साध संगत जी आज की साखी कर्मों से संबंधित है कि कैसे सतगुरु हम सत्संगीयों के कर्म काटते हैं जब हमें नाम की बक्सीश हो जाती है तब कैसे कैसे सतगुरु हमारे कर्म काटते हैं और हमें पता भी नहीं चलता कि हमारे कर्म कट रहे हैं क्योंकि साध संगत जी अक्सर यही फरमाया जाता है कि हमारा जन्म इस संसार में केवल कर्मों के आधार पर हुआ है कि हमारे कुछ कर्म थे कुछ ऐसे कर्म थे जिन्हें हमें खत्म करना था जिनका हमें ही सफाया करना था उसी कारण से हमारा जन्म हुआ है और हर एक जीव के अपने-अपने कर्म है हर एक जीव का अपना अपना हिसाब है और जब तक हमारे कर्म खत्म नहीं हो जाते तब तक हमारा आना जाना लगा रहेगा हमारा यहां से छुटकारा नहीं हो सकता तो साध संगत जी आज की साखी में हमें यह पता चलेगा कि कैसे सतगुरु हमारे कर्म कटवाते हैं जब वह हमें नाम की बख्शीश कर देते हैं तो साध संगत जी साखी को पूरा सुनने की कृपालता करें जी ।
साध संगत जी यह साखी एक सेवादार के जीवन से संबंधित है जिन्हें की बहुत पहले का नाम मिला हुआ था और वह कमाई भी करते हैं साध संगत जी उनकी लगन सेवा के प्रति बहुत है और इसी के कारण उनकी बहुत ही जान पहचान है सभी उनको जानते हैं क्योंकि वह सभी को सेवा पर जाने के लिए प्रेरित करते हैं सभी को सेवा के लिए बोलते हैं कि इस तारीख को सेवा जाएगी आपको हमारे साथ जाना पड़ेगा सभी से विनती करते हैं सभी से वह निवेदन करते हैं और सभी सत्संगीयों को वह पहले ही सूचित कर देते हैं कि भाई इस दिन सेवा जा रही है और हमारे साथ जाने के लिए आपको समय निकालना पड़ेगा आपको हमारे साथ जाना पड़ेगा, साध संगत जी उनमें निमृता इतनी है कि उनके निमृता भाव को देखकर ही सभी उनसे बहुत प्यार करते हैं और उनकी कहीं बात को कोई टालता नहीं है अगर वह किसी को कह देते हैं कि तुम्हें हमारे साथ सेवा पर चलना है तो उनके कहने का अंदाज इतना अच्छा है इतना प्यारा है उनमें इतनी मिठास है निमृता है कि व्यक्ति खुद ही हां कर देता है कि जी हां मैं आपके साथ चलूंगा तो साध संगत जी ऐसे गुरु के प्यारे हैं जिनमें इतनी निम्रता है इतना उनके अंदर प्यार है और उनके अंदर इतनी सेवा के प्रति लगन है और ऐसे ऐसे जीव भी देखे गए हैं जोकि महीनों की सेवा पर रहते हैं और महीने महीने घर नहीं जाते गुरु घर में रहते हैं वही सेवा करते हैं संगत की सेवा में लीन रहते हैं और उन्हें अपने पीछे का कोई ख्याल नहीं रहता उन्हें कोई परेशानी नहीं रहती, तो ऐसे गुरु के प्यारे भी हैं जो महीनों महीनों गुरु घर में लगा देते हैं और गुरु घर की सेवा करते हैं तो अपने ऐसे भक्तों की मालिक भी संभाल करता है और उनके किसी काम में किसी तरह की कोई रुकावट नहीं आती तो साध संगत जी आपने अक्सर देखा होगा कि कुछ सत्संगी ऐसे हैं जिनकी सेवा के प्रति बहुत लगन है और वह घंटो घंटो गुरु घर में रहते हैं और उन पर सद्गुरु की कृपा भी अपार रहती है उनके सभी काम बनते हैं किसी काम में कोई रुकावट नहीं आती उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं झेलनी पड़ती क्योंकि सतगुरु उनका रास्ता साफ कर देते हैं क्योंकि साध संगत जी जैसे कि फरमाया जाता है सतगुरु कहते हैं कि आप मेरा काम करो मैं तुम्हारे काम करूंगा तो जो सत्संगी सतगुरु के