एक कमाई वाली सत्संगी माई ने कहा जब मेरी मुलाकात काल से हुई । सुनिए पूरी वार्तालाप । जरूर सुने


गुरु प्यारी साध संगत जी यह एक कमाई वाली सत्संगी माई के निजी अनुभव है जो कि उन्होंने रूहानियत की वार्तालाप के दौरान सांझा किए जिन्हें सुनकर मुझे भी लगा कि वह आपसे भी साझा करने चाहिए क्योंकि वह निजी अनुभव हमें भी बहुत कुछ सिखा सकते हैं हमें भी बहुत सारी गलतियों से बचा सकते हैं जो कि हमारे लिए एक चेतावनी के रूप में भी साबित होते हैं तो इसीलिए माई के वह अनुभव आपसे सांझा करने जा रहा हूं, तो पूरा सुनने की कृपालता करें जी, साध संगत जी माई बहुत ही कमाई वाली थी और वह अक्सर अपने अनुभव सांझा कर दिया करती क्योंकि साध संगत जी हमारे पास जो होता है हम वही लोगों को बांटते हैं
 जो हमारे पास है ही नहीं वह हम कहां से बांट पाएंगे तो जो रूहानियत से जुड़े होते हैं मालिक से जुड़े होते हैं वह तो केवल मालिक से जुड़ी ही बातें करते हैं रोहानियत से जुड़ी ही बातें करते हैं उनके पास और कुछ बांटने के लिए होता भी नहीं तो इसलिए वह अक्सर मालिक से जुड़ी बातें करते हैं तो माई भी खुले दिल की थी अक्सर अपने अनुभव सांझा कर दिया करती उनका स्वभाव इतना अच्छा था की हर कोई उनसे बात करने चला आता, उनसे बात कर कर सभी को अच्छा लगता और वह मजाक भी बहुत करती और लोगों को पसंद भी आता ,वह अक्सर मालिक से जुड़ी बातें करती, रोहानियत से जुड़ी बातें करती साध संगत जी रूहानियत के इस मार्ग पर ऐसे बहुत सारे सत्संगी हैं जिनके अपने अपने अनुभव हैं उनकी अपनी अपनी बातें हैं जो कि जितनी सुनाई जाए उतनी ही कम है इस मार्ग पर हर एक सत्संगी के अपने-अपने अलग-अलग अनुभव है मालिक से जुड़ी हुई बातें अक्सर उनके मुख्य से सुनने को मिलती है क्योंकि मालिक से जुड़ी हुई बातें और रोहानियत से जुड़ी हुई बातें जितनी कर लो उतनी ही कम है हम मालिक से जुड़ी हुई बातें इसलिए भी सुनते हैं क्योंकि हमारा मन एक ठहराव में आ जाता है रूहानियत की बातें सुनकर हमारा मन स्थिर हो जाता है और हमारे मन के अंदर भी उस कुल मालिक से मिलने की तड़प जाग उठती है साध संगत जी जब भी हम मालिक से जुड़ी हुई बातें करते हैं गुरु घर की बातें करते हैं तो वह घड़ी भी मालिक के लेखे लगती है क्योंकि जिस घड़ी में उसको याद किया जाता है वह घड़ी उसके लेखे लगती है इसलिए मालिक से जुड़ी हुई बातें रूहानियत से जुड़ी हुई बातें जितनी कर लो उतनी ही कम है इसीलिए तो अक्सर फरमाया जाता है कि भाई अपने ध्यान को मालिक की तरफ लगाओ सत्संग में जाओ सेवा में जाओ ताकि आपका मन मालिक की तरफ लग सके आपका मन शांत हो सके और जो सत्संगी अक्सर मालिक की जुड़ी बातें करते हैं या फिर मालिक से जुड़ी बातें सुनते हैं तब मालिक भी देख रहा होता है कि मेरे बच्चे मेरे बारे में चर्चा कर रहे हैं तो वह घड़ी उसके लेखे लगती है तो साध संगत जी इसी तरह माई को भी मालिक से जुड़ी बातें करना बहुत अच्छा लगता था वह खुले दिल से बातें करती थी और जैसे कि आप जानते ही हैं कि इस मार्ग में कितनी मुश्किलें हैं कितनी बाधाएं है
