गुरु प्यारी साध संगत जी आज की साखी एक गृहस्थ जीवन में प्रवेश कर चुकी एक सत्संगी लड़की की है जिसकी आज से 2 साल पहले शादी हुई जो कि एक गैर सत्संगी परिवार था साध संगत जी गैर सत्संगी का अर्थ है कि वह लोग सत्संगी नहीं थे उन्हें मालिक के नाम की कोई खबर नहीं थी इसमें उनका भी दोष नहीं था क्योंकि मालिक जिन्हें अपने साथ मिलाना चाहता है वह उसकी मर्जी है उसको वह पूरे गुरु की शरण बक्श देता है और जिसको वह नहीं मिलाना चाहता वह उसको ऐसी जगह जन्म दे देता है जहां पर उसके नाम की कोई खबर ही नहीं होती तो वह परिवार भी वैसा ही था जहां पर मालिक के नाम की कोई खबर नहीं थी, तो जब उस लड़की की शादी वहां पर हो गई तो उसकी दिनचर्या थी कि वह सुबह उठकर मालिक के नाम का जाप करती थी
उसकी दिनचर्या थी कि वह सुबह सुबह शब्द सुनती थी उसकी सुबह मालिक के नाम से शुरू होती थी और रात भी मालिक के नाम से ही खत्म होती थी वह अक्सर शब्द सुना करती और जब भी समय मिल पाता तो भजन पर बैठ जाती वह अपने मन को मालिक की तरफ लगाए रखने की कोशिश करती थी लेकिन जब उसकी शादी हो गई वहां जाकर ऐसा ना हो सका क्योंकि उसके ससुराल में ऐसी चीजें नहीं करने दी जाती लड़की की जो सांस थी उसको यह सब चीजें पसंद नहीं थी वह लड़की को शब्द नहीं सुनने देती जब भी लड़की शब्द लगाकर काम करने लगती या फिर शब्द सुनने लगती तो उसकी सांस उसे बंद कर दिया करती जब उसके साथ ऐसा होता था तब उसे बहुत दुख लगता था कि मेरे ऊपर इतनी पाबंदी क्यों लगा रहे हैं और जब वह अपने सिमरन पर बैठती थी तो उसकी सांस उसे भजन सिमरन पर नहीं बैठने देती थी उसके सामने कोई ना कोई काम लाकर खड़ा कर देती थी ताकि वह भजन सिमरन पर बैठ ही ना सके और जब वह बैठ भी जाती थी तो उसको उठाने आ जाती थी उसको बैठने नहीं देती थी और उसे बार-बार कहती थी कि हमारे घर में यह सब नहीं होता और उसे ना ही सेवा पर जाने देती, और ना ही सत्संग पर जाने देती तो लड़की बहुत परेशान हो गई थी बहुत ही दुख तकलीफ में थी क्योंकि साध संगत जी जो मालिक से जुड़ा हुआ होता है जब उसे कोई मालिक से तोड़ने की कोशिश करता है तो जो दुख होता है वह तो वही जानता है यह तो ऐसा है कि जैसे कि मछली को पानी से अलग कर दिया गया हो तो जैसे मछली तड़पती है वैसे ही मालिक के भक्त और प्यारे तड़पते हैं जब उन्हें मालिक से दूर करने की कोशिश कोई करता है और जो ऐसा करते हैं उन्हें इसका बहुत ही भारी नतीजा भुगतना पड़ता है ऐसा करना उनके लिए बहुत भारी पड़ता है लेकिन फिर भी कुछ लोग हैं जो ऐसी रुकावटें मालिक के भक्त और पैरों में डालते आए हैं और डाल रहे हैं तो वह बहुत ही दुख तकलीफ में थी तो जब उसे पता चला कि उसके पड़ोस में ही एक सत्संगी परिवार रहता है तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था उसे बहुत खुशी हुई कि कोई मालिक का प्यारा मेरे पास है तो जब ही उसे पता चला कि वह वहां रहते हैं तो वह तुरंत उनके घर गई उनसे बातें करने लगी और उस परिवार में एक सत्संगी बुजुर्ग माता थी उस गांव में वह बुजुर्ग माता सबसे बड़ी थी लोग उनका बहुत ही आदर मान करते थे उनको बहुत पहले नाम की बख्शीश हुई थी और गांव का कोई भी फैसला लेना हो तो लोग उनके पास आते थे उनकी सलाह लेते थे अगर गांव में कोई भी झगड़ा हो तो उसका निपटारा भी वही करती थे तो जब वह लड़की उनके घर गई उसने अपनी सारी बात उनको बताई तो यह सुनकर वह जो बुजुर्ग माता थी उनको भी तकलीफ हुई की लड़की के साथ बहुत गलत हो रहा है लड़की को दबाने की कोशिश की जा रही है जो कि नहीं होना चाहिए तो जब लड़की ने अपनी सारी बात उनको बताई तो उन्होंने लड़की को एक कहानी के माध्यम से समझाने की कोशिश की वह कहानी मैं आपसे सांझा करता हूं, ये कहानी आपके जीने की सोच बदल देगी साध संगत जी आप जी कहती है, एक दिन एक किसान का बैल कुएँ में गिर गया , वह बैल घंटों