गुरु प्यारी साध संगत जी यह एक सच्ची आप बीती है जो कि एक अभ्यासी सजन की है आज इस साखी में हमें पता चलेगा कि हम कितने भागों वाले जीव हैं जिन्हें एक पूर्ण संत महात्मा से नाम दान की बख्शीश हुई है हमें एक पूर्ण संत महात्मा की शरण मिली है कैसे उन्होंने हमें नाम दीक्षा देकर हमें अपनी शरण बक्शी है, हमें अपने साथ जोड़ लिया और हमारी जिम्मेवारी ले ली, साध संगत जी नाम दान की बख्शीश हो जाना ऐसा है की कुल मालिक ने हमारी झोली में नाम रूपी खजाना डाल दिया है नामदान की बख्शीश कर कर मालिक ने हमें यह बता दिया है कि वह भी हमसे मिलाप करना चाहता है वह भी अपने बच्चों से अब मिलाप करना चाहता है इसीलिए उसने नाम रूपी खजाना एक पूर्ण सतगुरु के हाथ में दिया होता है और वह उन्हीं के माध्यम से हमें वह नाम रूपी दौलत हमें दे देता है ताकि हम उसके नाम का जाप कर कर अपने सच्चे लोग सचखंड जा सके उस कुल मालिक से मिलाप कर सकें तो आज इस साखी में हमें एक सत्संगी सज्जन के कुछ अनुभव सुनने को मिलेंगे जो उन्होंने खुद संगत से सांझा किए तो साध संगत जी साखी को पूरा सुनने की कृपालता करें जी ।
गुरु प्यारी साध संगत जी यह बातें एक सत्संगी सज्जन की है जो उन्होंने अपने कुछ प्रेमियों से सांझा की वह मैं आपसे सांझा करता हूं साध संगत जी वह दिल्ली के रहने वाले हैं उन्हें हाल ही में नाम मिला, उनके इस मार्ग पर चलने का कारण उनके मित्र थे जो कि उनके पड़ोस में रहते थे वह एक सत्संगी परिवार था जिनके घर उनका आना जाना लगा रहता था वह बहुत ही अच्छे मित्र थे । उनकी मित्रता के कारण ही दोनों परिवारों की अच्छी बनती थी एक दूसरे के घर आना-जाना था, साध संगत जी आप तो जानते ही हैं जहां पर मालिक के प्यारे होते हैं जहां पर नाम की कमाई करने वाले होते हैं उनको देखकर और लोग भी प्रभावित होते हैं उनकी रहनी सहनी को देखकर और लोग भी उनसे आकर्षित होते हैं तो ऐसे ही वह उनको देखकर उनसे बहुत प्रभावित होते थे वह अक्सर उनसे पूछते कि आपको नाम मिला है आप नाम की ही चर्चा करते रहते हैं यह नाम क्या होता है, और उसे लेने के लिए क्या-क्या करना पड़ता है और यह कहां से मिलता है यह प्रश्न उन्होंने अपने मित्र से पूछे यह बातें सुनकर पहले तो उनके जो सत्संगी मित्र थे वह मुस्कुरा पड़े उन्होंने कहा कि नाम कोई वस्तु नहीं है कोई पदार्थ नहीं है वह शब्दों में नहीं बताया जा सकता वह जब मिल जाता है तब ही उसका एहसास होता है तो उन्होंने कहा इसका क्या मतलब होता है जब किसी को नाम मिल जाता है तो ऐसे प्रश्न उनसे पूछने लग गए तो उन्होंने कहा कि यह सब प्रश्नों के उत्तर आपको तभी पता चल पाएंगे जब आप इस मार्ग पर चलेंगे तो ऐसे ही वह दोनों बैठे बातें कर रहे थे और उन्होंने कहा कि मैं ज्यादा तो नहीं बता सकता लेकिन आपको थोड़ा सा दृष्टांत दे सकता हूं कि जब हमें नाम दान की बख्शीश हो जाती है जब हमें एक पूर्ण संत महात्मा द्वारा नाम की बख्शीश हो जाती है तो हमें सचखंड लेकर जाना हमें हमारे सच्चे धाम लेकर जाना उनकी जिम्मेवारी हो जाती है वह सतगुरु वह महापुरुष पूरी कोशिश करते हैं कि जिन्होंने उनसे नाम लिया है या फिर जिनको उन्होंने नाम की बख्शीश की है