गुरु प्यारी साध संगत जी आज की रूहानी साखी है कि अगर हम गलती से भी मालिक से जुड़े हुए सत्संगी को मालिक के ध्यान में बैठे हुए सत्संगी को हम गलती से भी उठा देते हैं या उनकी भजन बंदगी में हम कोई रुकावट खड़ी कर देते हैं या फिर हम उन्हें परेशान करने की कोशिश करते हैं तो उसका हमें क्या नतीजा भुगतना पड़ सकता है इसके बारे में आज की इस रूहानी साखी में हमें पता चलेगा तो साध संगत जी साखी को पूरा सुनने की कृपालता करें जी ।
गुरु प्यारी साध संगत जी यह उस समय की बात है जब हमारा समाज इतना विकसित नहीं हुआ था केवल चंद अभ्यासी हुआ करते थे जो मालिक की याद में बैठते थे मालिक के ध्यान में बैठते थे उसकी भजन बंदगी करते थे साध संगत जी वह समय ऐसा था कि तब जिन्हे नाम मिला और वह ध्यान में बैठते थे मालिक की भजन बंदगी में बैठते थे तो उनका ध्यान भी जल्दी लग जाया करता था क्योंकि उस समय के लोग बहुत ही सीधे साधे हुआ करते थे जो उन्हें बताया जाता था वह वैसा ही करते थे अपनी तरफ से वह कुछ नहीं करते थे और वह बिल्कुल सीधे साधे हुआ करते थे उनके मन में किसी के प्रति किसी तरह की ईरखा नहीं होती थी उनके अंदर ऐसी बुराइयां नहीं होती थी जो कि आज के समय में हमें देखने को मिलती है अगर इस समय की बात की जाए तो हम एक दूसरे को देखना भी पसंद नहीं करते जो हम से आगे हैं जो हम से ऊपर है और नीचे वालों को तो हम कुछ समझते ही नहीं उनको तो हम कीड़े मकोड़े समझते हैं और हमारे अंदर अहंकार इतना है कि अगर हमारे सामने मालिक आ कर भी बैठ जाए, मालिक भी अगर हमारे सामने आ जाए तो हम उसे भी पहचानने से रह जाएंगे हम उसकी भी पहचान नहीं कर सकेंगे आज की स्थिति हमारी ऐसी हो गई है और आज के इंसान की हालत तो यह है कि हमारे अंदर तरह-तरह के विचार हैं इतना कुछ समाज में होता है अलग-अलग प्रभाव हम पर पड़े हुए हैं जो कि ना चाहते हुए भी हमारे अंदर तरह-तरह की बातें हमारे अंदर पड़ी हुई हैं और जब हम भजन सिमरन पर बैठते हैं मालिक की भजन बंदगी करते हैं तब वह सभी विचार एक फिल्म की तरह हमारे सामने आ जाते हैं और जब ऐसा होता है तो हम परेशान हो जाते हैं यह इसलिए होता है क्योंकि हमने अपने अंदर बहुत कुछ भर रखा है और यह जितनी देर रहेगा जितनी देर ऐसी चीजें ऐसे विचार ऐसे प्रभाव हमारे अंदर पड़े रहेंगे हमारी बात नहीं बन सकती यह सभी चीजें हमारे मार्ग में रुकावटें बनती है इसलिए तो बोला जाता है कि भाई भजन सिमरन कर कर अपने अंदर जो भी पड़ा है इसको खाली कर दो और उस मालिक के लिए उस जगह को सजाओ जहां पर आकर उस कुल मालिक ने बैठना है क्योंकि हमारे अंदर इतना सब भरा पड़ा है कि मालिक के लिए जगह है ही नहीं इसलिए तो भजन सिमरन पर इतना जोर दिया जाता है कि भाई अपने अंदर की जो गंदगी है उसको निकालो और अंदर एकदम खाली हो जाए ताकि वह कुल मालिक हमारे अंदर आ सके विराजमान हो सके जैसे कि तुलसी साहब की गजल है " दिल का हुजरा साफ़ कर जाना के आने के लिए" "ध्यान गेरों का उठा उसके बिठाने के लिए" तो साध संगत जी ऐसे ही एक सज्जन अभ्यासी गुरु घर में मालिक के ध्यान में बैठा हुआ था मालिक की भजन बंदगी में बैठा हुआ था और सेवा चल रही थी और जैसे कि आप जानते हैं की सेवा के समय कुछ समय दिया जाता है की संगत आराम कर सके अपनी थकावट उतार सके तो उस समय कुछ अभ्यासी ऐसे होते हैं जिन्हें आराम करना अच्छा नहीं लगता वह उस समय भी मालिक की भजन बंदगी में बैठ जाते