जिन्हे पार कर हमें अपने सच्चे लोग सचखंड यानी कि पारब्रह्म जाना होता है वही हमारा सच्चा लोक है जहां वह कुल मालिक रहता है लेकिन उससे पहले हमें रूहानियत का सफर तय करना होता है जोकि करना इतना आसान नहीं है अगर सतगुरु की कृपा हो मालिक की कृपा हो तो ही हम उस तक पहुंच सकते हैं नहीं तो नहीं पहुंच सकते क्योंकि इस मार्ग पर बहुत रुकावटें आती है कभी मन हम पर हावी हो जाता है कभी कोई ताकत हमें रोकती है ऐसी बहुत ताकतें हैं जो हमें इस मार्ग पर चलने से रोकती है तो उस माई के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ माई कहती है कि मुझे रोजाना भजन सिमरन में रस आता और मेरा सफर चलता रहता लेकिन एक दिन क्या हुआ कि मेरे सामने काल आ गया और मेरी उससे वार्तालाप हुई काल ने पहले मुझे डराने की कोशिश की लेकिन मैंने नाम सिमरन पर जोर दिया नाम सिमरन को जोर से करना शुरू कर दिया क्योंकि जब तक वह नाम रूपी शब्द हमारे साथ है गुरु का साथ बना रहता है गुरु की कृपा हम पर बनी रहती है तो कोई भी ताकत हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती
क्योंकि जब तक गुरु द्वारा दिए हुए वह नाम रूपी शब्द हमारे साथ हैं तो गुरु शब्द रूप में हमारे साथ होता है और जैसे कि अक्सर फरमाया जाता है की अंदर कोई भी आपको डराने की कोशिश करें
कोई भी आपके मार्ग में रुकावट डालें या फिर रुकावट बनने की कोशिश करें तो आपको डरना नहीं है डट कर उसका सामना करना है और नाम शब्द पर जोर देना है नाम को नहीं छोड़ना क्योंकि केवल वही एक हमारा सहारा है जिसके जरिए हमने अपने सच्चे लोग जानी सचखंड जाना है पारब्रह्म जाना है तो जब काल माई के सामने प्रकट हो गया माई की वार्तालाप उससे हुई माई कहती है कि काल मुझे कहता है कि छोड़ो यह सब मैं तुम्हें दुनिया का ऐशो आराम देता हूं जितना चाहो उतना पैसा देता हूं सभी वस्तुएं तुम्हारे चरणों में हाजिर करता हूं बोलो तुम्हें क्या चाहिए अभी मैं तुम्हारे सामने उसको हाजिर कर दूंगा तुम्हें किसी चीज की कमी नहीं रहने दूंगा बोलो तुम्हें किस चीज की कमी है अभी मैं वह तुम्हें दे देता हूं लेकिन यह सब छोड़ दो और उसने माई को लालच देना शुरू कर दिया और इतना लालच दे दिया की माई का मन डोल गया क्योंकि साध संगत जी काम क्रोध लोभ मोह अहंकार को खत्म करना इतना आसान नहीं है जब तक हमारे मन में यह सब चीजें पढ़ी हुई हैं
जब तक हमारे अंदर यह सब चीजें पढ़ी हुई हैं तब तक हम मालिक से मिलाप नहीं कर सकते क्योंकि यह कभी ना कभी हम पर हावी हो ही जाती है तो उस स्तिथि में माई पर लोभ हावी हो गया माई पर लोभ भारी पड़ गया माई को लालच आ गया तो माई ने उसकी बातों में हामी भर दी ,काल समझ चुका था तो उस दिन के बाद माई को किसी चीज की कमी नहीं हुई उनके घर पैसा ही पैसा आता गया उनके सभी रुके हुए काम चलने लगे सभी काम बनने लगे किसी चीज की कोई कमी नहीं रही हर चीजों उन्हें मिलने लगी आसपास के लोग भी हैरान हो गए कि यह क्या हो रहा है इनके पास एकदम ही इतना पैसा कैसे आ गया वह भी आश्चर्यचकित रह गए लेकिन उन्हें क्या पता था कि यह कैसे हुआ है तो साध संगत जी माई कहती है कि मेरे पास वह सब कुछ आता गया जो कि एक दुनिया के ऐशो आराम के लिए काफी होता है मुझे किसी चीज की कमी नहीं रही सब कुछ मुझे मिल गया मेरे बच्चों के कारोबार अच्छे चलने लगे अच्छा पैसा आने लगा लेकिन मेरा भजन सिमरन कम होता गया , ध्यान कम होता गया और फिर एक दिन तो ऐसा हुआ की भजन सिमरन करने को मन ही नहीं किया और ऐसे धीरे-धीरे भजन सिमरन कम होता गया और माई कहती है कि पहले जो भजन सिमरन में रस