रूहानी साखी । मेरा पिशला जन्म । इस 9 साल की बच्ची की ये सच्ची आप बीती । जरूर सुने जी


गुरु प्यारी साध संगत जी यह एक 9 साल की बच्ची की सच्ची आप बीती है जो कि उसने अपने माता-पिता को बताई आज इस साखी में हमें नाम दान की अहमियत के बारे में पता चलेगा कि अगर हमने किसी पूर्ण संत महात्मा से नाम ले लिया है और अगर हम भजन सिमरन करते हैं या फिर नहीं करते तो हमें किन दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है आज इस साखी में हमें इसके बारे में ज्ञान होगा तो साध संगत जी साखी को पूरा सुने की कृपालता करें जी ।
गुरु प्यारी साध संगत जी एक 9 साल की बच्ची जिसका जन्म महाराष्ट्र के पुणे शहर में हुआ उस लड़की का जन्म एक सत्संगी परिवार में हुआ, लड़की का बचपन से ही स्वभाव कुछ अलग था वह शांत रहती और उसे धर्म चर्चा करना बहुत पसंद था, वह शुरू से ही रूहानियत से जुड़ी बातें करती और उसे ऐसी ही बातें पसंद आती जो मालिक से जुड़ी हुई हो जो रूहानियत से जुड़ी हुई हो उसे बचपन से ही बहुत ज्ञान था मालिक की कृपा उस पर थी साध संगत जी जो ऐसी रूहे बहुत ही कम होती हैं और उनकी पहचान यह होती है कि उनका बचपन से ही मालिक की तरफ ध्यान होता है मालिक से जुड़ी बातें उन्हें पसंद होती हैं और वह चुप से रहते हैं ज्यादा बात नहीं करते और उन्हें शुरू से ही उस कुल मालिक के नाम का ज्ञान होता है तो ऐसे ही इस लड़की के साथ भी था कभी-कभी तो उसके परिवार वाले भी हैरान रह जाते कि इसे इतना ज्ञान कहां से है जो बातें हमें भी नहीं पता इसको कैसे पता है इसे रूहानियत के बारे में इतना ज्ञान कैसे है वह भी हैरान थे तो अक्सर उसे दूसरों से मिलने से रोकते थे और उसे बातें करने से भी रोकते थे कि अगर किसी और को पता चल गया तो पता नहीं क्या होगा कैसी कैसी बातें हो जाएंगी, लोग घर पर ही आना ना शुरू कर दें तो उन्होंने यह सब बातें दबाने शुरू कर दी लेकिन जैसे कि आप जानते हैं कि अगर ऐसी कोई भी बात होती है तो हर सत्संगी संगत से उसे सांझा तो करता ही है तो उसकी माता ने भी एक कमाई वाली बीवी के साथ उसके बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि इसका पिछले जन्म का भजन सिमरन इसके साथ है इसलिए इसे इतना ज्ञान है इसलिए इसे रूहानियत के बारे में इतना पता है यह उस कुल मालिक की कृपा है अब इस जन्म में इसे एक और मौका मिला है कि ये मालिक की भजन बंदगी करें और उस मालिक से मिलाप करें और जैसे-जैसे वे बड़ी हुई उसका ज्ञान और विस्तृत होता गया उसे समझ आती गई और वह नाम की कमाई करने लगी जैसे जैसे वह आगे बढ़ती गई उसे ज्ञान होने लगा कि उसका पहले भी जन्म हो चुका है और उसे नाम मिल चुका है और उसने पहले भी नाम की कमाई की हुई है इसलिए उसे समझ आ गया कि मुझे इसलिए इतना ज्ञान था क्योंकि मैंने पहले भी नाम की कमाई की है मुझे नाम मिल चुका है तो इसलिए मुझे बचपन से ही इतना ज्ञान था तो जब उसे यह पता चला कि मेरा पिछला जन्म पंजाब के किसी गांव में हुआ था और मुझे नाम भी मिला हुआ था लेकिन मैं भजन सिमरन को पूरा समय नहीं देती थी जिसकी वजह से मुझे धुन सुनाई नहीं पड़ी, जितना समय देना चाहिए था उतना समय मैंने नहीं दिया था और ना ही धुन को सुना था तो इसीलिए मुझे दोबारा जन्म मिला है दोबारा से एक मौका मिला है ये जानकर वह हैरान रह गई कि मुझे मालिक ने एक मौका और दिया है क्योंकि इस साध संगत जी जो इस मार्ग पर चल पड़ते हैं मालिक की कृपा उन पर अपार रहती है जैसे कि फरमाया जाता है कि अगर हम मालिक की तरफ एक कदम आगे लेकर जाएंगे तो मालिक सौ कदम हमारी तरफ लेकर आएगा तो ऐसे ही मालिक हमारी मदद करता है हर पल हमारे साथ होता है तो जब उसे पता चला कि मेरे पिछले जन्म में भजन सिमरन पूरा नहीं हुआ था इसलिए मुझे यह जन्म लेना पड़ा है तो इस जन्म में मुझे नाम की कमाई करनी है और मालिक से मिलाप करना है साध संगत जी जो नाम की कमाई होती है वह कभी छीनी नहीं जा सकती वह कभी खत्म नहीं होती जो लोग नाम की कमाई करते हैं और अगर उन्हें धुन सुनाई भी नहीं पड़ी और उनकी मृत्यु हो जाए तो इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें दोबारा