ये लीला जरूर सुने । जब एक सत्संगी परिवार का लड़का नामदान लेकर शराब पीने लग पड़ा । एक रूहानी साखी


गुरु प्यारी साध संगत जी यह साखी एक सच्ची आप बीती है जो कि एक सत्संगी परिवार से एक लड़के की है जिसने 2017 में अपनी मैकेनिकल की डिग्री प्राप्त की और उसने और भी बहुत सारे कोर्स किए हुए थे उसे मशीनों को ठीक करना, मशीनों के बारे में तरह-तरह की जानकारियां लेना अच्छा लगता था उसे मशीनों से एक तरह का प्यार था वह कुछ ना कुछ करता रहता उसने अपने घर पर भी एक गिराज बना रखा था जहां पर वह मशीनों से छेड़छाड़ करता और कुछ ना कुछ करता रहता और उसे एक अच्छी जॉब की तलाश थी क्योंकि उसने बहुत सारी पढ़ाई की हुई थी तो उस लड़के के माता-पिता ने कहा कि बेटा अब तूने अपनी सारी पढ़ाई पूरी कर ली है अब तेरी उम्र भी हो गई है
अब तुझे नाम दान के लिए पेश होना चाहिए, नाम लेना चाहिए तो उसने अपने घर वालों की यह बात मानकर नाम ले लिया और वह जॉब की तलाश में था साध संगत जी आप तो जानते ही हैं की जॉब लेने के लिए कितना कुछ करना पड़ता है तब जाकर जॉब मिलती है और इस दौर में तो जॉब मिलना बहुत ही मुश्किल है और अगर मिलती भी है तो उसमें एक अच्छी सैलरी नहीं होती, व्यक्ति की जरूरतें पूरी नहीं होती क्योंकि साध संगत जी आजकल सभी बच्चों की यही कोशिश रहती है कि वह ज्यादा से ज्यादा पढ़ाई करें ताकि उन्हें एक अच्छी जॉब मिल सके लेकिन जब किसी ने बहुत सारी पढ़ाई की हो किसी चीज की कमी नहीं रह गई हो और अगर उसे जॉब ना मिले तो उसके मन को दुख तो लगता ही है, परेशानी भी रहती है, घर वाले भी परेशान रहते हैं कि लड़के ने इतनी पढ़ाई की है लेकिन कोई अच्छी जॉब नहीं मिल रही तो उस लड़के के साथ भी ऐसा ही हुआ वह परेशान रहने लगा उसके पास किसी चीज की कमी नहीं थी उसने एक अच्छी पढ़ाई की हुई थी सब कुछ उसके पास था लेकिन वह जहां भी जाता या तो फिर उसे एक अच्छी सैलरी नहीं मिलती या फिर उसे जॉब देने के लिए मना कर दिया जाता, साध संगत जी यह तो जाहिर सी बात है कि अगर कोई अच्छी पढ़ाई करता है तो एक अच्छी सैलरी पाना उसका हक बनता है और अगर ऐसा ना हो तो उन्हें ठेस पहुंचती है तो इस लड़के के साथ भी ऐसा ही हुआ अगर कोई कंपनी उसे जॉब देती तो उसका सैलरी पैकेज इतना अच्छा नहीं होता जिसकी वजह से वह परेशान रहने लगा इसी परेशानी के कारण इसी दुख के कारण उसने शराब पीनी शुरू कर दी क्योंकि साध संगत जी जब भी व्यक्ति को दुख होता है तो वह ऐसी चीजों का सेवन करना शुरू कर देता है क्योंकि हमारे अंदर वह ताकत नहीं होती कि हम इन परिस्थितियों से लड़ सके इनका सामना कर सकें और हम डोल जाते हैं और डोलकर मन के पीछे लग कर ऐसे कार्यों में लग जाते हैं ऐसी चीजों का हम सेवन करना शुरू कर देते हैं लेकिन जिन पर मालिक की कृपा होती है जो मालिक के प्यारे होते हैं वह किसी भी परिस्थिति में डोलते नहीं क्योंकि उन्हें मालिक पर विश्वास होता है मालिक पर भरोसा होता है क्योंकि उसके घर देर हो सकती है अंधेर नहीं हो सकती वह डोलते नहीं है वह प्रयास करते रहते हैं वह अपना कर्म करते रहते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि हमारे हाथ में केवल कर्म करना ही है फल देना तो मालिक के हाथ में है हमारा काम है केवल कर्म करना और यहां तक कि यह भी कहा गया है कि अगर मनुष्य प्रयास करता रहे वह बिना रुके प्रयास करता रहे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहे तो मालिक उस पर मेहरबान होता है उसकी लगन को देखकर उसकी मेहनत को देखकर मालिक वह भी उसे दे देता है जो उसके कर्मों में नहीं होता इसलिए तो कहा जाता है कि भाई हमें केवल मेहनत करनी है फल की इच्छा हमें नहीं रखनी फल मालिक के हाथ में होता है लेकिन हममें से कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें पूरा सतगुरु मिला है और वह फिर भी डोल जाते हैं वह परिस्थितियों का सामना नहीं कर पाते तो इस लड़के के साथ भी ऐसा ही हुआ, उसने शराब पीनी शुरू कर दी, बुरी संगत में जाना शुरू कर दिया, साध संगत जी जैसी संगत होती है वैसा ही मन प्रभाव लेता है उसकी इन्हीं