A True Story । परमात्मा पर विश्वास की एक सच्ची कहानी, जिसने भी सुनी रो पड़ा ।


साध संगत जी यह एक सत्संगी की सच्ची कहानी है जोकि उसने मुझे बताई है ताकि मैं आपसे सांझा कर सकूं लेकिन उसने अपना नाम बताने से मना किया है, तो साध संगत जी वह कहानी आपसे सांझा करता हूं, उसने कहा है यह कोई मनगढ़ंत कहानी नहीं है यह मेरी जिंदगी का सच है जिन्होंने मेरी जिंदगी के उस दौर को अपनी आंखों से होता हुआ मेरे साथ देखा है वह मेरी इस कहानी के गवाह है, मेरा जन्म एक सत्संगी परिवार में हुआ, और मेरी मां ने शुरू से ही मुझे रूहानियत से जोड़ा, मुझे रूहानियत के बारे में ज्ञान देना शुरू कर दिया था और मेरी मां रोजाना भजन पर बैठती थी और मेरी मां अक्सर मुझे बोलती थी कि दिन में कुछ देर उस मालिक की याद के लिए जरूर निकालना, चाहे कुछ भी हो जाए लेकिन उसकी याद में जरूर बैठना चाहे थोड़ा समय ही बैठना, और मैं अपनी मां की इस शिक्षा के कारण दिन में थोड़ा समय ही सही लेकिन बैठता जरूर था और जैसे-जैसे समय बीतता गया ।
वैसे वैसे जिंदगी में कुछ बदलाव आने लगे मुझे याद है कि तब में दसवीं कक्षा में था और उस समय मेरे पिताजी अमेरिका चले गए थे और जब मैंने 12वीं की तब तक मेरी मां भी मेरे पिताजी के पास अमेरिका चली गई थी और उसके बाद मैं अपनी आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चला गया था और वहां जाकर में बिल्कुल बदल गया था पता नहीं मुझे किस बात का अहंकार हो गया था और वहां पर मुझे अच्छा काम भी मिल गया जिसके कारण मेरी अच्छी कमाई होती थी मैं अच्छा कमाता था और जब मैं इंग्लैंड में था तब अक्सर मेरी मां का फोन मुझे आया करता था कि बेटा अपनी कमाई में से दसवंद जरूर निकाला कर अपनी कमाई में से कुछ रकम गुरु घर दे आया कर, तो मैं अपनी मां की इस बात को सुनकर उनकी इस बात को टाल देता था या फिर मजाक में ले लेता था की मां कोई बात नहीं मैं कहां भागा जा रहा हूं मैं उस मालिक को एक बार इकट्ठा ही दे दूंगा यह क्या बात हुई कि हर महीने कुछ पैसे निकालो और गुरु घर दे कर आओ जब मेरे पास होंगे तब मैं इकट्ठे ही दे दूंगा एक साथ ही उस मालिक से हिसाब कर लूंगा और मैं कहां भागा जा रहा हूं तो ऐसी ऐसी बातें मैं करने लग गया था और मालिक से दूर होता जा रहा था उसको नकारने लगा था और जैसे कि मुझे मेरी मां ने बचपन से यह आदत डाली थी कि दिन में कुछ समय मालिक की याद के लिए जरूर निकालना लेकिन जब मैं इंग्लैंड गया वहां जाकर मेरे लिए सब कुछ बदल गया था मेरी यह आदत भी छूट गई और मैं उस मालिक से दूर होता गया लेकिन मेरी मां मुझे बार-बार फोन करती थी मुझे समझाती थी कि बेटा बैठा कर, थोड़ा समय ही सही लेकिन बैठा कर, लेकिन मैं अपनी मां की बात नहीं मानता और मुझमें इंग्लैंड जाकर पता नहीं किस बात की अकड़ आ गई थी कि पता नहीं मैं कहां आ गया हूं और अहंकार भी बहुत बढ़ गया था तो उसके बाद मेरा रिश्ता अमेरिका में किसी लड़की के साथ हो गया वह मेरी मां ने करवाया था और रिश्ते के लिए मैं इंग्लैंड से इंडिया गया और वहां पर मेरा रिश्ता हुआ और उसके बाद मैं वापस इंग्लैंड चला गया और उसके कुछ दिनों बाद मेरी तबीयत खराब हो गई मुझे हर 10, 15 मिनट के बाद टॉयलेट जाना पड़ता था क्योंकि मुझे एक ऐसी बीमारी हो गई थी जिसके कारण मुझे बार-बार टॉयलेट जाना पड़ता था और जब मैं टॉयलेट जाता था तो वहां पर खून ही खून निकलता था, तो मैं दिन-ब-दिन कमजोर होता जा रहा था और मैंने वहां पर अपना इलाज करवाना शुरू किया मुझे बहुत बोतलें खून की चढ़ाई जाती थी क्योंकि खून की कमी मेरे अंदर बहुत हो गई थी और मैं बहुत कमजोर हो गया था और यह बीमारी मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गई थी और मुझे हर 20 मिनट के बाद टॉयलेट जाना ही पड़ता था तब मैंने अपनी इस बीमारी का बहुत इलाज