Sakhi : कमाई वाले सत्संगी का जिंदगी भर चुप रहना और अंतिम समय जोर जोर से हसना । जरूर सुने


साध संगत जी यह वाक्य एक कमाई वाले सत्संगी के मृत्यु के समय का है जो कि आप जी की पत्नी ने संगत से सांझा किया है कि जब आप जी को नाम मिला था तो उसके बाद ही आपने दुनिया की तरफ से मुख मोड़ लिया था और ज्यादा से ज्यादा समय नाम की कमाई की तरफ देते थे आप दूसरे कामों में इतना ध्यान नहीं देते थे जितना कि नाम की कमाई की तरफ देते थे और आप घंटो घंटो भजन पर बैठे रहते और कम ही बात करते थे अगर कोई घर मिलने के लिए आ जाए तो उसे थोड़ी ही बात करते थे और साखियां और कहानियों की मदद से संगत को समझाने की कोशिश करते थे, क्योंकि जितनी आसानी से एक साखी और कहानी के माध्यम से समझाया जा सकता है, उतना किसी और माध्यम से नहीं समझाया जा सकता, तो साध संगत जी उनकी पत्नी ने ऐसी बहुत सारी बातें साझा की है जो कि हमारे लिए जानना बहुत आवश्यक है तो साध संगत जी उनकी इन बातों को पूरा सुनने की कृपालता करें जी ताकि उन्होंने जो अपनी पत्नी को कहा उसे सुनकर हमारा भी उद्धार हो सके हमारा भी मनुष्य जन्म सफल हो सके ।
साध संगत जी, आप जी की पत्नी बताती है कि जब हमारी शादी हुई थी तब यह फौज में नौकरी करते थे और उन्होंने थोड़ा ही समय फौज की नौकरी की और उसके बाद यह वह नौकरी छोड़कर घर आ गए थे क्योंकि इनका मन उस नौकरी में नहीं लगा जिसकी वजह से यह पक्की नौकरी छोड़कर घर आ गए और घर आकर इन्होंने दुकान खोल ली और वही बैठते थे और आप जी कहती हैं कि इन्हें नाम की बख्शीश तो हमारी शादी से पहले ही हुई थी और जब हमारी शादी हुई उसके बाद मैंने भी कहा कि मुझे भी नाम लेना है तो ये मेरे साथ गए थे और मुझे भी नाम मिल गया था मुझे याद है कि मैं सोई होती थी लेकिन यह भजन बंदगी पर बैठे होते थे और मैं इनको देखती रहती थी कि अब इतनी देर हो गई है यह सो क्यों नहीं रहे तो मैं इन्हें देखती रहती थी कि यह घंटो घंटो भजन बंदगी पर बैठे रहते थे तो इनको देखकर मेरे अंदर भी नाम लेने की इच्छा जागृत हुई थी कि मैं भी नाम ले लूं तो इसलिए मैंने भी इनके साथ जाकर नाम ले लिया था और मैं भी भजन बंदगी पर बैठने लग गई थी आप जी कहती हैं कि जब मैंने इनके सामने नाम लेने की इच्छा इनसे सांझा की थी तब उन्हें बहुत खुशी हुई थी और उसके बाद हम दोनों भजन बंदगी पर बैठते थे लेकिन मेरे से ज्यादा यह घंटो घंटो बैठे रहते थे और फिर जैसे-जैसे समय बीतता गया इन्होंने दुनिया की तरफ से मुख मोड़ लिया था यह ज्यादा बात किसी से नहीं करते थे इन्होंने बातें करनी एक प्रकार से बंद ही कर दी थी यह इतने चुप हो गए थे कि डॉक्टर ने भी इनको बोल दिया था कि अगर आप नहीं बोले तो आपकी जो बोलने की ग्रंथियां है जो गले की ग्रंथियां है वह धीरे-धीरे बैठ जाएंगी और खत्म हो जाएंगी क्योंकि इन्होंने बोलना बिल्कुल ही बंद कर दिया था यह एक प्रकार से चुप से हो गए थे जैसे कि इन्हें कुछ हो गया हो, यह बिल्कुल ही बदल गए थे तो जब डॉक्टरों ने इन्हें यह कहा कि आपको थोड़ा बहुत बोलना चाहिए तब जाकर इन्होंने बोलना शुरू किया और आप जी कहती हैं कि जब इन्होंने बोलना शुरू किया तो इनके अंदर से दिव्य ज्ञान प्रकट हुआ ऐसी ऐसी बातें इन्होंने संगत से सांझा की जो की इनके अंदर से आ रही थी सभी संगत इनका बहुत ही मान आदर करती थी इनका सनमान करती थी क्योंकि सभी को पता था की ये बहुत ही कमाई वाले जीव हैं तो साध संगत जी उनकी पत्नी कहती है कि जब इनका अंतिम समय नजदीक आया तब उन्होंने मुझे पहले ही बता दिया था कि मेरा जाने का समय आ गया है और