सत्संगियों के उप्पर काला जादू जैसी चीजें काम करती है या नहीं । सुनिए एक सच्ची आप बीती । Sant Vachan


साध संगत जी आज की साखी एक ऐसे विषय से संबंधित है जोकि हर समय हमारे मन में एक प्रश्न बना रहता है कि जो सत्संगी है जिन्हें एक पूर्ण संत सतगुरु से नाम की बख्शीश हुई है क्या उन पर कोई जादू टोना या फिर कोई रिद्धि सिद्धि काम करती है या नहीं और अगर हम ऐसी बात संत महात्माओं से करते हैं तो वह अक्सर ऐसी बातों को नकार क्यों देते हैं इसके बारे में भी आज इस साखी में हमें जानने को मिलेगा और आज की यह साखी हमें गुरु की अहमियत गुरु की शक्ति क्या होती है इसके बारे में भी पता चलेगा कि कैसे सतगुरु हमारी संभाल करते है और क्यों गुरु का होना जीवन में जरूरी है आज इसकी अहमियत के बारे में हमें पता चलेगा तो आज की ये साखी एक ऐसे सत्संगी की है जिन्होंने यह बातें अपने साथ होती हुई देखी है यह उनकी सच्ची आपबीती है जो कि हमें लगा कि आप से साझा करनी चाहिए तो साखी को पूरा सुनने की कृपालता करें जी ।
साध संगत जी एक गुरु का प्यारा सत्संगी परिवार था जिनका एक लड़का था जो की फौज की नौकरी करता था साध संगत जी आप तो जानते ही हैं कि जो फौज की नौकरी है इसमें जगह जगह व्यक्ति की बदली होती रहती है कभी कहीं जाना पड़ जाता है कभी कहीं पर बदली हो जाती है तो वह जो सत्संगी परिवार था उनका लड़का भी एक फौजी था और उसकी नई-नई शादी हुई थी तो उस लड़के की बदली एक ऐसी जगह हो गई जहां पर ऐसी बातें सामान्य होती रहती हैं जहां पर ऐसी विद्या को ज्यादा महत्व दिया जाता है हमारे देश भारत में ऐसे कई शहर है जहां पर यह सब होता है तो उस लडके की बदली एक ऐसे ही शहर में हो गई जो कि बंगाल के पास ही था तो वह अपनी पत्नी के साथ वहां पर चला गया तो जब वह दोनों वहां पर रहने लग गए साध संगत जी वहां पर अक्सर तांत्रिकों का , योगियों का आना जाना रहता था , वह अक्सर वहां पर लोगों से कुछ न कुछ मांगते रहते और मांगने आ जाया करते थे तो ऐसे ही जब वह दोनों वहां पर रहने लगे थे तो उनके पास भी ऐसे बहुत सारे योगी और तांत्रिक मांगने के लिए आ जाते थे और उसकी पत्नी उन्हें कभी खाना खिला देती थी कभी कुछ दे दिया करती और साध संगत जी उन दोनों को नाम की बख्शीश हुई थी उन्हें एक पूर्ण संत महात्मा से नाम की बख्शीश हुई थी तो जब यह बात उसके पति को पता चली तो उसने अपनी पत्नी को कहा कि यह ठीक नहीं है ऐसे तो हर रोज ही होता रहेगा हम कितनी देर तक ऐसे ही देते रहेंगे यह बात उसको ठीक ना लगी और उसने अपनी पत्नी को कहा कि अगर आगे से कोई आए तो उसे कह देना कि आगे चले जाओ और हो सके तो हाथ जोड़ देना साध संगत जी उसकी पत्नी ने ऐसे ही किया जब कुछ योगी उनके घर मांगने के लिए आए तो उसने हाथ जोड़ दिए और बोल दिया कि आगे चले जाओ और उस दिन उसका पति भी घर पर ही था और उसने भी उनको कह दिया कि आगे चले जाओ लेकिन कुछ देर बाद एक तांत्रिक आया वह अक्सर जोर से पुकार लगाया करता था और लोग उसकी पुकार सुनकर डर जाया करते थे और उसे दान दे दिया करते थे और लोग उससे डरते भी थे क्योंकि उसकी हैसियत ही कुछ ऐसी थी उस गांव में लोग उससे डरते थे तो जब वह उनके घर आया उसने जोर से पुकार लगाई और उसकी पत्नी बाहर आई उसकी पत्नी ने कहा बाबा जी आप आगे चले जाइए और उनके सामने हाथ जोड़ दिए लेकिन उसने इस बात को अपना अपमान समझा और