हरकतों को देखकर घर वाले भी उसे परेशान रहने लगे कि हमारा लड़का किस तरफ जाने लग गया इसे क्या हो गया यह तो अच्छा भला था उन्होंने उसे बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं माना क्योंकि साध संगत जी  जब ऐसी चीजों का हम सेवन करना शुरू कर देते हैं तो उनसे छूट पाना इतना आसान नहीं होता मालिक की कृपा हो तो ही हम इन्हें छोड़ सकते हैं नहीं तो हम इनके आदि बन जाते हैं हमें एक प्रकार की लत लग जाती है जिसे चाह कर भी हम नहीं छोड़ सकते वह तो उस कुल मालिक की कृपा हो तो ही हम इन चीजों से परहेज कर सकते हैं इनसे दूर रह सकते हैं और उस लड़के ने इन्हें छोड़ने की कोशिश की कि मैं शराब को छोड़ दूं लेकिन वह चाह कर भी ऐसा नहीं कर पाता क्योंकि उसकी संगत ही ऐसी हो गई थी और उसके घर वाले उसे परेशान रहने लगे उसके माता-पिता उससे परेशान रहने लगे और वह उसे डांटने लगे साध संगत जी जी उसके माता-पिता कमाई वाले थे और माता-पिता हमेशा ही यह चाहते हैं कि उनके बच्चे एक अच्छे इंसान बने दूसरों की मदद करने वाले बने और मालिक के प्यारे बने, उसकी मां ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माना उसकी मां हर समय मालिक के आगे यही फरियाद करती थी कि मेरे बच्चे को एक सही मार्गदर्शन देना उसकी संभाल करना साध संगत जी मां तो मां ही होती है उसका बच्चा चाहे कितना ही गलत क्यों ना हो लेकिन मां की ममता में कभी भी कोई कमी नहीं आती वह फिर भी अपने बच्चे को प्यार करती है उसे सुधारने की कोशिश करती है उसकी मां ने भी वैसा ही किया वह रोजाना भजन सिमरन के बाद मालिक के आगे फरियाद करती कि मेरे बच्चे की संभाल करना तो एक दिन वह लड़का अपने किसी मित्र के साथ बाहर गया था और उसका एक्सीडेंट हो गया उस एक्सीडेंट में लड़के के सिर पर बहुत गहरी चोट आई और उसका जो मित्र था उसकी तो वहीं पर मृत्यु हो गई यह देखकर वह घबरा गया और वहां पर मौजूद लोगों ने लड़के को तुरंत अस्पताल पहुंचाया लेकिन उसकी जान बच गई डॉक्टरों ने कहा कि अगर इसे हस्पताल ले आने में थोड़ी देर और हो जाती तो इसकी जान भी चली जाती क्योंकि खून बहुत बह चुका था उसकी मां भी अस्पताल पहुंची उसकी मां अपने बेटे की ऐसी हालत देखकर रोने लग पड़ी और मालिक के आगे फरयाद करने लगी जब लड़के को पता चला कि मेरे साथी की मृत्यु हो गई और मैं बच गया उसे समझ आ गई की ये केवल और केवल मेरी मां के कारण ही हुआ है मेरी मां ने आज मेरी जान बचाई है क्योंकि साध संगत जी जब भी माता-पिता भजन सिमरन करते हैं मालिक की याद में बैठते हैं तो उसका प्रभाव उनके बच्चों पर भी होता है अगर हमारे माता पिता इस रूहानियत के मार्ग पर चले हुए हैं ज्यादा से ज्यादा समय सेवा में देते हैं सत्संग में देते हैं भजन सिमरन में देते हैं तो उसका प्रभाव बच्चों पर भी रहता है मालिक उनकी तो संभाल करता ही है उनके बच्चों की भी संभाल करता है क्योंकि यह उसकी जिम्मेवारी हो जाती है तो लड़के को समझ आ गई कि यह केवल मेरी मां का आशीर्वाद मेरे साथ था कि मैं बच गया नहीं तो मेरे मित्र के साथ मेरी भी मृत्यु होनी थी उसे समझ आ गई और जब वह ठीक हुआ अपनी मां के चरणों में गिर पड़ा और रोने लग गया उसकी मां ने उसके सिर पर हाथ रखा और उस कुल मालिक के आगे फरियाद की, उसके बाद उस लड़के ने शराब पीनी छोड़ दी और कुछ ही दिनों बाद उसे एक अच्छी कंपनी से जॉब का ऑफर दिया गया जिसे देखकर वह बहुत ही खुश हुआ और उसने उस कुल मालिक का धन्यवाद किया, मालिक का शुक्र की और उसे यह भी समझ आ गया कि मालिक के घर में देर हो सकती है अंधेर नहीं हो सकता अगर हमारा कोई काम नहीं बन रहा, कहीं पर भी कोई बात नहीं बन रही तो हमें यह समझ लेना चाहिए कि हमारे लिए मालिक ने कुछ अच्छा ही करना है इसलिए इतना समय लग रहा है ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ,अगर आप साखियां, सत्संग और सवाल जवाब पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखियां, सत्संग और सवाल जवाब की Notification आप तक पहुंच सके ।

By Sant Vachan


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