वह अपने सच्चे धाम उस कुल मालिक के पास चले जाएं उस कुल मालिक के साथ उनका मिलाप हो जाए उनका आना-जाना खत्म हो जाए, जीना मरना खत्म हो जाए उन्हें मुक्ति मिल जाए नाम की बख्शीश एक अनमोल दौलत है जिसका कोई मोल नहीं जब यह जीव को हो जाती है तो इसकी खुशी जाहर नहीं की जाती, कुछ सत्संगी प्रेमियों से यह सुनने को मिला है कि जब उन्हें नाम दान की बख्शीश हुई तब उन्हें ऐसा लगा कि दुनिया की अनमोल दौलत हमें मिल गई जिसके हम काबिल भी नहीं थे जिसका कोई मोल ही नहीं है वह अनमोल दौलत हमारे सतगुरु ने हमारी झोली में डाल दी हमें करोड़ों जीवो में से सतगुरु ने वह दौलत हमें दे दी इतनी दुनिया में ऐसे सतगुरु ने हमें ढूंढ कर अपनी कृपा हम पर की और हमें नाम दान की बख्शीश कर दी हमें अपनी शरण बख्श दी और हमें काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार की अग्नि से बचा लिया इस माया की नगरी से हमें बचा लिया ये बातें उन्होंने की, साध संगत जी सत्संगी अभ्यासियों का कहना है की नाम से ऊपर कुछ भी नहीं है अगर आपको एक पूर्ण संत सतगुरु द्वारा नाम की बख्शीश हो गई है तो आप बहुत ही भागो वाले जीव हैं आपको सतगुरु ने इतने करोड़ों जीवो में चुनकर आपको नाम की बख्शीश की है तो आप समझ सकते हैं कि आप कितने भागो वाले हैं कि आपको वह नाम रूपी खजाना मिल गया जिसे पाने के लिए पता नहीं लोग कितनी ठोकरें खाते हैं जगह-जगह घूमते हैं कि उन्हें कहीं से मालिक से मिलाप करवाने वाला एक पूर्ण संत महात्मा मिल जाए जो हमें रास्ता बता सके जो हमारा मार्गदर्शन कर सके साध संगत जी आप देख सकते हैं कि पहले जो समय था तब कैसे लोगों को नाम के लिए भटकना पड़ता था आप देख सकते हैं कि राजा पीपा जी कैसे सतगुरु के पास नाम की भिक्षा मांगने गए थे जबकि वह एक राजा थे वह चाहते तो कुछ भी कर सकते थे लेकिन नहीं, वह एक साधारण व्यक्ति के रूप में एक साधारण व्यक्ति बनकर सतगुरु की कुटिया में पहुंचे और उनसे अर्ज की कि मुझे नाम लेना है मुझे आपसे नाम दान की बख्शीश चाहिए और उस समय सतगुरु ने उनकी इतनी लगन देखकर उनकी मालिक से मिलने की इतनी तड़प देखकर यह फरमा दिया था की वह जो कटोरी में पानी है इसे ग्रहण करो लेकिन उस समय राजा पीपा के मन में कुछ मनो ग्रस्त विचार आ गए कि मैं ऐसे कैसे कर सकता हूं मैं तो एक राजा हूं मैं यह पानी क्यों पीयू, उस समय सतगुरु इतने दयालु हो गए थे कि वह चाहते तो राजा पीपा को उसी समय नाम का रंग चढ़ जाता और सीधा मालिक के धाम पहुंच जाते लेकिन वह भी उनकी मौज थी कुल मालिक की मौज थी कि उनको कुछ देर और भटकना था कुछ देर और अभ्यास करना था तब जाकर उन्हें नाम दान की बख्शीश हुई और उनका कुल मालिक से मिला हुआ, साध संगत जी आज के समय में हमें कितनी आसानी से नामदान की बख्शीश हो जाती है कितनी आसानी से हमें नामदान मिल जाता है हम सोच भी नहीं सकते कि वह नाम रूपी दौलत इतनी आसानी से हमें मिल गई है जिसे पाने के लिए राजे महाराजे तक भटकते थे और हमें इतनी आसानी से वह मिल जाती है तो साध संगत जी नाम दान के बाद हमें सतगुरु के बताए गए नियमों पर चलना होता है जिनसे हमने नाम दान की बख्शीश ली है जो हमारे गुरु हैं जो हमारे