साध संगत जी, आज की साखी इस समय के हालात को देखते हुए आप जी से सांझा करना चाहता हूं साध संगत जी जैसे कि आप सभी जानते हैं कि कैसे पहले संगत गुरु घर जाया करती थी सत्संग सुना करती थी सेवा किया करती थी संगत कितनी खुश थी लेकिन जब से यह महामारी आई है तब से सभी बहुत परेशान हैं संगत गुरु घर जाने के लिए तड़प रही है सतगुरु के दर्शनों के लिए तड़प रही है सत्संग सुनने के लिए तड़प रही है और दूसरी तरफ इस महामारी के जाने का कोई नाम नहीं जिसके कारण सभी बहुत परेशान हैं
सभी बहुत दुख तकलीफ में है तो साध संगत जी ऐसे हालातों को देखते हुए संगत कैसे जोरों से भजन सिमरन कर रही है और कई जगह तो ऐसे नियम बने हुए हैं की संगत किसी एक सत्संगी के घर इकट्ठी होती है वहां जाकर वह मालिक की याद में बैठते हैं शब्द सुनते हैं शब्द पढ़ते हैं और अगर किसी सत्संगी का कोई सवाल होता है तो उसका जवाब भी उसे संगत में मिलता है जो कि कमाई वाले हैं वह जीव उस अभ्यासी का जवाब देते हैं उस का मार्गदर्शन करते हैं तो ऐसे संगत ने यह नियम बना रखा है क्योंकि अब वह गुरुघर तो जा नहीं सकते और इसी बात को देखते हुए उन्होंने यह नियम बना रखा है कि वह किसी एक के घर इकट्ठे होते हैं और जो माहौल गुरु घर में होता था वही महोल वहां पर पैदा करने की कोशिश करते हैं ताकि उन्हें शांति मिल सके उन्हें सकून मिल सके और संगत का प्यार मिल सके क्योंकि साध संगत जी रुहानियत चीज ही ऐसी है कि अगर हम गुरु घर जाते हैं हमारा संगत से बहुत प्यार है तो हम चाह कर भी संगत से दूर नहीं रह सकते हमारा इतना प्यार संगत से बन जाता है तो इसी बात को देखते हुए संगत ने यह नियम बनाया है कि कुछ सत्संगी बैठकर मालिक का भजन सिमरन करते हैं शब्द पढ़ते हैं तो ऐसे ही एक घर में सभी सत्संगी इकट्ठे होते हैं मालिक का सिमरन करते हैं और संगत को साखियां सुनाते हैं तो ऐसे ही कुछ अभ्यासी हैं जो कि अपने प्रश्न संगत के आगे रखते हैं और जो कमाई वाले हैं वह उन प्रश्नों का जवाब देते हैं तो ऐसे ही किसी अभ्यासी ने एक प्रशन वहां पर रखा वह मैं आपसे सांझा करता हूं उन्होंने कहा कि जैसे की हम सभी जानते हैं कि इस महामारी के कारण सभी का कितना नुकसान हुआ है सभी कितनी दुख तकलीफ में है और कुछ लोग तो यह कहते हैं कि इस वर्ष कुछ भी अच्छा नहीं हुआ है इस वर्ष हमें बहुत दुख तकलीफ झेलनी पड़ी है तो मैं जानना चाहता हूं कि क्या यह ऐसे ही रहेगा ? यह महामारी कब खत्म होगी ? क्या इससे हमें छुटकारा मिल पाएगा ? क्योंकि जब से हमने गुरु घर जाना बंद किया है वह माहौल कहीं मिलता ही नहीं जो संगत में जाकर मिलता है कैसे हम पहले गुरु घर जाया करते थे सभी को कितने प्रेम और प्यार से बुलाते थे सत्संग सुनते थे सेवा करते थे कितना अच्छा माहौल वहां पर बना होता था लेकिन जब से यह महामारी आई है हम सभी घर पर कैद हो गए हैं मन टिकता नहीं है जैसे कि जीवन से शांति ही चली गई है तो मैं आपसे यही जानना चाहता हूं कि इसका कोई हल है क्या यह खत्म हो पाएगी तो साध संगत जी उनके इस प्रश्न का जवाब वहां पर एक बुजुर्ग ने बहुत ही अच्छे तरीके से उन्हें दिया आप जी कहते हैं कि यही प्रश्न एक बार सन 1920 में किसी अभ्यासी ने सतगुरु के आगे रखा था और तब भी एक महामारी आई थी और ऐसे ही मनुष्य जाति का नुकसान कर कर गई थी तब भी बहुत लोग परेशान हुए थे तो उस स्थिति को देखते हुए एक अभ्यासी ने सतगुरु से तब पूछा था कि सतगुरु यह महामारी कब खत्म होगी ? कब हमें इससे छुटकारा मिलेगा ? क्योंकि अब और नहीं रहा जाता