ये साखी एक सच्ची घटना है । सत्संगी माई की मृत्यु से पहले हुआ कुछ ऐसा ! संगत की आंखे नम रह गई ।

 

साध संगत जी आज की यह सच्ची घटना सुनकर हमें यह पता चलेगा कि जब कोई मालिक का प्यारा इस संसार से विदा लेता है तो उसके जो अनुभव रहते हैं और जो भी उसके साथ होता है उससे हमें भी प्रेरणा लेनी चाहिए क्योंकि जैसी मृत्यु उनकी होती है ऐसी मृत्यु हर किसी की हो पाना संभव नहीं है, तो साखी को पूरा सुनने की कृपालता करे जी ।

साध संगत जी यह एक सच्ची घटना है जो कि हाल ही में घटी है एक कमाई वाली सत्संगी माता जिनको सभी प्यार से माई कह कर पुकारते थे संगत प्यार से माता को माई कहा करती थी और सभी संगत को यह बात पता थी की माई बहुत पुरानी है और इन्हें बहुत पहले नाम की बख्शीश हो चुकी है इसलिए वह संगत में सबसे बुजुर्ग थी और उनकी आयु भी लगभग 90 वर्ष के आसपास रही होगी साध संगत जी इस उमर में आकर अक्सर लोग लाठी की मदद से चलने लगते हैं और फिर भी उन से चला नहीं जाता और इस उमर में लोग ज्यादा काम भी नहीं करते क्योंकि उनका शरीर इसकी इजाजत नहीं देता लेकिन जो नाम की कमाई शुरू से करते आ रहे होते हैं मालिक उनकी आत्मा को ऊर्जावान तो बनाता ही है और उसके साथ साथ मालिक उनके शरीर को भी वह ताकत देता है कि वह कहीं कमजोर ना पड़े तो ऐसे ही यह माई भी थी और माई की चाल ऐसी थी कि किसी जवान लड़के को भी वह पीछे छोड़ दे इतनी तेज उनकी चाल थी, इस आयु में आकर भी उनकी चाल ऐसी थी और साध संगत जी संगत बताती है कि उनके जितनी सेवा शायद ही कोई गुरु घर में करता होगा और वह सेवा करती थकती भी नहीं थी तो बहुत सारी संगत को उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला और वह अक्सर सबको यही उपदेश दिया करती थी कि यह मौका दोबारा नहीं मिलना जितना हो सके भजन सिमरन कर लो जितनी हो सके सेवा कर लो यह मनुष्य जन्म बार-बार नहीं मिलना जितना हो सके गुरुघर को लूट लो, ऐसा गुरु दोबारा नहीं मिलना, तो ऐसी ऐसी बातें माई संगत में किया करती थी और संगत उनके उपदेश को माना करती, अक्सर संगत माई की बातों को सुनकर भावुक हो जाया करती थी और माई अक्सर अपने समय की साखियां संगत को सुनाती थी जिसे सुनकर संगत की आंखें नम रह जाती थी और माई एक बात पर बहुत जोर देती थी कि समय बहुत कम है भजन सिमरन कर लो क्योंकि बार-बार यह मनुष्य जन्म नहीं मिलेगा बार-बार ऐसा गुरु नहीं मिलेगा जो हमें बार-बार यही कहता है की भजन सिमरन के इलावा हमारा पार उतारा नहीं हो सकता और वह केवल और केवल भजन सिमरन पर जोर ही देता है और किसी बात पर नहीं तो ऐसा गुरु मिलना बहुत मुश्किल है क्योंकि हम देखते हैं कि कितने लोग बाहर मुखी भक्तियों में लगे हुए हैं और बाहर ही मालिक को ढूंढ रहे हैं लेकिन हमारा जो सतगुरु है हमें अंदर की तरफ मोड़ता है हमें अंदर जाने का उपदेश देता है और वह हमें सत्संग में कोई कहानियां नहीं सुनाता केवल नाम की चर्चा करता है तो ऐसा गुरु मिल पाना बहुत मुश्किल है इसलिए जो भी करना है जल्दी करो ! अभी करो ! ऐसा मौका दोबारा नहीं मिलेगा, तो उनकी ऐसी बातें सुनकर संगत में कुछ अभ्यासी जीव होते थे जो रो दिया करते थे और वह उनको हौसला दिया करती थी, माई अक्सर सेवा के बाद संगत को एक साखी अवश्य सुनाती थी तो ऐसे ही सभी