महापुरुष हैं उनके बताए गए नियमों पर हमें चलना होता है उनकी बताई गई बातों पर हमें चलना होता है जो वह कहते हैं वैसा करना होता है क्योंकि गुरु का हुक्म ही मालिक का हुक्म है अगर हम अपने सद्गुरु को एक साधारण जीव समझते हैं तो वह हमारी सबसे बड़ी भूल है क्योंकि वह कोई साधारण जीव नहीं है वह कोई शरीर नहीं है वह तो खुद मालिक है वह तो खुद रब है हमारे लिए इस सृष्टि पर आते हैं केवल हमारा उद्धार करने के लिए, उनका और कोई मकसद नहीं होता वह तो चाहते हैं कि मेरे प्यारे जीव इस जन्म मरण के चक्कर से मुक्त हो जाएं वापस अपने धाम सचखंड चले जाएं इसलिए वह केवल नाम का प्रचार करते हैं और ज्यादा से ज्यादा जीवो को नाम सिमरन करने के लिए भजन सिमरन करने के लिए प्रेरित करते हैं तो साध संगत जी नाम दान के बाद यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हमें उनके बताए गई बातों पर चलना है या नहीं अगर जीव का उनसे प्यार है अगर जीव का उस कुल मालिक से प्यार है तो वह कभी भी नाम सिमरन में नागा नहीं डालता भजन सिमरन में कभी नागा नहीं डालता वह रोजाना बताई गई बातों पर अमल करता है और अपने सतगुरु की खुशियां हासिल करता है नाम दान देकर सतगुरु ने अपनी तरफ से सभी फर्ज निभा दिए उस कुल मालिक ने हमें वह सभी कुछ बता दिया वह नाम रूपी दौलत हमें दे दी उसके बाद बारी हमारी होती है हमें उसके ऊपर चलना होता है सतगुरु की बताई गई बातों पर हमें चलना होता है लेकिन बड़े ही अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि हम में से कुछ सत्संगी हैं जो सतगुरु की बताई गई बातों पर नहीं चलते नाम सिमरन नहीं करते भजन सिमरन नहीं करते । साध संगत जी उनकी यह बातें सुनकर वह बहुत ही प्रभावित हुए उस दिन उन्हें ऐसा लगा की उन्हें सत्य का ज्ञान हो गया जैसे की एक झलक उन्हें मिल गई और उनके अंदर तड़प पैदा हुई कि उन्हें भी नाम लेना चाहिए, रोहानियत से जुड़ना चाहिए तो उन्होंने अपने मित्र से कहा कि मुझे भी नाम लेना है मुझे भी रोहानियत से जुड़ना है तो कुछ देर बाद उन्हें नाम की बख्शीश हो गई और जैसे कि आप जानते हैं कि नाम की बख्शीश के समय जो संत सतगुरु द्वारा बताया जाता है उसका हमें पालन करना होता है तो ऐसे ही उन्होंने भी वह सभी बातों का पालन करना शुरू किया जैसे कि बताया जाता है कि इतनी देर सिमरन करना है और रोजाना करना है तो उन्होंने भी रोजाना सिमरन करना शुरू कर दिया और उनको देखकर उनके परिवार वाले भी प्रभावित हुए और वह भी इस मार्ग पर चलने लग पड़े तो उनका परिवार भी एक सत्संगी परिवार हो गया और वह रोजाना भजन सिमरन करने लगे और उन्होंने सत्संग भी बहुत सुन लिए थे जिसके कारण उन्हें रूहानियत के बारे में बहुत ज्ञान हो चुका था तो ऐसे ही एक दिन जब वह भजन सिमरन कर रहे थे तो उन्होंने कहा कि मुझे ऐसे लग रहा था कि जैसे कि कोई मेरे मार्ग में बाधा बन रहा हो कोई मेरे भजन सिमरन में रुकावट डाल रहा हो और मुझे डराने की कोशिश कर रहा हो और उन्होंने कहां कि जब भी मैं सिमरन पर बैठता हूं तब मेरे अंदर से मन कहता है कि मत बैठो या फिर मन मना करता है ऐसा लगता है कि कोई मुझे रोक रहा हो और जब भी मैं बैठता हूं एक काला साया