैं कि उस उदासी मठ ने ही गुरुद्वारे की सेवा संभाल की है, साध संगत जी इस साखी से हमें भी यही प्रेरणा मिलती है कि जो पूर्ण संत सतगुरु होते है उनका कोई भी ताकत बाल भी बांका नहीं कर सकती क्योंकि वह मालिक का हुक्म लेकर इस संसार में आते हैं और इस संसार का उद्धार करते हैं लेकिन संसार में कुछ मंदबुद्धि लोग संतो की महिमा नहीं जान पाते और उनका अपमान करते हैं और उन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं लेकिन वह उनका बाल भी बांका नहीं कर पाते और मालिक ने नाम के खजाने की चाबी संतो के हाथ में दी होती है एक पूर्ण संत महात्मा ही शिष्य को वह युक्ति बताता है वह तरीका बताता है जिससे कि वह अपने अंदर बैठे उस मालिक से मिलाप कर पाता है और यहां पर सतगुरु नानक कहते हैं की सतगुरु के बिना उसकी महिमा को नहीं जाना जा सकता उसे मिलाप नहीं किया जा सकता क्योंकि मालिक ने वह ताकत केवल संत महात्माओं के हाथ में दी होती है जिस ताकत की मदद से संत सतगुरु हमारा उस कुल मालिक से मिलाप करवाते हैं और अभ्यासी को अंदर उसके दर्शन करवाते हैं संतो के बिना यह संसार नहीं होना था यहां पर दुख ही दुख होने थे क्लेश ही क्लेश होने थे जैसे कि फरमाया गया है "संत ना होते जगत में तो जल मरता संसार" कि अगर इस सृष्टि की होंद है अगर यह सृष्टि आज तक चल रही है तो वह केवल संत महात्माओं के कारण ही चल रही है और मालिक समय-समय पर अपने हुकुम के अनुसार संत महात्माओं को इस संसार में भेजता रहता है और अपने नाम का होका इस संसार में देता रहता है जो सत्संगी अभ्यासी एक पूर्ण संत सतगुरु की शरण ले लेता है और उसके हुकुम के मुताबिक अपना जीवन व्यतीत करता है वही उस कुल मालिक की महिमा को जान पाता है उसे समझ पाता है ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर कीजिए, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके । 

By Sant Vachan


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