संगत का माई के साथ बहुत प्रेम था बहुत प्यार पड़ गया था तो साध संगत जी जब माई का मृत्यु का समय नजदीक आया तो उन्होंने पहले ही संगत को इशारे देने शुरू कर दिए थे कि मेरे जाने का समय हो गया है लेकिन केवल कुछ ही अभ्यासी जीव माई के उन इशारों को समझ पाए थे तो जब माई का अंतिम समय नजदीक आया तो उन्होंने घर से निकलना बंद कर दिया और ज्यादा से ज्यादा जोर भजन सिमरन पर दे दिया तो जब संगत ने देखा कि माई अब गुरु घर भी नहीं आती सेवा पर भी नहीं आती तो धीरे धीरे करकर संगत उनके घर जाने लगी थी उनका हालचाल पूछने जाने लगी थी तो जो भी माई के पास जाता था माई उसको केवल यही बात कहती की भजन सिमरन करो ! इसके अलावा हमारा कुछ नहीं हो सकता और ऐसे ही धीरे धीरे कर सभी संगत जो माई से प्यार करती थी वह माई से मिल चुकी थी और माई को बिस्तर पर देख कुछ संगत की आंखों में आंसू आ गए और जो संगत में कमाई वाले जीव थे उनको यह बात पता चल चुकी थी कि माई का अंतिम समय नजदीक है तो माई ने सबको इकट्ठा किया और उन्हें अंतिम उपदेश दिया कि ऐसा गुरु दोबारा नहीं मिलेगा ऐसी सेवा दोबारा नहीं मिलेगी इसलिए जितना जल्दी हो सके अपनी सूरत को शब्द से जोड़ दो ताकि हमारा इस आवागमन के खेल से छुटकारा हो सके हमें मुक्ति मिल सके, और उसके बाद माई के परिवार वाले बताते हैं कि वह रात के 12:00 बजे उठकर नहाने लगी और उन्होंने हमें केवल इतना कहा कि मुझे दोबारा से नहलाने की जरूरत नहीं है तो साध संगत जी जो ऐसे नाम की कमाई वाले जीव होते हैं उन्हें मृत्यु की खबर पहले हो जाती है इसलिए वह पहले ही तैयारी कर लेते हैं उन्हें पहले ही पता चल जाता है की सतगुरु हमें लेने आने वाले है और ऐसा केवल उनके साथ होता है जो कमाई वाले होते हैं नहीं तो आज के समय में कब किसकी मृत्यु हो जाए कुछ पता ही नहीं चलता लेकिन जो नाम की कमाई वाले होते है उनके साथ ऐसा नहीं होता उन्हें पहले ही पता होता है तो इसलिए वह पहले से ही तैयार रहते हैं और सतगुरु के आने का इंतजार करते है ताकि कब सतगुरु आए और उन्हें अपने साथ सचखंड ले चलें तो ऐसा ही माई के साथ भी हुआ और माई के परिवार वाले कहते हैं कि जब हम सभी ने माई के कमरे में जाकर देखा और माई को हिलाया तो हमें पता चल गया था कि वह शरीर छोड़ चुकी है और साथ ही जो टेबल पड़ा था उस पर एक पेज पड़ा हुआ था जिस पर माता जी के लिखे हुए वचन थे जो माताजी संगत के लिए छोड़ गई थी उस पर लिखा हुआ था कि मेरी मृत्यु पर संगत रोए ना केवल भजन सिमरन करें, और नीचे लिखा हुआ था कि मेरा संगत को यही उपदेश है कि भजन सिमरन करो ! इस समय जो दया हम पर हो रही है जैसा गुरु हमें मिला हुआ है ऐसा गुरु मिलना बहुत मुश्किल है इसलिए जितना हो सके भजन सिमरन करो ! तो जब माई के परिवार वालों ने यह बातें संगत को पढ़कर सुनाई तो उनमें से कुछ अभ्यासियों की चीखें निकल पड़ी और कुछ जोर जोर से रोने लग गए थे क्योंकि साध संगत जी सभी संगत माई से बहुत प्यार करती थी संगत का माई से बहुत लगाव था तो ऐसे माई ने भजन सिमरन करने का उपदेश देते हुए इस संसार से विदा ली और सभी को भजन सिमरन करने का आशीर्वाद दिया ।

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By Sant Vachan


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