ज़ोर -ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिऐ और क्या नहीं , अंततः उसने निर्णय लिया चूंकि बैल काफी बूढा हो चूका था, उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था, इसलिए किसान ने सोचा उसे कुएँ में ही दफना देना चाहिऐ , किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएँ में मिट्टी डालनी शुरू कर दी , जैसे ही बैल कि समझ में आया कि यह क्या हो रहा है वह और ज़ोर-ज़ोर से चीख़ चीख़ कर रोने लगा वह चीखें लगाता रहा और उसके बाद फिर ,अचानक वह आश्चर्यजनक रुप से शांत हो गया, सब लोग चुपचाप कुएँ में मिट्टी डालते रहे तभी किसान ने कुएँ में झाँका तो वह आश्चर्य से सन्न रह गया, अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी के साथ वह बैल एक आश्चर्यजनक हरकत कर रहा था वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था, जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे -वैसे वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और एक सीढी ऊपर चढ़ आता, जल्दी ही सबको आश्चर्यचकित करते हुए वह बैल कुएँ के किनारे पर पहुंच गया और फिर कूदकर बाहर भाग गया , उसके बाद आपने जी ने लड़की को कहा, ध्यान रखो तुम्हारे जीवन में भी बहुत तरह से मिट्टी फेंकी जायेगी बहुत तरह की गंदगी तुम पर गिरेगी जैसे कि, आपको आगे बढ़ने से रोकने के लिए कोई बेकार में ही आपकी आलोचना करेगा, कोई आपकी सफलता से ईर्ष्या के कारण आपको बेकार में ही भला बुरा कहेगा, कोई आपसे आगे निकलने के लिए ऐसे रास्ते अपनाता हुआ दिखेगा जो आपके आदर्शों के विरुद्ध होंगे, ऐसे में आपको निराश हो कर कुएँ में ही नहीं पड़े रहना है बल्कि साहस के साथ हर तरह की गंदगी को गिरा देना है और उससे सीख ले कर उसे सीढ़ी बनाकर बिना अपने आदर्शों का त्याग किये अपने कदमों को आगे बढ़ाते जाना है, उसके बाद आप जी ने लड़की को कहा की हमारे मार्ग में बहुत रुकावटें आएंगी कुछ रुकावटें बाहर हमें परेशान करेंगी और कुछ रुकावटें अंदर हमें परेशान करेंगी इस मार्ग पर चलने के लिए बहुत ही बड़ा साहस चाहिए उसके बिना बात नहीं बन सकती इस मार्ग पर चलने के लिए मालिक की कृपा चाहिए इसलिए हमें उसके आगे यही अरदास करनी चाहिए कि हे मालिक जो भी कर रहा है तू ही कर रहा है तेरी मर्जी से हो रहा मैं तो तेरी कठपुतली हूं क्योंकि उसके मार्गदर्शन के बिना हम इस मार्ग पर नहीं चल सकते नहीं तो कोई ना कोई रुकावट इस मार्ग पर पड़ी ही रहेगी और हम आगे नहीं बढ़ सकते इस मार्ग पर कभी काल की रुकावटें हैं कभी दुनिया वालों की रुकावटें हैं और कभी हमारा मन नहीं मानता यह मार्ग रुकावटों से भरा है लेकिन हमें इन्हें पार कर कर अपने सच्चे दाम सचखंड जाना है और वह केवल उसकी कृपा से ही हो सकता है तू ये मत समझ कि यह केवल तेरे साथ ही हो रहा है मेरे साथ भी हो चुका है आप जी कहती हैं कि तेरे जो ताया जी थे वह भी मुझे सत्संग पर नहीं जाने देते थे सेवा नहीं करने देते थे मुझे भी बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा है एक दिन तो मैं उनसे बिना पूछे ही सत्संग पर चली गई थी और वह मेरे पीछे आकर सत्संग में ही मुझे बोलने लग गए थे वह दिन आज भी मुझे याद है कि उन्होंने मुझे कितना भला बुरा कहा था उस दिन के बाद मैंने केवल भजन सिमरन पर जोर दिया चाहे जो हो जाए मैंने अपना भजन सिमरन नहीं छोड़ा रुकावटें मेरे मार्ग में भी बहुत आई है लेकिन मैंने अपने सतगुरु के हुक्म की पालना की है और सतगुरु ने मेरी संभाल भी की है और उस कुल मालिक ने मेरी लाज रखी है इसलिए हमें घबराने की जरूरत नहीं है उस पर भरोसा रखना है और आगे बढ़ते जाना है, जीवन में सकारात्मक रहना है, सकारात्मक जीना है ।
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By Sant Vachan
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