एक सच्ची साखी । एक सत्संगी का दुकान खुली छोड़कर सेवा पर चले जाना । जरूर सुने जी by Sant Vachan

गुरु प्यारी साध संगत जी यह साखी एक सेवादार की है जो कि एक सज्जन पुरुष है और उन्हें नाम मिला हुआ है और उनकी कपड़े की दुकानें हैं लेकिन उनकी लगन सेवा के प्रति सिमरन के प्रति इतनी है कि अगर उन्हें सेवा का बुलावा आ जाए सेवा का अगर उन्हें हुकम आ जाए तो वह दुकानें खुली छोड़ कर बिना कोई परवाह किए सेवा पर चले जाते हैं इतना उन्हें कुल मालिक से प्यार है इतना उनका गुरु की संगत से प्यार है तो आज हमें इस साखी में पता चलेगा कि अगर हम भी सेवा करते हैं संगत की सेवा करते हैं गुरु घर की सेवा करते हैं तो कुल मालिक कैसे हमारी संभाल करता है कैसे हमारी मदद करता है कैसे हमारे अंग संग रहकर हमारी संभाल करता है तो साखी को पूरा सुनने की कृपालता करें जी ।
साध संगत जी हममें से कुछ सज्जन अभ्यासी ऐसे हैं जिनकी लगन मालिक की तरफ ज्यादा है मालिक की सेवा के प्रति, मालिक के नाम सिमरन के प्रति ज्यादा है और दुनिया की तरफ कम है चाहे ही वह कितने ही बिजनेस क्यों ना करते हो कितने ही धनवान क्यों ना हो लेकिन वह समय निकालकर गुरुघर की सेवा करते हैं मालिक के नाम का जाप करते हैं चाहे ही वह कितने ही व्यस्त क्यों ना हो उनकी दिनचर्या जैसी भी हो फिर भी वह मालिक की भजन बंदगी के लिए समय निकालते हैं ऐसे सज्जन अभ्यासी हैं जिन का मालिक से इतना प्यार है और मालिक ने उन्हें बहुत कुछ दिया है किसी चीज की कमी वह उन्हें नहीं रहने देता जो जीव सब कुछ होते हुए, एक अच्छा पैसा होते हुए, एक अच्छा परिवार होते हुए और एक अच्छी ऐशो आराम की जिंदगी होते हुए वह उस में डूबता नहीं, माया की गहरी नींद में डूबा नहीं, सब कुछ होते हुए उस कुल मालिक को याद करते हैं उसे भुलाते नहीं क्योंकि साध संगत जी अक्सर देखा गया है जब भी आदमी के पास उसकी जरूरत से ज्यादा पैसा आ जाता है, ऐसो आराम आ जाता है या फिर अन्य दुनिया के पदार्थ आ जाते हैं जो कि उसकी जरूरत से ज्यादा है तो वह उसमें डूब जाता है माया की गहरी नींद में चला जाता है उसे सत्य का ज्ञान ही नहीं रहता उसे मालिक का नाम ही भूल जाता है तो वह मालिक से दूर हो जाता है वह यह भूल जाता है कि आज मेरे पास जो भी है मालिक की कृपा से ही है उसकी कृपा से ही है, देने वाला वह एक ही है उसकी मर्जी है जिसको जो चाहे वह दे देता है उसकी मर्जी है कि वह दिया हुआ छीन भी लेता है और जब छीन लेता है तो हमें दुख होता है हम रोते हैं चिलाते हैं लेकिन जो मालिक की याद में बैठते हैं उसकी भजन बंदगी करते हैं उनके लिए सुख दुख नहीं होता, वह सुख-दुख के पार चले जाते हैं वह मालिक के भाने को मान कर चलते हैं वह मालिक के हुक्म में रहते हैं और आनंदित रहते हैं इसलिए मालिक उन्हें कोई दुख आने भी नहीं देता और उनके पास किसी भी चीज की कोई कमी नहीं होती जो मालिक की भजन बंदगी करते हैं मालिक के घर की सेवा करते हैं नाम का प्रचार करते हैं मालिक की बातें करते हैं