हैं मालिक की याद में बैठ जाते हैं ऐसे ऐसे सत्संगी है जो कि एक पल का भी समय खराब नहीं करना चाहते उन्हें जब भी समय मिलता है वह नाम की कमाई करने लग जाते हैं भजन बंदगी करने लग जाते हैं वह दिन भर सेवा करते हैं और रात भर भजन बंदगी करते हैं पूरी पूरी रात भजन बंदगी करते हैं ऐसे ऐसे सत्संगी देखे गए है, साध संगत जी ऐसे ही गुरु घर में सेवा चल रही थी तो एक सत्संगी अभ्यासी जब आराम के लिए समय दिया जाता है जब संगत को आराम करने के लिए बोला जाता है तब वह मालिक की याद में बैठा हुआ था मालिक की भजन बंदगी में लीन था और साध संगत जी अक्सर देखा गया है जब भी हम ऐसी जगह पर जाकर बैठते हैं जहां पर उस कुल मालिक का नाम हर समय लिया जाता है वहां पर हमारी बात जल्दी बन जाती है क्योंकि वहां पर माहौल ही कुछ ऐसा होता है मालिक की कृपा वहां पर अपार रहती है और अगर दूसरी तरफ हम बात करें कि अगर हम घर पर भी बैठने की कोशिश करते हैं तो वहां पर इतनी आसानी से बात नहीं बन पाती क्योंकि घर में कितनी तरह तरह की बातें होती रहती हैं कितने प्रकार का घर पर माहौल रहता है इसलिए तो जो नाम के अभ्यासी है जो नाम की कमाई करते हैं उन्होंने अपने अपने घरों में नाम की कमाई करने के लिए भजन बंदगी करने के लिए एक अलग कमरा बना रखा होता है यहां पर वह जाकर मालिक की याद में बैठते हैं ऐसे बहुत सत्संगीयों के घरों में देखा गया है जिन्होंने अपने घरों में मालिक की याद में बैठने के लिए भजन सिमरन करने के लिए नाम की कमाई करने के लिए अपने घर में एक अलग ही जगह बना रखी होती है जहां पर जाकर वह मालिक की भजन बंदगी करते हैं नाम की कमाई करते हैं क्योंकि वह जानते हैं कि जहां पर वह रहते हैं जहां पर वह सोते हैं अगर वह वहीं पर भजन सिमरन करने लग जाए तो वह बात नहीं बन सकती मालिक की याद में बैठने के लिए एक ऐसी जगह ढूंढनी पड़ती है जहां पर किसी चीज का किसी तरह का प्रभाव ना हो इसीलिए तो कहा जाता है कि जहां पर बैठकर संत महात्माओं ने मालिक की भजन बंदगी की है उन जगहों पर जाकर मन को शांति मिलती है मन को संतोष मिलता है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वहां पर मालिक के प्यारों ने मालिक की भजन बंदगी की होती है तो ऐसे ही गुरु घर भी है जहां पर अक्सर संगत आती जाती रहती है सेवा करती रहती है निरंतर उस कुल मालिक का नाम चलता रहता है गुरु घर में निरंतर संगत आकर मालिक के नाम का जाप करती है और वहां पर ऐसा माहौल बना रहता है तो जब कोई सत्संगी अभ्यासी गुरु घर में जाकर नाम अभ्यास करता है भजन सिमरन करता है तो उसकी बात बन जाती है ऐसा बहुत बार देखा गया है साध संगत जी आप तो जानते ही हैं कि कुछ सत्संगीयों की सत्संग के समय चीखें निकल जाती है क्योंकि उस समय मालिक की कृपा अपार रहती है इसलिए उनकी रूह की चढ़ाई हो जाती है जिसकी वजह से उनकी चीखें निकल जाती है इसीलिए तो संत महात्मा मालिक की भजन बंदगी के लिए एक अलग जगह खोजते हैं जहां पर उसकी याद में बैठा जाए उसकी भजन बंदगी की जा सके साध संगत जी ऐसे ही वह सत्संगी अभ्यासी नाम की कमाई में डूबा हुआ था मालिक की भजन बंदगी कर रहा था और उसके आसपास कुछ बच्चे खेल रहे थे वह बच्चे उन से थोड़ी दूर भी थे तो साध संगत जी वह बच्चे ऐसे ही खेल रहे थे खेलते खेलते उनकी बॉल उस सत्संगी के ऊपर जा लगी और उनका ध्यान टूट गया और जब उनका ध्यान टूट गया उनकी आंखें खुली उन्होंने देखा कि यह