Sakhi : राजा का महात्मा से सवाल । ऐसा कौन सा कार्य है जो परमात्मा भी नहीं कर सकता । जरूर सुने


साध संगत जी आज की साखी राजा के एक ऐसे प्रश्न से संबंधित है जो कि उसने उस समय के महात्मा रह चुके और मुस्लिम समाज में पैदा हुए अपने गुरु से किया था और यह प्रशन उसने तब किया था जब वह अपने भक्तों को अनमोल वचन फरमा रहे थे और उस राजा ने उनसे नाम दीक्षा ली हुई थी तो जब वह महात्मा अपने भक्तों को अनमोल वचन फरमा रहे थे कि खुदा सब कुछ कर सकता है मालिक सब कुछ कर सकता है सब कुछ उसके हाथ में है और उसकी मर्जी से होता है और वह इस सृष्टि के कण-कण में समाया हुआ है और अगर वह चाहे तो एक पल में हमारी तकदीर बदल सकता है और वह एक पल में राजा को भिखारी बना सकता है और भीख मांग रहे भिखारी को तख्त पर बिठा सकता है
क्योंकि यह संसार उसका एक नाटक है और वह जो चाहे अपनी मर्जी से कर देता है, और इस सृष्टि को उसने अपने हाथों से बनाया है और उसका कानून अटल है इस सृष्टि में हर एक चीज का वजूद उसी के होने से है तो ऐसी बातें वह वहां पर मौजूद अपने भक्तों को समझा रहे थे और राजा भी वहां पर ही बैठा हुआ था तो उस समय राजा ने उनसे यह सवाल कर दिया कि गुरुवर आप हमेशा से हमें समझाते हैं कि वह मालिक वह जो खुदा है वह सब कुछ कर सकता है और उसका कानून अटल है तो मेरे अंदर एक सवाल उठ रहा है कि ऐसा कौन सा काम हो सकता है जो वह मालिक नहीं कर सकता जिसे चाह कर भी वह नहीं कर सकता, ऐसा कौन सा कार्य हो सकता है ? तो उस राजा का यह प्रश्न सुनकर पहले तो वह मुस्कुराए और उन्होंने उस राजा को कहा कि तुम्हारे इस प्रश्न का जवाब हम तुम्हें आज से 7 दिन के बाद देंगे तो राजा ने महात्मा से कहा कि आपने 7 दिन का समय क्यों लिया है तो उन्होंने कहा कि यह बात भी तुम्हें जल्द ही समझ में आ जाएगी बस तुम 7 दिन पूरे होने का इंतजार करो, तब तुम्हें जवाब भी मिल जाएगा तो यह बात सुनकर उसने महात्मा को प्रणाम किया और वापस अपने राज्य में चला गया और वह पूरी रात यही सोचता रहा की आखर सतगुरु ने मुझे 7 दिन का समय क्यों दिया है जबकि वह जवाब दे सकते थे लेकिन उन्होंने मुझे 7 दिन का समय दे दिया है इसमें अवश्य कोई बात होगी तो उसके अंदर इस सवाल के जवाब को जानने की बहुत उत्सुकता थी कि ऐसा कौन सा कार्य हो सकता है जो वह मालिक नहीं कर सकता क्योंकि मैं तो अक्सर सत्संग में सुनता आया हूं कि सब कुछ उसके हाथ में है वह सब कुछ कर सकता है तो ऐसा कोई तो कार्य होगा जो वह नहीं कर सकता, तो उसके अंदर इस बात को जानने की बहुत रूचि थी तो वह दिन गिनने लग गया कि कब 7 दिन पूरे हो और मैं सतगुरु के पास जाओ और अपना जवाब हासिल करू तो उन 7 दिनों में उसका अपनी मां से किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया कोई ऐसी बात हो गई जो कि उसे पसंद नहीं आई तो उसने अपनी मां को बहुत सारी ऐसी बातें सुना दी जिससे कि उसने अपनी मां का दिल दुखा दिया और उसकी मां भी धार्मिक थी और उसकी मां ने भी उस महात्मा से नाम दीक्षा ली हुई थी तो इसी की वजह से राजा भी उस महात्मा के पास जाता था और वह उनको अपना कुल गुरु मानते थे क्योंकि राजा के जो पूर्वज थे वह भी उन्हीं को मानते आए थे क्योंकि उन्होंने भी उनसे ही नाम दीक्षा ली थी तो जब राजा ने अपनी मां का दिल दुखा दिया तो राजा अक्सर सुबह नमाज पढ़ता था और कुछ देर मालिक की याद में बैठता था उसकी भजन बंदगी करता था और राजा बहुत ही धार्मिक था तो जब उसने अपनी मां का दिल दुखा दिया तो उसका मन मालिक की भजन बंदगी में लगना कम हो गया उसे ध्यान आना बंद हो गया और नमाज में भी उसका मन नहीं लगता था तो ऐसा कुछ दिन चला तो जब उसे महसूस हुआ कि कुछ दिनों से मेरा ध्यान नहीं लग रहा है मेरा मन भटक रहा है और बात भी नहीं बन पा रही है तो उसने सोचा कि अभी 2 दिन ही रह गए हैं तो में सतगुरु के पास जाऊंगा और इस सवाल का जवाब भी उन से ले लूंगा तो जब 2 दिन बीत गए राजा उस महात्मा के पास गया जब राजा उस महात्मा के पास पहुंचा तो उसने उन्हें प्रणाम किया और अपना जवाब मांगा , साध संगत जी आप तो जानते ही हैं कि जो मालिक की भजन बंदगी करते हैं