मालिक उन्हें किसी भी चीज की कमी नहीं रहने देता उनका परमार्थ भी बना देता है उनका स्वार्थ भी बना देता है तो साध संगत जी ऐसे ही एक सज्जन अभ्यासी हैं जो कि एक बहुत ही अच्छे सेवादार हैं उनकी लगन रुहानियत की तरफ इतनी है कि अगर उन्हें रात के समय भी सेवा का हुक्म आ जाए तो वह रात को भी सेवा पर चले जाएंगे, चाहे ही वह कितनी ही गहरी नींद क्यों ना सोए हो क्योंकि उन्हें अपने गुरु से प्यार है मालिक से प्यार है उनके अंदर तड़प है मालिक के नाम की, उस कुल मालिक की, जो ऐसे सज्जन अभ्यासी होते हैं मालिक उन पर अपनी कृपा सदा ही अपार रखता है उन्हें कोई दुख तकलीफ नहीं आने देता उन्हें किसी चीज की कमी नहीं रहने देता हर पल उनकी संभाल करता है हर पल उनके अंग संग रहता है तो वह भी जब भी उन्हें सेवा का हुक्म हो चले जाते हैं चाहे वह अपनी दुकान पर क्यों ना हो उनकी कपड़े की दुकान है और करीब 50 से ज्यादा लोग उनकी दुकानों पर काम करते हैं उनका बिज़नेस ऐसा है कि अगर उनके स्थान पर कोई और हो वह चाहकर भी अपने बिजनेस को छोड़ नहीं सकता क्योंकि साध संगत जी आप तो जानते ही हैं कि जो बिजनेस क्लास के लोग होते हैं उन्हें एक पल का भी समय मिल नहीं पाता वह अपने लिए भी समय बहुत ही मुश्किल से निकालते हैं वह दिन भर काम में रहते हैं उन्हें कभी भी फुर्सत नहीं मिलती उनका पूरा दिन केवल काम में ही चला जाता है बिजनेस में ही चला जाता है लेकिन जिसके अंदर मालिक के नाम की तड़प हो मालिक का प्यार हो गुरु का आशीर्वाद हो वह अपने बिजनेस के साथ उस कुल मालिक की याद में भी बैठता है गुरु घर की सेवा भी करता है संगत की सेवा भी करता है और मालिक ऐसे जीवो से बहुत खुश होता है जो ऐसे बैलेंस रखकर जीवन में चलते हैं और मालिक उन्हें बहुत ही खुशियां देता है किसी चीज की उन्हें कोई कमी नहीं रहने देता तो वह भी ऐसे ही हैं किसी चीज की उन्हें कोई कमी नहीं है सब कुछ उनका अच्छा है लेकिन वह गुरु घर की सेवा नहीं छोड़ते तो 1 दिन क्या हुआ कि उन्हें ऐसे ही सेवा का हुक्म हुआ वह तुरंत सेवा पर चले गए और जल्दी जल्दी में अपनी दुकान पर काम करने वाले लोगों को बताना भूल गए कि मैं सेवा पर जा रहा हूं तो वह सेवा पर चले गए और उन्होंने बहुत ही लग्न से गुरु घर की सेवा की, सेवा के बाद जब वह वापस घर आए, घर से दुकान पर गए तो उन्होंने दुकान पर जाकर अपना खाता देखना शुरू कर दिया कि आज कितने सामान की सेल हुई है तो जब वह देखने लगे तो वहां पर एक बहुत बड़ा ऑर्डर उन्हें मिला हुआ था और वह आर्डर पास भी हो गया था यह जानकर वह बहुत ही हैरान थे कि मैं तो सेवा पर था यह आर्डर को किस ने पास कर दिया मुझे तो कोई फोन नहीं आया लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है कि मेरी इजाजत के बिना, आर्डर पास हो गया हो तो उन्होंने दुकान पर काम करने वाले लोगों से पूछा उनमें से एक ने कहा सेठ जी आप कैसी बात कर रहे हो यह आर्डर आपने ही तो पास किया है जब शर्मा जी दुकान पर यह आर्डर देने आए थे तब