Guru Nanak Sakhi । अपने परिवार के मोह में पड़ा हुआ ! एक बूढ़ा पिता मुक्ति क्यों नहीं चाहता था ।

 

साध संगत जी एक पुत्र अपने बूढ़े पिता से बहुत लड़ता झगड़त था और उसे अपशब्द भी बोलता था और कई बार तो उसका पुत्र उसे मुक्के भी मार देता था ।

वह बूढ़ा पिता अपने पुत्र की ऐसी हरकतों से बहुत दुखी था और अकेला बैठ कर रोता रहता था और इसी तरह एक दिन वह लड़का अपने बूढ़े पिता से लड़ झगड़ बैठा और उसने अपने पिता को मुक्के भी मारे तो उसका बूढ़ा पिता उसकी मार खाकर घर के बाहर बैठ गया और रोने लग पड़ा इतनी देर में वहां से एक महात्मा गुजर रहे थे तो उन्होंने उस बूढ़े बाबा को घर के बाहर बैठे रोते देखा तो उसे रोता देख वह उसके पास चले गए और उसका हाल चाल पूछने लगे और उसके रोने का कारण पूछने लगे और कहने लगे हे बाबा ! तू क्यों रो रहा है तो इतना सुनकर उसने अपनी सारी बात उस महात्मा को बताइ की हे महात्मा जी ! मैंने अपने जीवन में जितना भी धन कमाया था जितनी भी धन दौलत मेरे पास थी सभी मेरे पुत्रों ने अपने कब्जे में कर ली है और मुझे खाने पीने के लिए कुछ भी नहीं देते अगर मैं उन्हें किसी चीज को लेकर बोलता हूं तो वह मुझे मारने के लिए दौड़ पड़ते हैं इसी दुख के कारण मैं रो रहा हूं मैंने इनको बड़ी मुश्किल से पाल पोस कर बड़ा किया है लेकिन इन्होंने मेरी कोई कदर नहीं जानी, तो उसकी यह बातें सुनकर महात्मा ने कहा की हे बाबा ! यह पुत्र पोत्रे और साग संबंधी अपने मतलब के कारण मित्र होते हैं भाव जब तक इनको पदार्थ देते रहो तब तक मित्र बने रहते हैं और जब इनको पदार्थ देना बंद कर दो भाव पदार्थ ना दे पाओ तो साथ छोड़ कर भाग जाते हैं और तिरस्कार करते हैं अपमान करते है इस जगत में अपने सुख के लिए हर व्यक्ति एक दूसरे से प्रेम करता है और जब उसे दूसरे से सुख मिलना बंद हो जाता है तो वह उसका त्याग कर देता है उसे छोड़ देता है और महात्मा ने उस बूढ़े बाबा से आग्रह किया कि तू इनका साथ छोड़कर हमारे साथ हमारी कुटिया में चल और वहां चलकर विश्राम कर वहां तुझे किसी भी चीज की कमी नहीं होगी और तेरी खूब सेवा होगी क्योंकि तू अब बूढ़ा हो चुका है और तेरी जितनी भी आयु पड़ी हुई है उसको हरि के नाम लगाकर उसका नाम जप कर, उसे सफल कर, जिससे कि तेरा कल्याण होगा तो संतो के वचन सुनकर उस बूढ़े बाबा को बहुत क्रोध आया और कहने लगा कि आपको हमारे घर के मामले में दखल अंदाजी करने के लिए किसने कहा है आपको चौधरी किसने बनाया है आप मुझे घर छोड़ने के लिए कह रहे हैं वह मेरे पुत्र हैं और मैं उनका पिता हूं तुम मुझे ऐसी सलाह क्यों दे रहा है क्यों हमारे मामले में दखलअंदाजी कर रहा है तूं अपनी भिक्षा मांग कर यहां से चले जा ! मैं अपना घर नहीं छोडूंगा वह मेरे पुत्र है और पुत्र मारते ही हैं लेकिन अंदर ही अंदर मुझसे प्यार भी करते हैं तो उसके ऐसे वचन सुनकर वह महात्मा वहां से चले गए तो साध संगत जी यहां पर सतगुरु फरमान करते हैं कि हे मोह ! तूं कैसा है रणभूमि में तू अजित सूरमा है क्योंकि जो बड़े बलवान है उनको भी तू अपने कब्जे में कर लेता है और जो गण, गंधर्व, देवता, मनुष्य, पशु-पक्षी आदि हैं सबको तूने मोहित किया हुआ है तूने सभी तरफ अपना जाल बिछाया हुआ है केवल वही तुझ से ऊपर उठ पाता है जो हरि के नाम से जुड़ता है हरि के सिमरन से जुड़ता है ।

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By Sant Vachan


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