सामने आ जाता है जिसको देख कर मैं डर जाता हूं और आवाज आती है कि मत बैठो और मन उठने को करता है और कभी-कभी तो मैं अपनी तरफ देखकर अपने से ही प्रश्न पूछता हूं कि मैं इतना बदल गया हूं मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि मैं इस मार्ग पर चलूंगा, यही बात उन्होंने अपने मित्र से की और जब यह बातें उन्होंने अपने वह सत्संगी मित्र से की तो वह समझ गए थे कि इनकी क्या समस्या है इनके साथ क्या हो रहा है तो उन्होंने कहा कि जब जीव को सतगुरु द्वारा नाम की बख्शीश हो जाती है तब जीव नाम सिमरन में बैठना शुरु करता है भजन सिमरन में बैठना शुरु करता है और कुछ जीवो के साथ ऐसा होता है कि उनसे नहीं हो पाता उनसे नाम सिमरन नहीं हो पाता और ऐसा लगता है कि कोई उनके रास्ते में रुकावट डाल रहा है तो इससे डरने की जरूरत नहीं है वह रुकावटें काल की होती है वह इसलिए होती हैं क्योंकि पहले हम उसके अधीन थे और जब हमें नाम की बख्शीश हो गई तब हम अपने सतगुरु के अधीन हो गए कुल मालिक के अधीन हो गए और यह सब देख कर उसको अच्छा नहीं लगता और यह जायज सी बात है कि जब हम किसी के अधीन हो और एकदम से हमें समझ आ जाए, माया का पर्दा आंखों से हट जाए और हम सही मार्ग पर चलना शुरू कर दें तो जिसके हम अधीन थे तो वह हमारे मार्ग में रुकावट तो डालेगा ही वह तो नहीं चाहेगा कि ये जीव मेरे दायरे से छूट कर कुल मालिक से मिलाप कर ले वह चाहता है कि यह मेरे ही अधीन रहे इसी मोह माया में यह जीव फंसे रहे और यह बार-बार आते रहे बार-बार जन्म लेते रहे और मेरे अधीन रहे लेकिन जब एक पूर्ण संत महात्मा द्वारा हमें नाम की बक्सीश हो जाती है तब हमारे ऊपर इसका जोर नहीं चलता वह कुल मालिक हमारी संभाल करता है वह सतगुरु हमारी संभाल करता है तो हमें इससे डरने की जरूरत नहीं है हमें अपने सतगुरु पर पूरा विश्वास होना चाहिए हमें इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है वह हमें कुछ नहीं कह सकता क्योंकि हमारी जिम्मेवारी उस कुल मालिक ने ले ली है सतगुरु ने ले ली है तो यह हमें कुछ नहीं कर सकता इसलिए तो कहा जाता है कि आप अपना काम करो, मन को अपना काम करने दे, काल को अपना काम करने दें आप केवल नाम सिमरन पर ध्यान दें बाकी सब उस कुल मालिक पर छोड़ दें ,तो आपको भी इससे डरने की जरूरत नहीं है आप की जिम्मेवारी पूर्ण संत सतगुरु ने ले ली है वह आपको कुछ नहीं होने देंगे, वह आपकी संभाल करेंगे और जिन की जिम्मेवारी एक पूर्ण संत सतगुरु ले लेता है उनका कोई भी ताकत बाल भी बांका नहीं कर सकती तो साध संगत जी हमें भी अपने सतगुरु के कहे अनुसार नाम की कमाई करनी है शब्द की कमाई करनी है रोजाना उस कुल मालिक की भजन बंदगी के लिए समय निकालना है बिना नागा उसकी भजन बंदगी करनी है और अपने सतगुरु पर पूरा विश्वास बनाए रखना है वह हमारी लाज जरूर रखेगा ।
साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ,अगर आप साखियां, सत्संग और सवाल जवाब पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखियां, सत्संग और सवाल जवाब की Notification आप तक पहुंच सके ।
By Sant Vachan
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