गुरु प्यारी साध संगत जी यह साखी एक सच्ची घटना है इस साखी में हमें पता चलेगा कि हमारे गुरु हमारे संत महात्मा जिनसे हमने नाम दीक्षा ली हुई है जिनकी हम पूजा करते हैं जिनको हम उस कुल मालिक का दर्जा देते हैं वह कैसे हमारी मुश्किल घड़ी में हमारी संभाल करते हैं आज इस साखी में हमें उनकी अपार कृपा के बारे में पता चलेगा कि वह पल पल हमारे साथ होते हैं और साथ रहकर हमारी संभाल करते हैं क्योंकि नाम दीक्षा देकर उन्होंने हमारी जिम्मेवारी ली होती है कृपया साखी को पूरा सुनने की कृपालता करें जी ।
गुरु प्यारी साध संगत जी जैसे कि हम जानते हैं कि नाम का प्रचार शुरू से ही होता आया है और संत महात्मा भी शुरू से ही आते रहे हैं नाम का प्रचार करते रहे हैं इस पृथ्वी पर बहुत सारे संत महात्मा आए हैं जिन्होंने नाम की व्याख्या की है उस कुल मालिक के नाम की चर्चा की है जो हमें उस कुल मालिक से जोड़ता है हमें नाम से जोड़ता है नाम की चर्चा करता है वही एक पूर्ण संत महात्मा होता है तो साध संगत जी ऐसे ही एक सत्संगी परिवार था जिन्होंने एक पूर्ण संत महात्मा से नाम दीक्षा ली हुई थी वह अक्सर उनके पास उनके डेरे में जाया करते थे और वहां जाकर सेवा किया करते थे और उनका एक लड़का भी था जब भी वह अपने परिवार के साथ गुरुजी से मिलने जाता था तो अक्सर जब उनके डेरे में जाता था तो दौड़कर उनकी गोद में जाकर बैठ जाता था क्योंकि उसका सतगुरु से बहुत प्रेम था और वह भी उसे बहुत प्रेम करते थे अक्सर उसे खिलाया करते थे वह लड़का जब भी अपने परिवार के साथ उनके पास जाता था तो जो उनके गुरु जी थे वह उस लड़के के लिए कुछ ना कुछ खाने की चीज रखते थे और जब भी वह उनके पास जाता था और दौड़ कर उनकी गोद में बैठ जाया करता था तो उसे वह चीज खाने को देते थे क्योंकि उनका भी उससे बहुत प्रेम था तो ऐसे ही वह अक्सर अपने गुरु जी से बातें किया करते कुल मालिक की बातें करते और वह लड़का भी वही होता था वह भी अक्सर बातों बातों में उनसे कुछ पूछने लग जाता सभी परिवार वालों ने उनसे नाम दीक्षा ली हुई थी और वह लड़का भी कहता था कि मुझे भी आप से नाम लेना है सभी ने लिया है और आप नाम की ही बातें करते रहते हैं मैं भी जानना चाहता हूं कि यह नाम क्या होता है मैंने आपके मुख से अक्सर सुना है कि आप कहते हैं कि जो भी है नाम के सहारे ही है नाम के बिना कुछ भी नहीं है तो मुझे भी आपसे नाम लेना है तो सतगुरु मुस्कुरा पढ़ते और उसे कहते कि जब तू बड़ा हो जाएगा तब तुझे भी नाम मिल जाएगा तो वह सेवा करने लग जाता, पूरा परिवार वहां पर खूब मन से सेवा करता उनका अपने गुरु जी से इतना प्रेम था कि उनका जब भी मन करता तो वह गाड़ी में बैठकर सभी परिवार के साथ गुरुजी के पास चले जाते थे और उनका लड़का गुरुजी के पास डेरे जाने की हठ बहुत करता था बार-बार बोलता था कि मुझे उनके पास जाना है तो एक दिन जब वह सभी परिवार के साथ वहां पर गए तो उन्होंने गुरुजी को जाकर बताया कि हमारा बच्चा आपसे मिलने की बहुत हठ करता रहता है हम इसे बहुत समझाते भी है लेकिन यह मानता नहीं है कभी-कभी तो इसी हठ के कारण खाना भी नहीं खाता, कहता है कि मुझे गुरुजी से मिलना है मुझे उनके साथ खेलना है उनके साथ बातें करनी है अभी मुझे उनके पास ले चलो, ऐसे हठ करने लग जाता है तब इसे बहुत मुश्किल से मनाना पड़ता है फिर जाकर मानता है नहीं तो, हठ करने लग जाता है तो गुरु जी आप ही बताएं कि क्या किया जाए तो उन्होंने बताया कि जहां पर बच्चे का प्रेम होता है बच्चा उसी के पास जाता है बच्चे बहुत कोमल होते हैं जो उन्हें प्रेम करता है उनके साथ खेलता है प्यार करता है बच्चे उसी के पास जाना चाहते हैं उसी के साथ समय बिताना चाहते हैं तो ऐसे ही यह बच्चा भी है तो वह समझ गए कि गुरु जी क्या कहना चाहते हैं तो एक दिन फिर ऐसे ही हुआ लड़का फिर से हठ करने लगा कि मुझे गुरुजी के पास जाना है तो उस दिन उसने खाना भी नहीं खाया