सत्संगियों को यह बात ख्याल में रखनी चाहिए कि जिस प्रकार खेत में उल्टा जा सीधा पड़ा हुआ बीज अंकुरित हो जाता है ठीक उसी प्रकार सतगुरु ने कृपा करके जिस जिस के हृदय में नाम का बीज बो दिया है
वह जीव अपने जीवन काल में चाहे कैसा भी रहा हो लेकिन वह सतगुरु के दिए हुए नाम सिमरन से इस भवसागर से जरूर पार हो जाएगा, क्योंकि जब एक पूर्ण संत महात्मा किसी को नाम की बख्शीश कर उसका हाथ थाम लेते है तो वह उसे इस भवसागर से पार कर कर ही रहते है ।
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