उसे क्रोध आ गया और उसने यह कह दिया कि मैं यहां से खाली नहीं जाऊंगा तो जब यह बात उसके पति ने सुनी जो कि अंदर बैठा हुआ था तो वह तुरंत बाहर आया और उसने कहा कि आप जहां से जाइए हम हर रोज आपको दान नहीं दे सकते कृपया करके यहां से प्रस्थान कीजिए उसने यह बात कह कर उसका अपमान कर दिया और उसे बहुत बुरा लगा और उसने कहा कि यह तुम्हारे लिए बहुत भारी पड़ेगा इस बात को सुनकर वह जो लड़का था उसे गुस्सा आ गया और उसने उस को धक्का दे दिया और कहा कि जाओ यहां से और उस तांत्रिक को ऐसा अपमान पहली बार उस गांव में सहना पड़ा क्योंकि आज तक किसी ने उसका अपमान नहीं किया था तो आसपास भी यह खबर फैल गई कि वह जो फौजी लड़का है उसने तांत्रिक के साथ ऐसा किया है तो तांत्रिक को बहुत बुरा लगा और उसे बहुत ठेस पहुंची कि इसने मेरा अपमान किया है और उसने मन बना लिया कि मैं इसको सबक सिखा कर रहूंगा तो उसने अपनी काली विद्या से उसे ठेस पहुंचाने की कोशिश की लेकिन उसने उसकी पत्नी को कुछ नहीं कहा उसने यह मन बना लिया कि मैं इसको सबक सिखा कर रहूंगा तो जब उसने उस पर काला जादू करना शुरू कर दिया और जब उसने ऐसा करना शुरू कर दिया तब वह जो उसकी ताकतें थी जो उसने सिद्ध की हुई थी वह उसको लड़के के पीछे छोड़ देता ताकि उसका नुकसान किया जा सके उसे हानि पहुंचाई जा सके लेकिन जब भी वह ऐसा करता था तो जो भी वह लड़के के पीछे छोड़ता था वह वापस आ जाता था और इसी बात को लेकर उसे धक्का लगा कि यह कैसे हो सकता है मेरा किया गया कार्य असफल कैसे हो सकता है मेरे काम को आज तक किसी ने नहीं कांटा मेरा हर किया गया कार्य सफल हुआ है और इसी के कारण मेरी इस गांव में इतनी इज्जत है मेरा इतना मान सम्मान होता है तो उसने दूसरी बार फिर ऐसा करने की कोशिश की लेकिन फिर ऐसा ही हुआ कोई बात ना बने तो उसने इसकी गहराई में जाने की कोशिश की कि ऐसा क्यों हो रहा है तब उसे पता चला कि उसकी रक्षा उसका गुरु कर रहा है और उसे यह पता चल चुका था कि जब तक इसका गुरु इसके साथ है तब तक मैं इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता तो उसने सोचा कि क्यों ना पहले इसके गुरु को ही रास्ते से हटाया जाए तो जब वह इसके बारे में सोच ही रहा था तो उसी समय उसे आवाज आई कि यह तू क्या कर रहा है तुझे नहीं पता कि तेरा पाला किस से पड़ा है तू जिससे निपटने की कोशिश कर रहा है वह कोई आम इंसान नहीं है वह हमसे बहुत ऊपर है वह एक बहुत बड़ी शक्ति है तू तो क्या मैं भी उसके सामने खड़ा नहीं हो सकता , यह बात का उस पर कोई असर नहीं हुआ उसने फिर से वही सब करना शुरू कर दिया, जब भी वैसा करता तो वह जो संत सतगुरु थे उनको पता था कि मेरे शिष्य पर एक बहुत बड़ा संकट मंडरा रहा है तो वह हर पल उसकी संभाल करते थे साध संगत जी ये होती है गुरु की अहमियत हमें नहीं पता कि हमारे साथ क्या-क्या हो रहा होता है लेकिन वह सतगुरु जानता है कि मेरे शिष्य पर कौन सी समस्या आने वाली है तो वह उसे हमारे पास पहुंचने ही नहीं देता उसे पहले ही नष्ट कर देता है खत्म कर देता है ताकि उसके शिष्य को कोई नुकसान ना हो सके साध संगत जी यह होती है गुरु की अहमियत इसलिए तो फरमाया गया है कि गुरु का होना जीवन में बहुत जरूरी है बिना गुरु के हम एक लाश के समान है, इतनी कृपा गुरु हम पर करता है और वह केवल हम से एक ही चीज मांगते हैं वह मालिक की भजन