उसने कहा कि नहीं मुझे गुरुजी के पास जाना ही है और अभी ही जाना है तो उसके परिवार वालों ने सोच लिया की, अब तो मानेगा नहीं क्यों ना हम गुरुजी के पास चलें वहां पर थोड़ी सेवा भी कर लेंगे और कुछ बातें भी उनसे हो जाएंगी तो वह गाड़ी में बैठकर गुरु जी से मिलने चल पड़े लेकिन रास्ते में उनका एक्सीडेंट हो गया, लड़का ड्राइवर के साथ आगे बैठा हुआ था जैसे कि अक्सर बच्चे हठ करते हैं कि मुझे आगे बैठना है और उसने सीट बेल्ट भी नहीं लगाई हुई थी जिसकी वजह से बच्चे को बहुत गहरी सिर पर चोट आई जिसके कारण उसने वहीं पर प्राण त्याग दिए और साथ ही ड्राइवर को भी बहुत गहरी चोटें आई लेकिन उसके प्राण चल रहे थे, रात का समय था यह सब देख कर उसके परिवार वाले बहुत घबरा गए वहां पर रोना पीटना शुरु हो गया कि यह क्या हो गया सभी परिवार वाले रोने लगे और उस समय उन्होंने गुरु जी को याद किया और उस समय गुरु जी अपने डेरे में सत्संग फरमा रहे थे और सत्संग समाप्त होने वाला था और जिस समय उन्होंने गुरु जी को याद किया उसी समय उनको खबर हो गई साध संगत जी जो पूर्ण संत महात्मा होते हैं उन्हें ब्रह्मांड में क्या-क्या हो रहा है सब मालूम होता है उन्हें कुछ बताने की जरूरत नहीं पड़ती वह अंतर्यामी होते हैं तो जैसे ही उन्हें पता चला की ये सब हो गया है तो वह अंतर्ध्यान हो गए और जो बच्चा सिर पर गहरी चोट के कारण मर गया था वह गुरु जी की कृपा से वापस जिंदा हो गया लेकिन जो ड्राइवर था उसकी मृत्यु हो गई यह सब देख कर सभी परिवार वाले अचंभित रह गए कि यह क्या हो गया और सब हैरान रह गए वह ड्राइवर को हॉस्पिटल लेकर जा ही रहे थे कि रास्ते में ही उसके प्राण छूट गए तो उसके बाद जब उनका लड़का उठ कर बैठ गया तो वह हैरान थे कि यह कैसे हो सकता है तो कुछ दिन बाद वह गुरु जी से मिलने गए और जब वह उनसे मिलने गए तब वह लड़का फिर दौड़ कर गुरु जी की गोद में बैठ गया और उसके परिवार वाले गुरु जी के चरणों पर पड़ गए और रोने लगे कि यह सब आपकी कृपा है हमें पता है कि यह सब आपने किया है और यह सब सुनकर गुरुजी मुस्कुरा पड़े लेकिन उस समय उन्होंने कहा कि इस बच्चे की खातिर हमें उस ड्राइवर की जान लेनी पड़ी उस एक्सीडेंट में किसी एक की मृत्यु होनी अवश्य थी तो यह सब सुनकर वह परिवार वाले हाथ जोड़कर गुरुजी के आगे नतमस्तक हो गए और उनकी आंखों में आंसू थे क्योंकि उनके बच्चे की जान दोबारा वापस आई थी यह सब सुनकर लड़के की मां ने लड़के को गुरु जी की सेवा के लिए दे दिया वह लड़का गुरुजी के पास डेरे में ही रहने लगा और उनकी सेवा करने लगा । साध संगत जी इस घटना से हमें यही पता चलता है कि जो पूर्ण संत महात्मा होते हैं वह कुछ भी कर सकते हैं लेकिन वह करते नहीं हैं मालिक के भाने में रहते हैं लेकिन अगर वह कभी अपनी मौज में होते हैं तो वह कुछ भी कर सकते हैं मालिक और उन में कोई अंतर नहीं है वह कम बोलते हैं कम खाते हैं कम सोते हैं और ज्यादा समय उस कुल मालिक की भजन बंदगी को देते हैं इसलिए मालिक उनके हर वचन को पूरा करने के लिए लग जाता है और उनका कहां गया हर वाक्य अनमोल होता है जिसका कोई मोल नहीं होता और उन्होंने नाम दीक्षा देकर हमारी जिम्मेवारी ली होती है वह हर पल हमारे साथ होते हैं हमारी हर मुश्किल में हमारे साथ खड़े होते हैं वह हमें डोलने नहीं देते, हर प्रकार से हमारी मदद करते हैं तो हमें भी चाहिए कि उनके हुक्म की पालना हमें करनी चाहिए जैसे वह कहते हैं हमें उन के वचन को मानना चाहिए साध संगत जी पूर्ण संत महात्माओं के वचन जो मानता है उसका पार उतारा इस संसार से हो जाता है । साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ,अगर आप साखियां, सत्संग और सवाल जवाब पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखियां, सत्संग और सवाल जवाब की Notification आप तक पहुंच सके ।
By Sant Vachan
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box.