गुरु प्यारी साध संगत जी यह एक सत्संगी बहन की जीवनी है उनके साथ क्या-क्या हुआ कैसी-कैसी मुश्किलों का उन्हें सामना करना पड़ा उन्होंने अपने वह दुख अपने आसपास के पड़ोसी सत्संगियों से सांझा किए हैं जो कुछ भी उन्होंने सांझा किया है उससे हमें भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है हमें गुरु की अहमियत के बारे में पता चलता है कि जब हम एक पूर्ण सद्गुरु से नाम ले लेते हैं उसके बाद वह हमारी कैसे संभाल करते हैं जिंदगी के हर मोड़ पर कैसे वह हमारे साथ होते हैं उसके बारे में आज इस साखी में पता चलेगा कि कैसे उस बहन की संभाल हुई है कैसे उन्होंने सभी परिस्थितियों का सामना किया कैसे सतगुरु ने उसकी पल-पल संभाल की है तो साध संगत जी साखी को पूरा सुनने की कृपालता करें जी
गुरु प्यारी साध संगत जी यह साखी महाराष्ट्र के पुणे शहर में रह रहे एक सत्संगी परिवार की है जिन की लड़की की शादी मुंबई में एक लड़के के साथ हुई उनकी मुंबई में ज्वेलरी शॉप्स है उनका एक अच्छा बिजनेस है साध संगत जी वह लड़की सत्संगी परिवार से होने के कारण उसकी लगन रोहानियत की तरफ थी लेकिन उसकी शादी एक ऐसे परिवार में हुई जोकि सत्संगी नहीं था, उस घर में लड़की को किसी चीज की कमी नहीं थी क्योंकि लड़के के परिवार वालों का एक बहुत अच्छा बिजनेस था लेकिन शादी के कुछ देर बाद वह लड़का अपने परिवार से अलग हो गया उसने मुंबई में कहीं और जगह अपना अलग फ्लैट ले लिया और वह अलग रहने लग पड़े क्योंकि साध संगत जी वह लड़का ड्रग एडिक्टेड था जिसकी वजह से उसके घर वाले उसको बहुत बोलते थे उस पर चिल्लाते थे तो उनके घर पर हर रोज लड़ाई रहती थी जिसकी वजह से उस लड़के ने अपना मुंबई में अलग फ्लैट ले लिया और वह अपनी पत्नी के साथ वहां पर रहने लग गया उसकी पत्नी भी उसे बहुत समझाती थी कि आप इन चीजों को छोड़ दें इन में कुछ नहीं रखा है लेकिन साध संगत जी जो भी ऐसी चीजों का सेवन करना शुरू कर देता है इनसे छुटकारा पाना इतना आसान नहीं होता तो लड़की रोजाना उस कुल मालिक के आगे अरदास करती कि वह उसके पति को एक अच्छा इंसान बना दे, उनका ऐसी बुरी आदतों से छुटकारा हो जाए और इसी बात को लेकर कभी-कभी वह दोनों आपस में भी झगड़ पड़ते थे और बहुत लड़ाई होती थी लेकिन लड़की ने अपने माता-पिता को कभी भी ऐसी कोई बात नहीं बताई थी कि उन दोनों में लड़ाई होती है या फिर ऐसा कुछ भी उसने कभी भी अपने माता-पिता को नहीं बताया था क्योंकि साध संगत जी वह लड़की खुद तो परेशान थी लेकिन वह अपने माता-पिता को परेशान नहीं करना चाहती थी वह नहीं चाहती थी कि उसके माता-पिता को पता चले कि उसके पति नशा करते हैं और उन्हें ऐसी बुरी आदतें लगी हुई है उसने कभी भी अपने माता-पिता को ऐसी कोई भी बात नहीं बताई लेकिन जहां वह रहते थे उसके पड़ोस वालों ने लड़की के माता-पिता को बता दिया कि आपकी लड़की बहुत परेशान रहती है क्योंकि उसका पति दिन भर नशे में डूबा रहता है और उसके घर पर बहुत लोगों का आना जाना भी लगा रहता है जिसकी वजह से आपकी लड़की परेशान रहती है और हम अक्सर देखते हैं कि आपकी लड़की के घर हर रोज