मुझसे तो बिल्कुल भी नहीं रहा जाता क्योंकि मैं हफ्ते में एक या दो बार आप के दर्शन करने आ जाता हूं तो यह बहुत बड़ी परेशानी है तो तब सतगुरु ने एक कहानी के माध्यम से बहुत अच्छे तरीके से उस अभ्यासी को जवाब दिया था उसे समझाया था वह कहानी उन्होंने उस अभ्यासी को सुनाई थी जो आपसे सांझा करने जा रहा हूं साध संगत जी आप जी कहते हैं की एक राजा था और उसकी सभा में बहुत बुद्धिमान लोग थे लेकिन वह राजा का एक प्रश्न का उत्तर नहीं दे पा रहे थे जो कि राजा ने उनके आगे रखा था राजा ने उनसे कहा था कि कोई ऐसा सूत्र बताओ जो हर समय मेरे काम आ सके, सुख में भी दुख में भी, हार में भी जीत में भी और वह सूत्र छोटा होना चाहिए बड़ा नहीं जैसे कि कितने बड़े-बड़े शास्त्र हैं इतना बड़ा नहीं ! वह छोटा ही होना चाहिए तो ऐसा कोई सूत्र हो तो मुझे बताओ तो उसकी सभा में बहुत बुद्धिमान लोग थे लेकिन उनमें से किसी ने भी राजा के इस प्रश्न का उत्तर नहीं दिया तो राजा ने उन्हें हुक्म दिया कि जाओ इस प्रश्न का उत्तर मेरे पास लेकर आओ वह सूत्र मेरे पास लेकर आओ जो हर समय मेरे काम आ सके । तो उस समय वह जो सभी विद्वान थे जब उनके पास इसका कोई हल नहीं मिला जब उन्होंने सब कर कर देख लिया लेकिन उन्हें उस प्रश्न का जवाब नहीं मिला उन्हें वह उत्तर नहीं मिला तो उन्होंने कहा कि क्यों ना हम उस महात्मा के पास चले जो हमारे गांव मे आए हुए है और उनसे ही वह सूत्र लेते हैं उनसे पूछते हैं कि ऐसा क्या हो सकता है जो कि राजा के हर समय काम आ सके, तो उन्होंने राजा को बताया कि हमारे गांव में एक महात्मा आए हुए हैं कृपया अगर आप उनसे भेंट कर ले तो शायद आपको वह सूत्र मिल जाए जो आप चाहते हैं तो राजा ने ऐसे ही किया वह उस महात्मा के पास गया और उसने अपना वह प्रश्न उस महात्मा के आगे रखा तो उस महात्मा ने हाथ में एक अंगूठी पहन रखी थी और उस महात्मा ने उस राजा को कहा कि यह मेरे गुरु ने मुझे दी थी और मुझे यह कह कर दी थी जब तुम्हारे पास कोई भी उपाय ना बचे तुम्हें लगे कि अब कोई रास्ता नहीं है अब कोई उपाय नहीं है अब कुछ नहीं हो सकता तब इस अंगूठी में जो पत्थर है उसके नीचे एक कागज है उसको खोल कर देखना तुम्हें जवाब मिल जाएगातो उस महात्मा ने कहा कि मेरी जिंदगी में ऐसी कोई परस्थिती ही नहीं आई मेरे गुरु की मेरे ऊपर बड़ी कृपा है और मुझे उम्मीद है कि ऐसी परिस्थिति मेरे जीवन में कभी आएगी भी नहीं तो ये अंगूठी मैं तुम्हें देता हूं और तुम मुझसे यह वादा करो कि तुम इसका उपयोग तभी करोगे जब तुम्हें लगे कि तुम्हारे पास और कोई उपाय नहीं है तभी इसका उपयोग करना तो राजा ने उस महात्मा से वादा किया और उन्हें वचन दिया कि मैं इसका उपयोग तभी करूंगा जब मैं अपने आप को हर तरफ से असहाय पाऊं तो उस महात्मा ने उसे वह अंगूठी दे दी तो उसके बाद राजा का एक युद्ध हुआ जिसमें राजा हार गया और राजा अपनी जान बचाने के लिए जंगल में भागा जा रहा है एक गुफा आती है उस में छुप कर बैठ जाता है और उसे सैनिकों की आवाजें सुनाई देती रहती है घोड़ों की टाप सुनाई देती रहती है कि सैनिक मुझे ढूंढ रहे हैं और कुछ भी हो सकता है मेरी जान भी जा सकती है मुझे मार भी सकते हैं तो उस समय राजा अपने आप को असहाय पाता है उसके पास और कोई भी उपाय नहीं रह जाता तो उसके मन में यह बात आती है कि उस महात्मा ने मुझे बोला था कि इस अंगूठी का उपयोग तभी करना जब तुम अपने आप को असहाय पाओ और तुम्हारे पास कोई भी उपाय ना रह जाए तो उसने सोचा क्यों ना अंगूठी को खोल कर देखता हूं कि इस