Guru Nanak Sakhi : बच्चे के जन्म को लेकर सतगुरु नानक क्या उपदेश करते है । जरूर सुने

 

साध संगत जी साखी शुरू करने से पहले सतगुरु नानक का उपदेश समझने की कोशिश करते हैं जो कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में अंग 473 में दर्ज है तो आइए बड़े ही प्यार से आज का यह प्रसंग सरवन करते हैं, साध संगत जी सतगुरु कहते हैं कि इस सृष्टि में जो भी करतार द्वारा निर्मित हुआ है जो भी उसने बनाया है वह सब पवित्र है अगर कुछ अपवित्र है तो वह मनुष्य है जो जगत के ईश्वर को भूला बैठा है और पाप कर्म करता जाता है जिसके कारण उसकी अपवित्रता और बढ़ती जाती है ऐसा मनुष्य अगर खाना भी खाता है तो वह खाना जिसे ईश्वर ने निर्मित किया है यानी कि गेहूं, दाल, नमक जो कि पवित्र कहलाता है लेकिन जब ईश्वर को भूला बैठा व्यक्ति उसका सेवन करता है तो वह अन्न उसके अंदर जाकर अपवित्र हो जाता है उदाहरण के तौर पर आप जी फरमाते हैं कि जैसे खाने को कूड़े में फेंकने वाले व्यक्ति को हम पापी कहते हैं ऐसे ही जब ईश्वर को भूला बैठा व्यक्ति उस पवित्र अन्न जल का सेवन करता है वह भी उतने ही पाप का भागीदार बनता है क्योंकि ईश्वर को भूला बैठा व्यक्ति पापी कहलाता है ।