नाम की कमाई करते हैं और जो संत जन है वह तो अंतर्यामी होते हैं उन्हें सब मालूम होता है उनसे क्या छुपा होता है तो वह भी जान गए थे कि इसके साथ क्या-क्या हुआ है तो राजा ने जब अपने सवाल का जवाब उनसे मांगा और साथ ही उनसे दूसरा सवाल यह कर दिया कि कुछ दिनों से मेरा मन नमाज में नहीं लग रहा , भजन बंदगी में नहीं लग रहा और मैं अक्सर नमाज पढ़कर उसकी याद में बैठता हूं लेकिन कुछ दिनों से वह बात नहीं बन रही, पता नहीं क्या हुआ है तो उसकी यह बात सुनकर वह जो महात्मा, उन्होंने पहले उसके दूसरे प्रश्न का जवाब दिया और उससे पूछा कि तुमने इन 7 दिनों में किसी का दिल तो नहीं दुखाया थोड़ा विचार करो और ध्यान से देखो कि तुमने किसी का दिल तो नहीं दुखाया है तो राजा ने विचार किया और उसे मालूम हुआ कि मैंने अपनी मां का दिल दुखाया है तो उसने उस महात्मा से कहा कि हां ! मैंने अपनी मां का दिल दुखाया है कोई ऐसी बात हो गई थी जिससे कि मैंने अपनी मां को बहुत सारी बातें सुना दी और यहां तक की उनको राज्य से बाहर निकाल देने तक की बात भी मैंने कह दी थी तो मुझे लगता है कि इन बातों से मेरी मां का दिल दुखा होगा, तो वह जो महात्मा थे उन्होंने कहा कि बस यही कारण है कि तुम्हारी बात नहीं बन रही जब भी तुम उसकी याद में बैठते हो नमाज पढ़ते हो तो वह जो रस तुम्हें पहले आता था वह अब इसलिए नहीं आता क्योंकि तुमने अपनी मां का दिल दुखाया है तो तुम्हें अपनी मां से क्षमा मांगनी होगी उनके पांव पकड़कर उनसे क्षमा मांगनी होगी तब जाकर तुम्हारी बात बनेगी क्योंकि यह जो अंदर का मार्ग है इसमें हमें तरक्की तभी मिल सकती है जब हमने बाहर किसी का दिल ना दुखाया हो, उसके बाद राजा ने कहा कि क्या अपने इसलिए 7 दिन का समय मांगा था, जबकि आप इस सवाल का जवाब मुझे तब भी दे सकते थे, तो महात्मा ने फरमाया, कई बार बातें इतनी गेंहरी चोट नहीं करती जो अनुभव कर देते है, जैसा की अब तुम्हारे साथ हुआ, अब मुझे उम्मीद है कि तुम किसी का दिल दुखाने से पहले कई बार सोचोगे, तुमने जो पहला प्रश्न मुझसे किया था कि ऐसा कौन सा काम है ऐसा कौन सा कार्य है जो परमात्मा नहीं कर सकता, मालिक नहीं कर सकता तुम्हारे इस प्रश्न का जवाब भी यही है कि वह खुदा किसी का दिल नहीं दुखा सकता बस यह एक कार्य ऐसा है जो वह नहीं कर सकता बाकी सब कुछ वह कर सकता है सब कुछ उसके हाथ में है, लेकिन वह किसी का दिल नहीं दुखा सकता, तो मेरी एक बात याद रखना कभी किसी का दिल मत दुखाना चाहे तुम्हारा दिल कोई कितना ही क्यों ना दुखाए लेकिन तुम कभी किसी का दिल मत दुखाना, क्योंकि दिल खुश करने से बड़ी कोई नेकी नहीं और दिल दुखा देने से बड़ा कोई गुनाह नहीं, और हर तरक्की की उल्टी गिनती उस समय शुरू हो जाती है जब हम किसी का दिल दुखाते है, तो अगर तुम्हें रूहानियत के इस मार्ग पर चलना है आगे बढ़ना है तो कभी किसी का दिल मत दुखाना, बड़े से बड़ा नुकसान उठा लेना लेकिन कभी किसी का दिल मत दुखाना, तो वह राजा उस महात्मा की बात को समझ गया था, तो साध संगत जी आज की साखी से हमें भी यही प्रेरणा मिलती है कि अगर हम रुहानियत से जुड़े हुए हैं तो हमें किसी का दिल नहीं दुखाना है चाहे आगे वाला व्यक्ति कितना ही हमारा दिल क्यों ना दुखाए लेकिन हमें उसका दिल नहीं दुखाना क्योंकि यह काम तो वह मालिक भी नहीं करता जिसकी यह सृष्टि है तो अगर हम रूहानियत के इस मार्ग पर आगे बढ़ना चाहते हैं और उस कुल मालिक से मिलाप करना चाहते हैं तो हमें किसी का दिल नहीं दुखाना है क्योंकि संत जन कहते हैं कि अगर तुम्हारे रास्ते में कोई कांटे बिखेरता है तो तुम्हें उसके रास्ते में कांटे नहीं बिखेरने है, क्योंकि अगर तुमने भी ऐसा किया तो यहां पर चलना मुश्किल हो जाएगा, और संत जान कहते हैं कि अगर हमारा कोई दिल दुखाता है और हमारे खिलाफ काम करता है तो हमें उसके आगे हाथ जोड़ देने है क्योंकि इससे बड़ा हथियार और कोई नहीं है ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर करना, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके ।

By Sant Vachan

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