क्या हुआ उनके मुख्य से पहला शब्द निकला यह किस मूर्ख ने किया और उसके बाद वह रोने लग पड़े और वह कहते हैं कि मेरी बात बनने ही वाली थी उस नाम रूपी समुंदर में मैं समाने ही वाला था मालिक से मिलाप होने ही वाला था मालिक की कृपा से आज ध्यान बहुत अच्छा हुआ था उसकी कृपा आज हुई थी लेकिन बच्चों की गेंद ने मेरा ध्यान तोड़ दिया जिसकी वजह से ध्यान टूट गया और मुझे बहुत रोना आया कि अगर थोड़ी देर और मैं इसी अवस्था में रहता तो मेरी बात बन जानी थी आज उस कुल मालिक से मिलाप हो जाना था मेरा रोम-रोम उसके प्रकाश से भर जाना था उसकी कृपा आज हो जानी थी और वह बहुत रोए साध संगत जी जिस बच्चे ने वह गेंद उनके मारी थी वह बच्चे की दिमागी हालत उसके बाद खराब हो गई थी क्योंकि साध संगत जी अगर कोई मालिक का प्यारा अपने मुख्य से ऐसे कुछ शब्द कह देता है अपने मुख्य से कुछ भी कह देता है तो उसका वह पूरा हो जाता है जब उनका ध्यान टूटा था तो उन्होंने ऐसे ही कहा था कि ये किस मूर्ख ने किया तो साध संगत जी जिस बच्चे से वह गेंद उनके लगी थी उस बच्चे की दिमागी हालत खराब हो गई वैसे तो वह बच्चा ठीक था लेकिन वह कुछ पागलों जैसी हरकतें करने लग पड़ा उसको डॉक्टरों के पास भी दिखाया गया सभी जगह उसके माता-पिता ने उस को दिखाया कि हमारा बच्चा ठीक हो जाए इसकी यह बीमारी ठीक हो जाए यह जैसा पहले था वैसा ही हो जाए लेकिन वह बात नहीं बनी बच्चे के माता पिता ने बच्चे को सभी जगह दिखाया बड़े से बड़े डॉक्टर के पास वह उसे लेकर गए लेकिन डॉक्टरों को भी समझ नहीं आया कि इस बच्चे को क्या हुआ है हम इसका कितनी देर से इलाज कर रहे हैं लेकिन यह ठीक क्यों नहीं हो पा रहा तो साध संगत जी उन्होंने अपने बच्चे को बहुत जगह दिखाया लेकिन कोई बात नहीं बनी, साध संगत जी उस बच्चे के माता-पिता को नहीं पता था कि इसके साथ ऐसा क्या हुआ है जिसकी वजह से इसकी दिमागी हालत थोड़ी सी खराब हो गई है वह अपने बच्चे को अलग-अलग स्थानों पर लेकर जाने भी लगे थे कि कहीं से इसे आराम आ जाए लेकिन उन्होंने सब कर कर देख लिया कोई बात नहीं बनी साध संगत जी इसीलिए तो हम संत महात्माओं से डरते हैं उनके आगे नतमस्तक होते हैं क्योंकि साध संगत जी संत महात्मा एक बार जो कह देते हैं वह पूरा होता ही है क्योंकि वह खुद मालिक का रूप है इसलिए हम उनसे संभल कर बात करते हैं हम उनसे सोच समझ कर ही बात करते हैं कि हमसे कोई ऐसी बात ना हो जाए जिसकी वजह से उन्हें गुस्सा आ जाए लेकिन हम फिर भी कहां मानते हैं कोई ना कोई ऐसी बात कर ही देते हैं जिससे वह नाराज हो जाते हैं क्योंकि हम मन मुखी जीव है तो साध संगत जी इस साखी से हमें यही प्रेरणा मिलती है कि अगर कोई मालिक का प्यारा मालिक की बंदगी में लीन है उसकी याद में बैठा हुआ है तो हमें उससे दूर ही रहना चाहिए ताकि हम उसकी भजन बंदगी में किसी तरह की कोई बाधा ना बन सके लेकिन हम कहां समझते हैं हम तो उन्हें देखकर हंसने लग जाते हैं कि पता नहीं क्या कर रहे लेकिन हमें नहीं पता कि वह कितनी पहुंची हस्ती के मालिक हो सकते हैं तो हमें उनसे दूर ही रहना चाहिए और ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहिए जिससे उन्हें परेशानी हो और उनकी भजन बंदगी में कोई रुकावट आए उनके ध्यान में कोई रुकावट आए ।
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By Sant Vachan
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