आता था वह भी अब ना रहा पहले जो बात बनती थी, ध्यान में रस आता था, अंदर आनंद प्रफुल्लित होता था वह अब नहीं रहा मुझे ऐसे लगने लगा कि जैसे कुछ रुक सा गया जैसे कि मेरा रूहानी सफर रुक गया है अटक गया है और धीरे-धीरे कम होता जा रहा है मैं पीछे आती जा रही हूं गिरती जा रही हूं उन्हें ऐसा महसूस होने लगा और एक दिन तो उनका रोना ही निकल गया कि यह क्या हो गया की पहले जैसी बात ना रही, अंदर कोई भी आनंद नहीं है ध्यान नहीं है भजन सिमरन का रस नहीं है माई कहती है कि मैं बहुत रोई कि यह मैंने क्या कर दिया मैं भटक गई और अब मुझे वापस वहां तक पहुंचने को कितना समय लग सकता है पता नहीं क्योंकि मैं हर रोज गिरती ही जा रही हूं और गिरती ही गई हूं जिसका मुझे अंदाजा भी नहीं और अब तो पहले जैसी बात ना रही तो यह सब देख कर माई रोने लग पड़ी कि यह मेरे साथ क्या हो गया मैंने यह क्या कर दिया मैंने अपने मन के पीछे लग कर क्या कर दिया और माई कहती है कि वह जो ऐशो आराम मुझे मिला जो सुख मुझे मिला, जो पैसा मुझे मिला वह सब मुझे खाने को पढ़ रहा था वह मुझे अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि वह जो भी मुझे मिला था
वह मेरे भजन सिमरन के बदले मैं मुझे मिला था मेरे भजन सिमरन के आनंद के बदले मुझे मिला था वह मुझे अब अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि मैं बहुत गिर चुकी थी और ऐसे लग रहा था कि मेरे अंदर से सतगुरु ने वह ताकत वापस ले ली है जो मुझे सचखंड लेकर जाने वाली थी पारब्रह्म लेकर जाने वाली थी उन्हें अपने अंदर खाली खाली सा लगने लगा इसी बात को लेकर माई बहुत परेशान हो गई और रोने लग गई उस दिन के बाद आज तक माई की वह बात नहीं बनी जो पहले थी भले ही उनके पास सब कुछ आ गया जो कि इस दुनिया में रहने के लिए बहुत है लेकिन जो अंदर की दौलत है उसके आगे यह दुनिया की दौलत बहुत ही फीकी है उसके आगे यह दुनिया की दौलत बहुत कम है माई को इस बात का तब पता चला जब उनकी दोबारा से वह बात नहीं बनी जो पहले होती थी और माई कहती है कि मैं आज तक कोशिश कर रही हूं कि मेरा मालिक मुझ पर फिर से वही कृपा कर दे फिर से मुझे वही ताकत बक्श दे जैसे उसने पहले बक्शी हुई थी जैसे वह पहले मेरी संभाल कर रहा था और साध संगत जी माई आज तक अपनी उस बात का पछतावा कर रही है क्योंकि साथ संगत जी जब हम अपने मन के पीछे लग जाते हैं तो हमें उसका क्या नतीजा भुगतना पड़ सकता है यह हम नहीं जानते इसीलिए तो फरमाया जाता है कि अपने मन को गुरु के पास सौंप दो नहीं तो यह आपको भटकाता रहेगा और आप के मार्ग में बाधा बनता रहेगा साध संगत जी माई की इन बातों से हमें भी यही सीखना है कि हमें अपने मन के पीछे नहीं लगना मन के कहे नहीं चलना अपने मन को गुरु के पास सौंप देना है गुरु के चरणों में सौंप देना है ताकि अगर यह भटकने की कोशिश भी करें तो हमारा सतगुरु इसे भटकने ना दे हर पल हमारी संभाल करता रहे ताकि हमारा उस कुल मालिक से मिलाप हो सके और हम अपने सच्चे दाम सचखंड जा सके ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ,अगर आप साखियां, सत्संग और सवाल जवाब पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखियां, सत्संग और सवाल जवाब की Notification आप तक पहुंच सके ।

By Sant Vachan

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