में ऐसा क्या लिखा है ऐसा कौन सा सूत्र है जो इसमें लिखा है तो राजा अंगूठी को खोलता है और पत्थर के नीचे से कागज को खोलता है और उस पर एक सूत्र लिखा होता है उसमें लिखा होता है कि "यह भी बीत जाएगा" और राजा उस सूत्र को सुनकर खुश हो जाता है उसके मन के अंदर एक खुशी सी आ जाती है और उसके कुछ ही देर बाद वह घोड़ों के टॉप और सैनिकों की आवाज बंद हो जाती है क्योंकि सैनिक ढूंढ ढूंढ कर थक चुके होते हैं और उन्हें लगता है कि पता नहीं राजा कहां चला गया कहां छुप कर बैठ गया इसलिए वह ढूंढना छोड़कर वापस चले जाते हैं और उसके बाद राजा उस गुफा से बाहर आता है और तब उसके पास कुछ भी नहीं होता वह अपने आप को बिल्कुल असहाय पाता है क्योंकि जब राजा था तो उसके पास महल था मित्र थे परिवार था धन था प्रजा थी लेकिन अब उसके पास कुछ भी नहीं है और वह उन सब को दोबारा से हासिल करने के लिए फिर से युद्ध करता है और पूरी शक्ति के साथ युद्ध करता है अपनी सेना को इकठ्ठा कर फिर से वह पूरी शक्ति से युद्ध करता है, और वह जीत जाता है और सब कुछ दोबारा से हासिल कर लेता है उसे उसका राज वापस मिल जाता है उसके मित्र वापस मिल जाते हैं सब कुछ जो उसने खोया होता है उसे वापस मिल जाता है तो एक दिन उसकी ऐसे ही सभा लगी होती है तो राजा बहुत खुश होता है कि मैंने सब कुछ वापस पा लिया और उसी समय उसके मन में ख्याल आता है कि उस अंगूठी में जो कागज था उसमें जो सूत्र लिखा था कि "यह भी बीत जाएगा" तो जब उसके मन में यह बात आती है तो वह शांत हो जाता है तो राजा का वजीर उससे पूछता है कि अभी आप कितने खुश दिखाई दे रहे थे और अभी आप बिल्कुल शांत हो गए हैं इसका क्या कारण है उस समय राजा कहता है कि जब सब बीत जाएगा तो क्या तात्पर्य है सुख से और दुख से क्योंकि ना तो कोई सुख से लेना देना है और ना ही दुख से, जब सब बीत जाएगा तो इस संसार में ना तो सुखी होने से कुछ है और ना ही दुखी होने से कुछ है, तो जो चीज तुम्हें लगता है कि बीत जाएगी उसे याद रखना अगर यह सूत्र पकड़ में आ जाए तो हमारी जो पकड़ है इस संसार को लेकर ढीली हो जाएगी, तुम धीरे-धीरे अपने आपको उन चीजों से दूर पाने लगोगे जो चीजें बीत जाएंगी, फिर क्या अकड़ना कैसा गर्व, जब सब बीत जाएगा यह 2 दिन की जवानी ये भी बीत जाएगी कुछ देर की जो चहल-पहल है यह भी बीत जाएगी और फिर गहरा सन्नाटा है और उसके बाद मरघट की शांति तो किस बात का अहंकार बचता है कि मैं ये हूं, मैं वो हूं, जब सब बीत जाएगा, साध संगत जी, कहानी के माध्यम से उन्होंने उस अभ्यासी को समझाने की कोशिश की कि इस संसार में कोई भी चीज स्थिर नहीं है सब कुछ समय के हिसाब से आता है और चला जाता है कोई चीज भी ऐसी नहीं है जो निरंतर रहेगी, अगर महामारी अाई है चली जाएंगी चिंता करने की कोई बात नहीं है ऐसा नहीं है कि यह सदा के लिए रहेगी अगर कोई चीज सदा के लिए है तो वह केवल कुल मालिक है और उसका नाम है वही निरंतर था, है और रहेगा इसलिए हमें उससे जुड़ने की कोशिश करनी चाहिए ताकि हमारी समझ में भी वह बात आ सके कि इस संसार में जो कुछ भी होता है वह समय के हिसाब से बदल जाता है और चला जाता है बीत जाता है लेकिन एक चीज नहीं बदलती वह मालिक का नाम है इसलिए हमें मालिक से जुड़ने की कोशिश करनी चाहिए जितना हो सके भजन बंदगी को समय देना चाहिए ताकि हम भी उससे जुड़ सकें जो बदलता नहीं जो सदा था, है और रहेगा ।
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By Sant Vachan
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