बंदगी और इसमें भी उनका कोई फायदा नहीं है इसमें भी हमारा ही फायदा है जब वह नाम की बख्शीश करते हैं तो हमारी संभाल उनकी जिम्मेवारी हो जाती है लेकिन हम बहुत आसानी से कह देते हैं कि यह नहीं हुआ ऐसा होना चाहिए था लेकिन हम यह नहीं जानते होते की सतगुरु कैसे-कैसे हमारी संभाल कर रहा हैं कौन कौन सी ऐसी मुश्किलें हमारी जिंदगी में आने वाली होती है जो वह पहले ही नष्ट कर देते हैं उन्हें हमारे पास भी नहीं आने देते तो ऐसा ही उस लड़के के साथ भी हुआ उस तांत्रिक ने फिर एक प्रयास किया और अब उसने ऐसा प्रयास किया की लड़के की मृत्यु होनी अवश्य थी जब उस महात्मा को यह खबर हुई कि इस तांत्रिक ने अब अपनी हद पार कर दी है तब उन्होंने अपनी आंखें बंद की वह उनसे कोसों दूर बैठे हुए थे लेकिन उन्हें वहां पर भी खबर थी कि मेरे शिष्य के साथ क्या-क्या हो रहा है और उन्होंने अपनी आंखें बंद की और जैसे ही उन्होंने मालिक के आगे अरदास की तो उस तांत्रिक के जो दोनों हाथों थे वह मुड़ गए जिससे वह सब कुछ कर रहा था और उसकी जुबान भी चली गई और जब ऐसा हुआ तब उस तांत्रिक को यह पता चल गया था कि मेरा पाला एक बहुत बड़ी शक्ति से पड़ा था मुझे समझाने की कोशिश भी की गई लेकिन मैं नहीं माना तो इसी का फल मुझे आज भुगतना पड़ रहा है साध संगत जी ऐसे एक पूर्ण संत सतगुरु हमारी संभाल करता है जब हमें नाम की बख्शीश करते हैं तब वह हमारी जिम्मेवारी लेते हैं इसलिए जिने वह नाम की बख्शीश करते हैं उन पर उनकी कृपा सदा के लिए बनी रहती है कोई भी ऐसी चीज उनके शिष्यों के आसपास नहीं मंडराती और हम अक्सर ऐसे सवाल अपने संत सतगुरु से पूछते हैं तो जब हम ऐसी बातें उनसे करने की कोशिश करते हैं तो वह अक्सर ऐसी बातों को नकार देते हैं वह ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि साध संगत जी जो पूरा गुरु होता है उसकी अवस्था बहुत ऊंची होती है उन्हें इन सब चीजों से कोई लेना देना नहीं होता यह चीजें नीचे होती है और एक गुरु ऊपर की अवस्था का मालिक होता है व वह कुल मालिक का रूप होता है तो इसीलिए वह इन सब बातों को नकार देता है और इसके बारे में ज्यादा जिकर इसलिए नहीं करते क्योंकि वह नहीं चाहते कि उनके बच्चे इन सब बातों में पड़े वह चाहते हैं कि उनके बच्चे भी उन जैसे बन जाए एक पूरा संत सतगुरु अपने शिष्य को भी अपने जैसा बनाने की कोशिश करता है वह नहीं चाहता कि मेरा शिष्य इन सब बातों में उलझ पड़े क्योंकि हमारा इन से कोई लेना देना नहीं होता हमारा सच्चा धाम केवल सचखंड है और हमें मालिक की भजन बंदगी कर कर अपने सच्चे दाम जाना है ना कि ऐसी बातों में पढ़ कर अपना समय व्यर्थ करना है तो इसलिए वह ऐसी बातों को नकार देते हैं ज्यादा ध्यान नहीं देते, तो साध संगत जी इस साखी से हमें यही शिक्षा मिलती है कि जिन्हें एक पूरे संत सद्गुरु से नाम की बख्शीश हो गई है उन्हें किसी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है उन पर ऐसी कोई भी ताकत काम नहीं कर सकती क्योंकि हमारी संभाल वह कुल मालिक खुद करता है, उससे ऊपर और कोई भी नहीं है ऐसी चीजें हमारे पास तो क्या हमारे आसपास भी नहीं मंडराती, जिन्हें एक पूरे संत सतगुरु से नाम की बख्शीश हो जाती है ।

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By Sant Vachan

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