Guru Nanak Sakhi । पति-पत्नी में आपसी संबंधों को लेकर सतगुरु क्या उपदेश करते है ? जरूर सुने

 

साध संगत जी आज की ये साखी सती प्रथा के बारे में है कि कैसे आज से वर्षों पहले जब किसी स्त्री के पति की मृत्यु हो जाती थी तो उसे अपने पति की लाश के साथ जिंदा जला दिया जाता था और ज्यादातर स्त्रियों को समाज द्वारा ऐसा जबरदस्ती करने के लिए कहा जाता था और वह अपने पति की लाश के साथ जिंदा जला दी जाती थी और उस समय हमारे संत महापुरुषों ने इस प्रथा का विरोध भी किया था तो साध संगत जी, सती प्रथा के बारे में सतगुरु क्या फरमान करते हैं आइए बड़े ही प्यार से आज का यह प्रसंग सरवन करते हैं ।

साध संगत जी, सती प्रथा हिंदुस्तान की वह काली प्रथा रही है जब पति के मर जाने पर उसकी पत्नी को उसकी चिता के साथ जिंदा जला दिया जाता था, 1987 में हिंदुस्तान की आखरी सती प्रथा का केस जो रिकॉर्ड्स में दर्ज है वह है सती रूप कनवर का, जो कि राजस्थान से थी और उस समय 40 लोगों पर हत्या का केस भी दर्ज हुआ था, सती वह स्त्री कहलाती है जिसने अपने पति के लिए अपने पति के प्यार के लिए अपनी पूरी जिंदगी दांव पर लगा दी हो, लेकिन सती प्रथा में जो स्त्रियां अपने पति की चिता के साथ अपने प्राण त्याग देती थी उनमें से ज्यादातर स्त्रियों को समाज द्वारा जबरदस्ती ऐसा करने के लिए कहा जाता था जिसके कारण उन्हें सती प्रथा का हिस्सा बनना पड़ता था, साध संगत जी सतगुरु फरमान करते हैं कि असली सती कौन है ? सतगुरु बानी का उच्चारण कर फरमान करते हैं जो कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में अंग 787 में दर्ज है सतगुरु फरमाते हैं कि वह स्त्री जो अपने पति की लाश के साथ जलकर मर जाती है उसे सती नहीं कहा जा सकता, असलियत में सती वह स्त्री होती है जो अपने पति की मौत या बिछोडे से ही मर जाए, भाव जिस से अपने पति के बगैर रहा न जाए, साध संगत जी गुरबाणी कहती है कि उन स्त्रियों को सती ही समझना चाहिए जो पतिव्रता धर्म में रहती हैं जो अपने पति की सेवा करती हैं, अपने पति की आज्ञा में रहती है और अपना पत्नी धर्म याद रखती है साध संगत जी, हमारे संत महापुरुषों ने आत्मा और परमात्मा के रिश्ते को भी पति-पत्नी का रिश्ता बताया  है जिससे कि हमें यह समझने में आसानी हो, कि वह अकाल पुरख हमारा स्वामी है और हम उसकी प्रेमी आत्माएं है साध संगत जी, यहां पर आप जी से यह स्पष्ट किया जाता है कि यहां पर स्त्री के पत्नी धर्म की चर्चा इसलिए की जा रही है क्योंकि बात सती प्रथा के बारे में हो रही है, नहीं तो गुरबाणी में स्त्री और पुरुष को बराबर का दर्जा दिया गया है  ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर कीजिए, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके । 

By Sant Vachan


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