से फिर सब करना पड़ेगा या फिर उन्हें किसी ऐसी जगह में जन्म मिल जाएगा जहां पर मालिक के नाम की कोई खबर ही ना हो, नहीं ऐसा नहीं है जो मालिक की राह पर चल पड़ते हैं उसके नाम की कमाई करते हैं मालिक उनकी हर पल संभाल करता है अगर उनकी मृत्यु भी हो जाती है तो उन्हें वैसे ही माहौल में जन्म मिलता जहां पर उसके नाम की चर्चा होती रहती है मालिक उसे वहां पर जन्म दे देता है और दोबारा से शुरू नहीं करना पड़ता जो हमने पहले नाम की कमाई की होती है वह हमारे साथ ही रहती है हमने उसे आगे चलना होता है इसलिए जो बचपन से ही इस राह पर चल पड़ते हैं अक्सर देखा गया है कि उनकी पिछले जन्मों में की गई कमाई उनकी सहायक बनती है नाम की कमाई ऐसी है जो कभी खत्म नहीं हो सकती या फिर छीनी नहीं जा सकती यह हमारे साथ ही रहती है हमारे साथ ही जाती है इसलिए उस लड़की के साथ भी ऐसा ही हुआ उसे बचपन से ही ज्ञान था बचपन से ही उस पर मालिक की कृपा थी वह केवल इसलिए क्योंकि उसने पिछले जन्म में नाम की कमाई की हुई थी मालिक से जुड़ी हुई थी लेकिन उसने धुन को नहीं सुना था साध संगत जी जब तक हम नाम की कमाई कर कर धुन को नहीं सुनते मालिक के नाम को नहीं सुनते तब तक हमारा इस जन्म मरण के चक्कर से छुटकारा नहीं हो सकता जब तक हम धुन को नहीं सुनते तब तक बात नहीं बनेगी, क्योंकि धुन को सुनना बहुत ही जरूरी है वह मालिक की कृपा से सुनाई देती है उसके बिना छुटकारा नहीं है उनको सुने बिना मन एकाग्र नहीं होता, मन हमारे वश में नहीं आ सकता और जब तक मन हमारा हमारे वश में नहीं होता मन हमारा निर्मल नहीं होता तब तक बात नहीं बनती तब तक हमारा आना जाना लगा रहेगा हम बार-बार जन्म लेते रहेंगे इसलिए तो संत महात्मा कहते हैं की नाम की कमाई करो, धुन को सुनो जब तक सुनोगे नहीं तब तक कुछ नहीं हो सकता तो ऐसे ही उस लड़की ने भी धुन को नहीं सुना था लेकिन वह भजन सिमरन को समय देती थी थोड़ा समय देती थी लेकिन भजन सिमरन को समय जरूर देती थी साध संगत जी आप यहां से समझ सकते हैं जो लोग नाम लेकर सिमरन नहीं करते उनका क्या होता होगा लेकिन यह भी देखा गया है कि अगर कोई आखरी मुकाम पर है, सीढ़ी के आखरी डंडे पर खड़ा है तो सतगुरु उसकी संभाल कर लेते हैं अगर वह सीढ़ी के आखिरी डंडे पर खड़ा है और उसका बस थोड़ा सा ही भजन सिमरन बाकी है और अगर उसकी मृत्यु हो जाती है तो कहते हैं कि सतगुरु उससे उसका वह भजन सिमरन ऊपर त्रिकुटी में जाकर पूरा करवा लेते हैं क्योंकि जो पूर्ण संत महात्मा होते हैं उन्होंने नाम देकर हमारी जिम्मेवारी ली होती है जब तक हम नाम का जाप कर कर उसको धुन को नहीं सुन लेते मालिक से मिलाप नहीं कर लेते तब तक वह हमारी मदद करते रहेंगे वह हमें इस भवसागर से पार ले जाकर ही रहेंगे यह एक पूर्ण संत महात्मा की पहचान होती है और जो उनका हुकम मानते हैं उनके हुक्म की पालना करते हैं वह उनका जन्म मरण का खेल खत्म कर देते हैं लेकिन जिन्होंने नाम की कमाई नहीं की होती थोड़ा समय दिया होता है उनके लिए मुश्किलें खड़ी होती हैं उन्हें फिर से आना पड़ता है और वहीं से शुरू करना पड़ता है लेकिन हम फिर भी बहुत भागो वाले जीव हैं कि हमें मालिक ने अपने नाम से जोड़ रखा है नाम की बख्शीश की हुई है नहीं तो आप देख सकते हैं कि दुनिया में क्या हो रहा है, कैसे लोग भटक रहे हैं उन्हें मालिक की कोई खबर नहीं मालिक के नाम की कोई खबर नहीं उनकी दौड़ केवल बाहर की तरफ लगी हुई है और हमारे ऊपर उस कुल मालिक ने कृपा की है कि हमें अपने नाम से जोड़ लिया अपनी शरण हमें बख्श दी हम जितनी बार उस मालिक का शुक्र करें उतना ही कम है हमें मालिक ने वह समझ दी है वह रूहानियत का ज्ञान दिया है और हमें पूर्ण संत महात्मा से मिलाया है ताकि हम उस तक पहुंच सके नाम की कमाई कर कर उस नाम रूपी समुंदर में वापस जा सके ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ,अगर आप साखियां, सत्संग और सवाल जवाब पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखियां, सत्संग और सवाल जवाब की Notification आप तक पहुंच सके ।

By Sant Vachan

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