हुक्म में रहकर सेवा करता है उनके भाने में रहकर सेवा करता है तो सतगुरु उसकी झोलिया खुशियों से भर देते हैं उसे किसी चीज की कमी नहीं आने देते ऐसा बहुत बार देखा गया है तो साध संगत जी आज की जो साखी है यह एक सत्संगी सेवादार की है जिनकी सेवा के प्रति बहुत लगन थी जिस दिन सेवा जानी होती थी उससे दो-तीन दिन पहले ही वह संगत को सूचित कर दिया करते थे कि इस दिन सेवा जा रही है हम सभी ने सेवा पर चलना है गुरु घर जाना है और अपनी हाजिरी लगानी है तो साध संगत जी सभी उनके साथ बहुत ही प्रेम और प्यार के साथ जाते थे और जिन जिन को वह बोलते थे वह सभी उनके साथ जाते थे चाहे कितना ही जरूरी काम क्यों ना हो लेकिन संगत सेवा के लिए समय निकाल लेती थी क्योंकि जैसे वह संगत को विनती करते थे जैसी वह मालिक की बातें करते थे और संगत को साखियां सुनाते थे संगत उससे बहुत ही प्रेरित होती थी वह अक्सर शाम को जब सेवा खत्म हो जाती थी तो संगत को एक साखी अवश्य सुनाते थे ताकि संगत का सेवा के प्रति प्यार और बड़े, गुरु घर से संगत का प्यार पढ़ें और संगत सेवा के लिए प्रेरित हो ताकि गुरु घर कि ज्यादा से ज्यादा सेवा की जा सके तो वह अक्सर संगत को शाम के समय जब सेवा खत्म हो जाती थी तो उनको एक साखी अवश्य सुनाया करते थे और सभी संगत उनको बहुत ही प्यार करती थी साध संगत जी उसके बाद उनका एक बहुत भयानक एक्सीडेंट हो गया जिसमें उन्हें बहुत ही गहरी चोट आई वह चल नहीं सकते थे इतनी गहरी चोट उन्हें आई थी तो उस समय सभी संगत का दिल बहुत टूटा था कि यह क्या हो गया कि हम सभी को सेवा पर ले जाने वाले केवल अरोड़ा जी थे जो हमें सेवा के लिए प्रेरित करते थे जो हमें कहते थे कि सेवा जाने वाली है तो सभी संगत का दिल बहुत टूटा था जब उन्हें पता चला था कि उनका एक्सीडेंट हो गया है तो साध संगत जी संगत उनसे मिलने हॉस्पिटल पहुंची और उनका हालचाल पूछा, सभी संगत को यह सुनकर बहुत बुरा लगा था कि वह अब चल नहीं सकते इसी बात को लेकर उनको भी यह दुख था कि वे अब सेवा पर नहीं जा सकते तो उस समय जब संगत उनके पास बैठी थी संगत उनका हालचाल पूछने गई थी तो वह भी रो पड़े थे और उस समय आप जी ने संगत से दोनों हाथ जोड़कर माफी मांगी थी कि सतगुरु ने मुझसे केवल इतनी ही सेवा लेनी थी और उस समय जो उनसे बहुत प्यार करते थे वह भी रो रहे थे कि ऐसा नहीं होना चाहिए तो साध संगत जी जब यह बात उनको पता चली की संगत में यह बात चल रही है कि कुछ संगत कह रही है कि मेरे साथ ऐसा नहीं होना चाहिए था तो उस समय उन्होंने बहुत ही सुंदर जवाब संगत को दिया था कि हम ऐसा क्यों कहते हैं कि हमारे साथ ऐसा नहीं होना चाहिए क्या हम उस कुल मालिक से ऊपर है क्या उसे नहीं पता कि हमारे साथ क्या होना चाहिए और क्या नहीं होना चाहिए, क्या हमारी समझ मालिक से भी बड़ी हो गई है कि हम यह बात कह रहे हैं कि हमारे साथ ऐसा नहीं होना चाहिए था ऐसा होना चाहिए था हमें क्या पता है कि इसमें उसकी क्या रजा है और उसने हमारे लिए क्या सोचा है हमें कुछ पता नहीं है वह तो केवल वही जानता है कि उसने ऐसा क्यों किया है और वह जो भी करता है ठीक ही करता है और उसकी मर्जी है वह जो भी करता है उसमें हमारी ही भलाई होती है लेकिन हम नहीं समझ पाते क्योंकि