करवाया लेकिन कोई बात ना बनी और वीजे की वजह से मेरे माता-पिता भी मेरे पास नहीं आ सकते थे वह अमेरिका में मेरे लिए तड़पते थे और उनकी सारी कमाई मेरे डॉक्टरी इलाज में चली गई थी जैसे कि मालिक मेरा हिसाब किताब कर रहा हो क्योंकि मैं रोहानियत से बहुत दूर जा चुका था मालिक से बहुत दूर जा चुका था मेरी मां मुझे बार-बार कहती थी कि बेटा बैठाकर और अपनी कमाई में से कुछ पैसे गुरु घर दे आया कर, दसवंद निकाला कर लेकिन मैं उनकी बात नहीं मानता था और मजाक में लेता था शायद मेरी इन्हीं बातों के कारण मालिक मेरे से हिसाब कर रहा था और ब्याज समेत मुझसे वसूल कर रहा था क्योंकि बहुत पैसे डॉक्टरी इलाज में चले गए थे लेकिन मेरी यह बीमारी ठीक ना हो सकी और इंग्लैंड में मेरे कुछ रिश्तेदार थे जिन्होंने मेरी वहां पर बहुत संभाल की जिन्होंने मेरी इस बीमारी में मेरा बहुत साथ दिया जैसे कि खुद मालिक मेरी संभाल कर रहा हो और जब मैं इंडिया आता था वहां पर भी मेरे जो रिश्तेदार थे वह भी मेरी बहुत संभाल करते थे हर चीज मुझे देते थे और जब मैं इंग्लैंड में था तब रात रात को उठकर मुझे भूख लगती थी क्योंकि मैं ज्यादा कठोर खाना खा नहीं सकता था रोटी खा नहीं सकता था केवल खिचड़ी ही खाता था तो मुझे अक्सर भूख लग जाया करती थी तो वहां पर वह मुझे रात रात को उठकर खाना बना कर देते थे और मुझे ऐसे लगता था कि इतना कौन कर सकता है तो मुझे लगता था कि शायद मेरा मालिक ही इनसे करवा रहा है मेरी संभाल कर रहा है तो मैं इस बीमारी से इतना परेशान था की कभी-कभी मेरे से बिस्तर से उठा भी नहीं जाता था और वही पर मेरे कपड़े गंदे हो जाते थे तो मेरी यह बीमारी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही थी जब यह बात लड़की वालों को पता चली तो मुझे लग रहा था कि रिश्ता टूट जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ जब वह मुझसे मिलने हॉस्पिटल आई तो मैंने उसे तभी कह दिया था कि मेरा इंतजार मत करना अगर तुम अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना चाहती हो तो तुम किसी और से शादी कर लो लेकिन उस लड़की ने मुझे कहा कि अगर आपको यह बीमारी हमारी शादी के बाद लग जाती तो क्या होता, तो उसकी यह बात सुनकर मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसके कुछ महीनों बाद हमारी शादी तय हो गई लेकिन मेरे लिए 20 मिनट से ज्यादा बैठना बहुत मुश्किल था जब भी मैं इंडिया आता था तब पेट्रोल पंप पर गाड़ी रुकवा कर मुझे टॉयलेट जाना पड़ता था ऐसा मेरे साथ बहुत बार हुआ और वह ड्राइवर मेरी इन बातों के गवाह है जो मुझे दिल्ली से लेने आया करते थे तो जब हमारी शादी तय हो गई तब मैं इंडिया आया और मैंने पहले ही कह दिया था कि मुझसे ज्यादा देर बैठा नहीं जाता तो मैंने उनसे विनती की थी कि जल्दी फेरे कर कर शादी को खत्म करने की कोशिश करें और मैं अपने मालिक के आगे यही अरदास कर रहा था कि हे मालिक मेरी संभाल करना मुझे बैठने का बल बक्शना, तो वहां पर मेरे मालिक ने मेरी संभाल की उसने मुझे बैठने का बल बख्शा और उसके बाद हमारी शादी हो गई, लेकिन मेरी उस शादी में वीजे की वजह से मेरे माता-पिता नहीं आ पाए, और इस बात का मुझे बहुत दुख लगा था तो शादी के कुछ दिनों बाद में वापस इंग्लैंड आ गया और मेरी पत्नी अमेरिका चली गई तो उसके बाद मेरे माता-पिता भी अमेरिका में पक्के हो गए थे उन्हें वहां की सिटीजन मिल गई थी और मेरी भी अमेरिका जाने की तैयारी थी और जिस दिन मैंने जाना था उस दिन से कुछ दिन पहले मुझे एंबेसी की तरफ से फोन आया की आपके पासपोर्ट की वेरिफिकेशन अच्छे से नहीं हुई है तो कृपया आपको एंबेसी में आना पड़ेगा तो मैं एंबेसी में गया वहां जाकर उन्होंने मुझसे सवाल पूछने शुरू कर दिए और मैंने उनको बताया कि मेरी इंटरव्यू हो चुकी है तो अब आप मुझसे