साध संगत जी सतगुरु नानक नाभा पहुंचे जोकि पटियाला में स्थित है जोकि आज संगरूर रोड पर बसा हुआ है इस स्थान को सतगुरु नानक की चरण छौ प्राप्त है यहां जाकर सद्गुरु जब चनन मल के घर पधारे जोकि सतगुरु का शिष्य था तो सतगुरु को देख वह अंदर खुशी से भर गया की सतगुरु उसके घर पधारे हैं तो उसने सतगुरु नानक को अपने घर में पनाह दी और लगन से उनकी सेवा की और इसी खुशी के कारण उसने एक भोज का आयोजन किया और उस भोज में उसने सभी लोगों को आमंत्रित किया साध संगत जी कुछ दिन पहले भाई चनन मल जी के घर एक बच्चे ने जन्म लिया था तो जिस दिन उसने भोज का आयोजन किया था उस दिन सभी लोग उसका निमंत्रण पाकर उसके आयोजन में शामिल होने के लिए आ गए लेकिन वहां पर एक ब्राह्मण ने भोज को अस्वीकार करते हुए कहा कि मैं आपका भोजन नहीं खा सकता क्योंकि तुम्हारे घर कुछ दिन पहले बच्चे ने जन्म लिया है इसके कारण तुम्हारे यहां सूतक लगा है साध संगत जी गुरुजी का जवाब सुनने से पहले आइए सूतक को जाने की कोशिश करते हैं कि सूतक क्या होता है, हिंदू मान्यताओं के आधार पर सूतक बच्चा पैदा होने के बाद के दिनों को कहा जाता है यह दिन कुछ दिनों तक ही होते हैं जब तक गर्भवती स्त्री में प्रसव यानी कि प्रेगनेंसी होने की कॉम्प्लिकेशन रहती है इन दिनों में उस परिवार के लोगों का दान देना और पूजा करना वर्जित होता है साध संगत जी जिस प्रकार किसी परिवार में बच्चे के जन्म के बाद सूतक लग जाता है उसी तरह जब किसी की मृत्यु हो जाती है तब भी उन पर सूतक लग जाता है, जन्म के बाद सूतक काल की अवधि जातियों के आधार पर बताई गई है जैसे कि ब्राह्मण की स्त्री कम काम करती है इसलिए उनके लिए सूतक 10 दिनों का है राजा की पत्नी रानी होती है इसलिए क्षत्रियों के लिए सूतक 12 दिनों का होता है और सूद्र की बीवी जो कि ज्यादा काम करती है इसलिए उनके लिए सूतक 30 दिन का होता है तो जब पंडित जी ने इस बात को आधार बनाकर भोजन करने के लिए मना कर दिया और जब वह वहां से जाने लगे तो सतगुरु ने उपदेश किया और कहा कि हे लोगों ! अगर यह भी मान ले कि सूतक होता है यानी कि सूतक जैसा भ्रम रखना चाहिए तो फिर यह भी मान लो कि इस तरह के सूतक तो संसार में भरे पड़े हैं यहां पर सतगुरु उदाहरण देकर बताते हैं कि जिस तरह बच्चे को जन्म देने वाली स्त्री पर सूतक लग जाता है उसी तरह चूल्लेह में जलने वाली लकड़ियां और गोबर के इर्द-गिर्द बहुत से जीव होते हैं जो कि जन्म लेते रहते हैं और मरते रहते हैं और अनाज जिसको हम खाते हैं जिसके एक एक दाने में जीवन होता है ऐसे ही पानी भी एक जीवन है जिसके सेवन से जीव हरा भरा हो जाता है पुष्ट हो जाता है और सतगुरु कहते हैं कि हर एक चीज पानी से ही जीवित रहती है क्योंकि वह पानी से ही निर्मित हुई है इन सब बातों के आधार पर सूतक कैसे रखा जा सकता है, सूतक जैसी बातों को कैसे माना जा सकता है, क्योंकि जीना मरना तो हर समय चलता रहता है जिस रसोई के चुल्लेह में भोजन बनाया जाता है उस चूल्लेह में भी सुखी लकड़ी और गोबर में रह रहे जीव जल रहे होते है इस तरह तो हर समय रसोई में सूतक बना रहता है सतगुरु कहते है हे नानक ! इस तरह के भ्रम में पड़े रहने से जो मन का सूतक है वह कभी नहीं उतरता इस मन के सूतक को तो सिर्फ प्रभु का ज्ञान ही दूर कर सकता है साध संगत जी इस तरह सतगुरु नानक ने जगह-जगह जाकर करतार के नाम का होका दिया, अपने उपदेश को संसार में फैलाया और जगह-जगह जाकर सतगुरु ने लोगो में चल रहे भ्रमों को खत्म किया लेकिन बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि आज के समाज में भी कुछ ऐसे लोग हैं जो ऐसे भ्रमों को मानते हैं आज भी समाज में बहुत सारे भ्रम पल रहे है जिनका कोई आधार नहीं, इसलिए वह मालिक समय-समय पर संतों महात्माओं को लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए इस सृष्टि में भेजता रहता है ताकि वह हमारा मार्गदर्शन कर सकें हमें सही रास्ता दिखा सकें और जो जीव उनके सामने मालिक से मिलने की इच्छा रखता हैं तो वह संत सतगुरु उन्हें नाम की बख्शीश कर वह युक्ति बताते हैं वह तरीका बताते हैं जिस तरीके को मानकर वह अभ्यासी जीव उस कुल मालिक से मिलाप कर लेता है और अपने जन्म को सफल कर जाता है तो साध संगत जी सतगुरु नानक के इस उपदेश को सुनकर सभी ब्राह्मण सतगुरु से बहुत प्रभावित हुए थे और उनके उपदेश को सुनकर वह चनन मल जी द्वारा आयोजित किए गए उस भोज में भोजन करने के लिए बैठ गए और सतगुरु ने फरमाया कि जो लोग पंगत में बैठकर लंगर खाएंगे या लंगर लगाएंगे, ईश्वर उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करेगा साध संगत जी जिस स्थान पर सतगुरु ने उपदेश दिया था आज वहां पर गुरुद्वारा चौबारा साहिब बना हुआ है और सतगुरु नानक ने निशानी के तौर पर भाई चनन मल जी को अपनी खड़ाव दी थी जो कि आज भी गुरुद्वारा साहिब में दर्शन के लिए विराजमान है ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर कीजिए, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके । 

By Sant Vachan


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