हमारा दायरा बहुत छोटा है इसलिए तो फरमाया जाता है कि भाई भजन सिमरन करो ताकि हमारा दायरा बड़ा हो सके और हमें वह समझ आ सके जो मालिक हमें समझाना चाहता है और उस समय आप जी ने एक बहुत ही अच्छी बात की आप जी ने कहा कि मेरे साथ जो भी हुआ है अच्छा ही हुआ है क्योंकि मुझे नहीं पता कि मेरे कितने भारी कर्म थे जो कि मेरे सतगुरु ने पल भर में काट दिए हैं क्योंकि जब हमें नाम की बख्शीश हो जाती है तो सतगुरु हमारे कर्म काटने शुरू कर देते हैं और जितनी जल्दी काटे जा सकते हैं वह पूरी कोशिश करते हैं कि मेरे सत्संगीयों के कर्म खत्म हो जाए और इनका आना-जाना खत्म हो जाए क्योंकि उन्होंने जिम्मेवारी ली होती है उन्होंने हमसे यह वादा किया होता है कि वह हमे सचखंड लेकर जाएंगे और इसके लिए हमारे कर्मों का खत्म होना बहुत जरूरी है तो सतगुरु सालों के कर्म महीनों में, महीनों के कर्म दिनों में और दिनों के कर्म घंटों में काटते हैं और हमें पता नहीं चलता वह हमें सूली का शूल करकर दे रहे हैं , तो हमें और क्या चाहिए इतनी कृपा हम पर हो रही है इतनी रहमत सतगुरु कि हम पर बरस रही है हमें और क्या चाहिए तो मैं कहता हूं कि मेरे साथ अच्छा ही हुआ है क्योंकि मुझे नहीं पता कि मेरे कितने भारी कर्म थे और पता नहीं मेरे साथ क्या-क्या होना था लेकिन मेरे सतगुरु ने थोड़े में ही मेरे सभी कर्म काट दिए हैं और मुझे बचा लिया है क्योंकि जैसा वह एक्सीडेंट हुआ था मुझे नहीं लगता था कि मैं बच पाऊंगा लेकिन मेरे सतगुरु ने मुझे बचाया है और मुझे हिम्मत दी है तो हमें ऐसी बात कभी भी नहीं करनी चाहिए कि हमें नाम मिला है और हमारे साथ ऐसा क्यों हुआ हमें तो सतगुरु का शुक्र करना चाहिए कि उसकी रहमत हम पर बरस रही है उस की अपार कृपा हम पर हो रही है और हम उसे समझ ही नहीं पाते तो हमें सतगुरु से सवाल नहीं करने होते हमें तो उसका शुक्रिया करना होता है कि शुक्र है तेरा जो भी किया है तूने ठीक ही किया है क्योंकि मैं तो नासमझ हूं मेरा दायरा बहुत छोटा है तू अंतर्यामी है तू सब जानता है कि मेरे लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा है और उसके आगे हमेशा यही विनती करनी चाहिए कि हमें भजन सिमरन करने की हिम्मत देना क्योंकि भजन के इलावा हमारे साथ और कुछ भी नहीं जाएगा हमारे साथ केवल नाम की कमाई जाएगी शब्द की कमाई जाएगी तो साथ संगत जी उनकी इन बातों से हमें भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है कि अगर हमारे साथ भी ऐसा कुछ होता है तो हमें एकदम से यह नहीं बोल देना चाहिए कि यह क्यों हुआ ऐसा नहीं होना चाहिए था क्योंकि साध संगत जी हमारा दायरा बहुत छोटा है मालिक जानी जान है उसे हमारे अच्छे और बुरे का बहुत अच्छी तरह से पता है वह जानता है कि मेरे बच्चे की भलाई किसमें है तो हमारे साथ जो भी वह करता है वह ठीक ही करता है हमें तो उसका शुक्र करना है और नाम की कमाई करनी है ।
साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ,अगर आप साखियां, सत्संग और सवाल जवाब पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखियां, सत्संग और सवाल जवाब की Notification आप तक पहुंच सके ।
By Sant Vachan
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