क्यों सवाल कर रहे हो तो मैंने कहा कि मैं किसी भी सवाल का जवाब नहीं दूंगा पहले मुझे बताया जाए कि मुझे यहां पर क्यों बुलाया गया है और मुझसे सवाल क्यों पूछे जा रहे हैं तो उन्होंने मुझे बताया कि हमें आपकी पत्नी ने एक फैक्स किया है और उसने आपसे तलाक मांगा है तो मैंने जब यह बात सुनी तो मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई कि मेरे साथ यह क्या हो रहा है और एंबेसी ने मेरा वीजा कैंसिल कर दिया तो मैं निराश और हताश होकर वापस घर को आ गया और मैं इतना परेशान था कि मेरा मन का रहा था कि मैं किसी गाड़ी के नीचे आकर मर जाऊं और मेरा सुसाइड करने का मन कर रहा था लेकिन फिर मैंने अपने मन को हौसला दिया कि मैं तो दूसरों को ऐसे काम करने से मना करता हूं तो मैं ऐसे कैसे कर सकता हूं तो मैंने अपने आप को हौसला दिया और संभलने की कोशिश की और उस कुल मालिक के आगे अरदास की कि मेरी संभाल कर मुझे हिम्मत बख्श, तो उसके कुछ दिनों बाद मेरा उससे तलाक हो गया तब मैं बहुत अकेला पड़ गया था क्योंकि मैं काम पर भी नहीं जा सकता था और मैं बहुत कमजोर हो गया था और मैं अपने मां बाप पर बोझ बन गया था वही मेरा खर्चा उठाते थे तो एक दिन मेरी मां ने मुझे फोन किया कि बेटा तू फिर से बैठना शुरू कर दें मालिक की याद में बैठना शुरु कर दे, तो मैने जब मां की ये बात सुनी मुझे मेरे बचपन के दिन याद आ गए कि मां मुझे शुरू से यही कहती आई है कि बैठना जरूर और तब मुझे रोना आया कि मैं मालिक से दूर हो गया था भटक गया था जिसके कारण आज मेरी यह हालत हुई है शायद मेरे मालिक ने मुझे यह सबक दिया है तो मैंने उस दिन से फिर बैठना शुरू किया मैंने अपनी मां की ये बात मानी और उसके बाद मेरी हालत में सुधार आना शुरू हो गया मेरी यह जो बीमारी थी धीरे-धीरे ठीक होने लगी थी और फिर एक दिन कनाडा से मेरे एक पुराने दोस्त का फोन आया और उसने मुझे कहा कि यहां पर एक नौकरी है और मैंने तुझे इसलिए फोन किया है क्योंकि तुम इस नौकरी के काबिल हो तो जैसे ही मैंने यह बात सुनी तो मुझे लग रहा था कि मेरे मालिक ने मुझे एक अवसर और दिया है तो मैंने उस नौकरी के लिए अप्लाई कर दिया और मुझे वह नौकरी मिल गई और धीरे-धीरे मेरी जिंदगी पटरी पर आने शुरू हो गई सब कुछ ठीक होता गया मैं कनाडा चला गया और आज मुझे कनाडा में 5 साल हो गए हैं और मेरी शादी भी हो गई है और मैं कनाडा में अपनी पत्नी के साथ रहता हूं और मालिक की कृपा से सब ठीक हो गया है तो मेरा अपनी कहानी सुनाने का सिर्फ इतना ही मतलब है कि हर एक की जिंदगी में अलग-अलग तरह की मुश्किलें आती हैं, परेशानीया आती है , हमें जिंदगी में बहुत उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं लेकिन अगर हमें मालिक पर विश्वास है तो वह मालिक हमें इन परेशानियों से जूझने की ताकत भी देता है जब हमें उसकी रजा में राजी रहना आ जाए तो फिर दुख भी उसके ही होते हैं सुख भी उसके ही होते हैं लेकिन अगर हम यह सोचे कि हमारा गुजारा उस मालिक के बिना हो जाएगा, हमारी संभाल उसके बिना हो जाएगी तो यह हमारी गलतफहमी है क्योंकि उसके बिना हमारा जीवन अधूरा है केवल वही है जो हमें हर दुख तकलीफ से जूझने की ताकत देता है अगर हम उससे जुड़े हुए है, तो वह हर पल हमारी संभाल करता है, बात मानने की है अगर हम अपने आप को उसकी राजा में ले आते हैं तो हमें वह हर खुशी मिलेगी जो हम चाहते हैं ।

तो साध संगत जी, हमें इस भाई की कहानी से बहुत कुछ सीखने को मिला, अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करना और अगर आप हमारे चैनल पर नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर कर लेना क्योंकि हम आपके लिए ऐसे ही रुहानियत से जुड़ी बातें और परमार्थी साखियां लेकर आते रहते हैं ।

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