लड़ाई होती है वह दोनों आपस में बहुत झगड़ा करते हैं तो जब लड़की के माता-पिता को पता चला कि हमारी लड़की इतनी परेशानी में है तो वह तुरंत अपनी लड़की के पास आ गए उसका हाल चाल पूछने उसके पास चले गए तो जब उसके पास गए तो लड़की ने पहले तो मना किया कि नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है सब कुछ ठीक-ठाक है लड़की के माता-पिता ने बहुत जोर डाला कि हमें बताओ क्या बात है लेकिन लड़की ने नहीं बताया वह मना ही करती गई लेकिन उसी समय वह पड़ोस के लोग भी आ गए जिन्होंने लड़की के माता-पिता को सब कुछ बताया था तो जब लड़की को पता चला कि मेरे माता-पिता को सब पता चल गया है तो उसने सारी बात बताई तो लड़की के पिता ने कहा कि चलो हमारे साथ हम तुम्हें यहां नहीं छोड़ सकते लड़की के पिता ने कहा कि मैं अपनी बेटी को किसी तरह के कोई भी खतरे में नहीं डाल सकता, तुम अभी हमारे साथ चलो बाद में जो होगा वह देखा जाएगा लेकिन लड़की ने जाने से मना कर दिया लड़की ने यही कहा की उसके पति को एक मौका और देना चाहिए उसे सुधरने का एक मौका देना चाहिए, तो जब यह बात लड़की ने अपने पिता से कहीं तो लड़की के पिता ने कहा कि तुम्हारे कहने पर एक मौका हम उसे दे देते हैं लेकिन अगर फिर भी ऐसा ही रहा तो हम तुम्हें यहां से ले जाएंगे तो साध संगत जी लड़की के माता-पिता यह बात कह कर वापस अपने घर चले गए लेकिन उसके बाद भी कुछ सुधार नहीं हुआ उसका पति रोजाना नशा कर घर आता और वह बहुत परेशान होती कभी-कभी वह रोने भी लग जाती, आपने अपना दुख संगत से सांझा किया है आप कहती हैं कि जब मैं भजन सिमरन पर बैठती थी तो मेरा पति जोर-जोर से दरवाजे को खटखटाता था वह मुझे बैठने नहीं देता था मैं जब भी बैठती थी वह जोर-जोर से दरवाजे को खटखटाने लगता जैसे कि उसने दरवाजे को तोड़ ही देना हो तो इसी डर के कारण मैं उठ जाती मुझसे भजन सिमरन नहीं हो पाता क्योंकि मेरा पति मुझे भजन सिमरन पर बैठने ही नहीं देता था और इसी बात को लेकर और भी परेशान थी वह बहुत ही दुख तकलीफों से गुजर रही थी साध संगत जी इसी परेशानी के कारण उसने कुछ गलत कदम उठाने की कोशिश की क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि मैं दोबारा से अपने माता पिता के पास चली जाऊं और वहां जाकर उन्हें दुख दूं वह किसी को परेशान नहीं करना चाहती थी तो इसलिए उसने अपनी जान लेने की कोशिश की कि किसी तरह मेरा इस मुश्किल से छुटकारा हो जाए मेरा ऐसी परिस्थितियों से छुटकारा हो जाए तो जब उसने ऐसा करने की कोशिश की तो तब वह घर पर अकेली थी जब वह ऐसा कर रही थी तो बाहर से किसी ने दरवाजे को खटखटाया तो जब लड़की दरवाजा खोलने के लिए बाहर गई तो उसने देखा की एक सरदार जी खड़े हैं जिनके हाथ में एक पार्सल है जो कि मेरे पति का है तो जब उसने पूछा कि आप कौन हो तो उन्होंने कहा कि मैं आपके पड़ोस में ही रहता हूं यह डाकिया आपका पता पूछ रहा था तो मैंने उसे कहा लाओ मुझे दे दो मैं ही दे दूंगा तो लड़की ने उनसे वह पार्सल ले लिया और लड़की ने उनसे कहा कि आप अंदर आ जाइए और उनको पानी पिलाया उसके बाद लड़की ने उनको चाय के लिए पूछा