अपना पीछे से ख्याल रखना, भजन बंदगी को पूरा समय देना और यह बहुत खुश लग रहे थे तो जब उन्होंने मुझे यह बातें कहीं तो मैं भावुक हो गई थी मैं रोने लग गई तो उन्होंने मुझे गले से लगाया और मुझे हौसला दिया और बस बार-बार यही कह रहे थे कि भजन बंदगी करना, तो इनकी खुशी का कारण मैंने इनसे पूछने की कोशिश की कि आप इतने खुश क्यों लग रहे हैं जबकि आपका अंतिम समय है और आप इतने खुश दिखाई दे रहे हैं ऐसी कौन सी बात है कि आप इतने मुस्करा रहे है, तो आप जी कहती हैं कि जब मैंने इनसे यह सवाल किया तो उन्होंने मुझे कहानी के माध्यम से बहुत ही अच्छे तरीके से समझाया और आप जी कहती हैं कि यह अक्सर संगत को साखीयों की मदद से और कहानियों की मदद से समझाते थे क्योंकि एक कहानी या फिर एक साखी के माध्यम से जितने आसान तरीके से समझाया जा सकता है उतना किसी और तरीके से नहीं समझाया जा सकता इसलिए अक्सर संत महात्मा भी साखीयों की मदद से और कहानियों की मदद से संगत को समझाने की कोशिश करते हैं तो आप जी कहती हैं कि उन्होंने मुझे मेरे इस सवाल का जवाब एक कहानी के माध्यम से दिया वह कहानी मैं आपसे सांझा करता हूं आप जी कहती है कि उन्होंने कहा कि जैसे हमारे इस देश में कुछ वर्षों बाद सरकार बदल जाती है वैसे ही एक राज्य था और उस राज्य में हर एक वर्ष के बाद राजा को बदल दिया जाता था और जब राजा का एक वर्ष पूरा हो जाता था तब उस राजा को एक लंगोट पहना दी जाती थी और उसे एक कश्ती में बिठाकर एक घने जंगल में छोड़ दिया जाता था वह जंगल ऐसा था कि वहां पर कोई भी बच नहीं पाता था और ना ही वहां पर कुछ खाने पीने के लिए होता था वहां दुख ही दुख थे तकलीफें ही तकलीफे थी तो ऐसे बहुत राजाओं को एक वर्ष के बाद बदल दिया गया और उन्हें उस घने जंगल में छोड़ दिया गया जहां दुख के अलावा और कुछ भी नहीं था वह जो राजे थे जब उन्हें उस राज्य का राजा बनाया गया था तब उन्होंने बहुत आनंद लिया, नाच गाने देखें, अच्छे-अच्छे पकवान उन्हें खाने को मिलते थे हर एक प्रकार का सुख उन्होंने उस एक वर्ष में लिया लेकिन जब उनका एक वर्ष पूरा हो गया तो उन्हें अंधेरे में धकेल दिया जाता तो ऐसे ही बहुत राजाओं के साथ हुआ लेकिन उसके बाद एक राजा आया जो बहुत बुद्धिमान था उसने पहले से ही भविष्य की तैयारी करनी शुरू कर दी थी भविष्य के बारे में सोचना शुरू कर दिया था क्योंकि समझदार वही होता है जो भविष्य की तैयारी पहले से ही कर लेता है तो उसने भी ऐसा ही किया जब उसे राजा बनाया गया तब बहुत नाच गाने किए गए और उसे हर एक सुख दिया गया और उसके कुछ दिनों बाद उस राजा को बहुत निमंत्रण आते थे कि आपके लिए सभा सजाई गई है और आपके लिए अच्छे-अच्छे पकवान भी बनाए हुए हैं लेकिन वह हर पल भविष्य की तैयारियों में लगा रहता था क्योंकि उसे पता था मेरे से जो पहले राजे राज पर बैठे थे उनका क्या हाल हुआ है तो वह बहुत समझदार था उसने उस समय एशो आराम की जिंदगी को ना जीते हुए अपना हर एक पल अपनी आगे की तैयारी में निकाल दिया कोई भी उसके पास आता था कि आपके लिए आज रंगीन नाच होंगे आपको वहां पर आमंत्रित किया गया है तो वह वहां पर जाने से मना कर दिया करता था क्योंकि वह समय बर्बाद नहीं करना चाहता था उसके लिए पल पल कीमती था तो उसने अपने उस समय का प्रयोग अपने आगे की तैयारी के लिए किया तो जैसे जैसे लोगों को पता चलने लग गया कि ये राजा कुछ अलग प्रकार का है ये नाच गानों में रुचि नहीं रखता तो लोगों का आना भी बंद हो गया उसके पास ऐसे निमंत्रण आने बंद हो गए क्योंकि लोग भी अपना ही स्वार्थ सिद्ध करने के लिए दूसरे