आप दुकान पर ही तो थे मैं आप के बगल में खड़ा था और आपने मेरे सामने ही यह आर्डर उनसे लिया था और अब आप पूछ रहे हो कि यह आर्डर पास किसने किया तो यह बात सुनकर वह हैरान रह गए और वह चुप हो गए वह जान गए कि मैं तो सेवा में लीन था ये अवश्य ही उस कुल मालिक की कृपा है उसी ने मेरी जगह आकर मेरा काम संभाला है वह समझ गए और जब वह घर गए जोर जोर से रोने लगे की है मालिक तू इतना दयालु है तुझे अपने भक्तों प्यारों की इतनी परवाह है कि उन्हें कोई नुकसान ना हो जाए वह बहुत रोए और उनकी लग्न मालिक के प्रति और बढ़ गई, साध संगत जी उनका स्वभाव इतना अच्छा है कि अगर उनकी दुकान कभी-कभी बंद भी हो तो लोग उनके घर चले आते हैं कि हमें यह सामान चाहिए या फिर यह कपड़े चाहिए उनके घर आकर उनको आर्डर दे जाते हैं वह केवल इसलिए क्योंकि उनका स्वभाव बहुत ही अच्छा है मालिक से जुड़े हैं उनकी वाणी बहुत ही मीठी है और जो मालिक से जुड़े होते हैं मालिक के नाम का जाप करते हैं उन पर मालिक की कृपा तो रहती ही है और उनकी वाणी अपने आप मीठी हो जाती हैं वह लोग अक्सर लोगों को पसंद आते हैं जो मालिक से जुड़े होते हैं क्योंकि साध संगत जी अगर कोई गुलाब का फूल होता है तो उसकी सुगंध तो फैलती ही है लोगों को आकर्षित तो करती ही है तो ऐसे ही मालिक के भक्त और मालिक के प्यारे भी उसके गुलाब के फूल होते हैं जिनके अंदर मालिक के नाम की खुशबू होती है और वह खुशबू लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है और लोग अपने आप उनकी तरफ खिंचे चले आते हैं और उनसे प्यार करने लग जाते हैं तो ऐसा उनके साथ होता है जब भी किसी ने कोई समान लेना हो किसी के घर शादी हो और उन्हें कपड़े लेने हो और अगर उनकी दुकान बंद भी हो तो वह उनके घर चले जाते हैं कि हमें यह सामान चाहिए यह आप हमें भिजवा दीजिए इतनी उन पर मालिक की कृपा है साध संगत जी उनके मन में सेवा करते समय कभी भी अहंकार की भावना नहीं आई उन्हें देखकर कोई भी यह नहीं कह सकता कि यह एक बहुत बड़े आदमी है उनका स्वभाव बहुत ही अच्छा है अहंकार रहित है मन में कोई अहंकार नहीं है हर किसी से बहुत ही प्यार से बात करते हैं कभी किसी बात का अहंकार नहीं करते और दूसरों की मदद के लिए हमेशा ही तैयार रहते हैं क्योंकि साध संगत जी जो दूसरों की मदद करता है मालिक उसकी मदद करता है साध संगत जी आज इस साखी से हमें भी यही सीखना चाहिए कि अगर हम पर मालिक की कृपा है मालिक ने हमें सब कुछ दिया है तो हमें उसे नहीं भूलना चाहिए हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि देने वाला वह एक है अगर वह दे सकता है तो वह छीन भी सकता है हमें उसकी भजन बंदगी को समय जरूर देना चाहिए हमें सेवा के लिए समय जरुर निकालना चाहिए और हमारे मन में किसी तरह का भी कोई भी अहंकार नहीं होना चाहिए, हर पल हमें उस मालिक का शुक्र करना चाहिए कि तूने हमें अपनी शरण बख्श दी नहीं तो हमारा पता नहीं क्या होता ।
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