और फिर उसके बाद उनकी बातें चल पड़ी वह रूहानियत के बारे में चर्चा करने लग पड़े और आप जी कहती हैं कि वह जो सरदार जी थे वह मुझे सत्संग करता लग रहे थे लेकिन मैंने उनसे पूछा नहीं क्योंकि उनकी बातों का मेरे ऊपर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा जैसे कि वह मेरा मार्गदर्शन करने आए हो जैसे कि वह मुझे ज्ञान देने आए हो और आप जी कहती हैं कि उन्होंने मुझसे बहुत बातें की जो जो भी मेरे मन के अंदर परेशानी थी उन सभी के जवाब मुझे उनसे मिल गए थे और आप जी कहती हैं कि मैं इस बात को लेकर बहुत हैरान थी कि जो भी मेरे मन में था जो भी मेरे अंदर चल रहा था यह उनको कैसे पता था क्योंकि उन्होंने मेरी उन्हीं मुश्किलों को हल किया जो मेरे अंदर पड़ी हुई थी जो जो बातें मेरे अंदर थी ऐसे लग रहा था कि उनको सब पता है उन्होंने मुझे एक अच्छा मार्गदर्शन दिया जब मैंने उनसे अपने पति के बारे में बात की तो उन्होंने मुझे समझाया मुझे बताया और एक अच्छा मार्गदर्शन उन्होंने मेरा किया और जब मैंने उनसे पूछा कि आप कहां से हो तो उन्होंने बस इतना ही कहा कि मैं आपका पड़ोसी हूं यहां पास में ही रहता हूं और मैं आर्मी रिटायर्ड ऑफिसर हूं और मुझे भी नाम मिला हुआ है तो लड़की ने कहा कि मुझे बहुत कुछ उनसे सीखने को मिला उन्होंने मुझे एक प्रकार का सत्संग ही दे दिया उन्होंने मेरे मन का बोझ हल्का कर दिया जैसे कि मेरे सतगुरु ने मेरी संभाल की हो जैसे कि उन्होंने मेरा मार्गदर्शन किया क्योंकि मैं ऐसा गलत कदम उठाने जा रही थी जिसका अंदाजा मुझे भी नहीं था लेकिन बिल्कुल ठीक समय पर आकर उन्होंने मेरी संभाल कर ली मुझे बचा लिया, अगर वह उस समय नहीं आते तो कुछ ना कुछ गलत हो ही जाना था तो साध संगत जी इस साखी से हमें भी यही प्रेरणा मिलती है कि जब भी हम ऐसा कोई गलत कदम उठाने लगते हैं तो मालिक किसी ना किसी रूप में आकर हमारी संभाल कर ही लेता है क्योंकि जो उसके प्यारे हैं जो उस कुल मालिक से जुड़े हुए हैं वह अपने उन बच्चों की संभाल करता ही है उन्हें गलत राह पर जाने से रोकता है अगर उसके बच्चे किसी गलत राह पर जाने की कोशिश करते हैं या कोई गलत कदम उठाने की कोशिश करते हैं तो वह किसी न किसी रूप में आकर उनकी संभाल करता है उनका मार्गदर्शन करता है तो हमें भी इस साखी से यही सीखना चाहिए कि हमें कभी भी ऐसा गलत कदम नहीं उठाना है जिसके कारण उंगली हमारे गुरु की तरफ उठे क्योंकि जो सतगुरु होता है वह तो हमें अंदर और बाहर से दोनों तरफ से मजबूत बनाता है वह हमें कमजोर नहीं बनाता और जब उसके कुछ बच्चे कमजोर पड़ जाते हैं और वह ऐसे गलत कदम उठाने लगते हैं तब उसे दुख भी होता है और अपने उन बच्चों को समझाने के लिए उसे आना पड़ता है किसी न किसी रूप में उसे हाज़िर होना पड़ता है ।
साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ,अगर आप साखियां, सत्संग और सवाल जवाब पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखियां, सत्संग और सवाल जवाब की Notification आप तक पहुंच सके ।
By Sant Vachan
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