के पास जाते हैं और जब लोगों को लगता है कि मेरा स्वार्थ सिद्ध नहीं हो सकता तो वह जाना ही बंद कर देते यहां पर रुक कर आप जी ने एक बात कही कि इस संसार में सभी कोई स्वार्थ के कारण एक दूसरे से जुड़ा हुआ है और जब कोई स्वार्थ नहीं रह जाता वे उससे दूरियां बनाने लगता तो ऐसे ही लोगों ने राजे को निमंत्रण देने बंद कर दिए और वह उस एक वर्ष में बहुत कुछ बदल देना चाहता था क्योंकि वह जो एक वर्ष मिलता था उसमें राजा का हर एक हुक्म माना जाता था चाहे ही वह हुकम कोई भी क्यों ना हो तो उस राजा ने हुक्म दिया कि वह जो जंगल है उसकी अवस्था को बेहतर बनाया जाए हर एक चीज वहां पर पहुंचाई जाए और वहां पर भी नगर का निर्माण किया जाए वहां पर भी सभी सुख सहूलताएं भेजी जाएं जो यहां पर मिलती है हर एक चीज वहां पर भेजी जाए जो यहां पर है तो उसके इस हुक्म का पालन किया गया वहां पर नगरों का निर्माण कर दिया गया हर एक चीज वहां पर भेजी गई और हर एक वस्तु को वहां पर ले जाया गया और यह कार्य 11 महीनों में पूरा हो गया था और जब उस राजा का वहां से विदा लेने का समय आया तो उसे एक लंगोट पहना दी गई और कश्ती में बिठाया गया और वह हंसने लग गया, वह जोर जोर से हंसने लग गया वह बहुत खुश दिखाई दे रहा था तो वहां पर लोगों ने राजा से कहा कि आप इतने खुश दिखाई क्यों दे रहे हैं जबकि जो पहले जो राजा थे जो इस राज्य के राजा थे उनको भी आपकी तरह ही लंगोट पहना कर यहां से भेजा गया है लेकिन वह तो बहुत दुखी दिखाई दिए थे लेकिन आप पहले हैं जो इतने खुश दिखाई दे रहे हैं तो उसने वहां पर कहा क्योंकि मैंने इसकी तैयारी पहले से ही कर ली थी मैंने अपने पहले दिन से ही तैयारी करनी शुरू कर दी थी और अब मुझे कोई चिंता नहीं है क्योंकि मुझे पता है जहां मैं जा रहा हूं वहां सुख ही सुख है आनंद ही आनंद है और हर एक चीज वहां पर है तो साध संगत जी इस कहानी के माध्यम से उन्होंने अपनी पत्नी को समझाने की कोशिश की थी कि वह राजा हम ही हैं और यह संसार वह राज्य है यहां पर हम भी कुछ देर के मेहमान है और उसके बाद हमें भी यहां से विदा लेनी है तो जो बुद्धिमान है जिसे समझ आ जाती है कि हम यहां पर कुछ देर के मेहमान हैं तो वह आगे की तैयारी करनी शुरू कर देता है वह पहले ही तैयार हो जाता है क्योंकि उसे पता होता है कि मैं जहां कुछ देर का मेहमान हूं तो इसीलिए वह पहले से ही तैयारी करनी शुरू कर देता है मालिक की भजन बंदगी करनी शुरू कर देता है और जिसने जीते जी नाम की कमाई की है वह मृत्यु के समय रोता नहीं है मुस्कुराता है खुश होता है और उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं होता इतनी खुशी उसके अंदर होती है क्योंकि उसकी लिव हर समय परमात्मा से जुड़ी रहती है और उसे पता होता है की मृत्यु के बाद मुझे उस सतलोक में समाना है जहां पर आनंद ही आनंद है सुख ही सुख है महा आनंद है तो साध संगत जी उनकी इस साखी से हमें भी सीख मिलती है कि हमें भी नाम की कमाई में लगना है समय व्यर्थ नहीं गंवाना है क्योंकि जिसने अब समय व्यर्थ किया उसको बाद में दुख झेलने पड़ेंगे और उसको मृत्यु के समय रोना पड़ेगा लेकिन जिसने जीते जी भजन बंदगी कर ली वह तो फिर मुस्कुराता हुआ जाएगा तो हमें भी समय को व्यर्थ ना गवाते हुए उसकी भजन बंदगी करनी है नाम की कमाई करनी है और गुरु घर की खुशियां प्राप्त करनी है ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर करना, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके ।

By Sant Vachan

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