सतगुरु कहते है, मालिक की याद में बहाया हुआ एक भी आंसू करोडो जन्मों की मैल धो देता है, भजन के बिना कुछ नहीं हो सकता ,भजन ही अमृत है, जब तक परमेश्वर के पास हम नहीं पहुँचते तब तक दैवी शक्तियाँ हमारे पास नहीं आ सकती क्योंकि उनका ताल्लुक हमारे साथ नहीं है, परमेश्वर के साथ है, मुक्ति के तीन साधन सुमिरन ध्यान और धुन, इन तीनों में से एक ना एक हर समय सत्संगी के अंग में जरूर होना चाहिए ।
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