Saakhi । सतगुरु नानक की बगदाद फेरी और वहां के राजा ने सतगुरु से किए 3 सवाल । खुदा को किसने बनाया ?


साध संगत जी आज की साखी सतगुरु नानक देव जी के समय की है उस समय सतगुरु बगदाद गए हुए थे और यह बात उस समय वहां का जो दस्तगीर था वहां का जो मुखी था उसके पास जा पहुंची कि हमारे राज में कोई महात्मा आया है, तो उसे भी महात्माओं से मिलना बहुत अच्छा लगता था क्योंकि उसके कुछ प्रश्न थे जो हर समय उसे परेशान करते रहते थे और जिनका जवाब उसे नहीं मिल पाया था उसने उन प्रश्नों के जवाब बहुत खोजे थे लेकिन उसे कहीं से भी उसके प्रश्नों के जवाब नहीं मिले जिसकी वजह से वह कुछ परेशान रहता था चिंतित रहता था और उसने अपने मुल्क के फकीरों के पास से भी वह प्रश्न पूछे थे लेकिन उसे जवाब नहीं मिल पाया था, उसने बहुत कोशिश की थी कि मुझे इन प्रश्नों का जवाब मिल जाए और मुझे शांति मिले और वह जानना चाहता था कि रूहानियत क्या है तो साध जी जब सतगुरु वहां पर गए तो उस समय दस्तगीर ने सतगुरु से 3 सवाल पूछे, जोकि आज इस साखी में आपसे सांझा किए जाएंगे, साध संगत जी आज के समय में धर्म का प्रचार करना, मालिक के नाम का प्रचार करना कितना आसान है लेकिन उस समय कितना कठिन था ये भी आज हमें इस साखी में पता चलेगा, तो साखी को पूरा सुनने की कृपालता करें जी ।

साध संगत जी जब सतगुरु बगदाद गए और वहां पर जाकर जब सतगुरु ने सतनाम का होका दिया तो वहां के लोगों ने सतगुरु को पत्थर मारे क्योंकि वह जो सतनाम का होका सतगुरु ने दिया वह जो सतनाम की गूंज थी वह उनके धर्म से मेल नहीं खाती थी और वह समझ रहे थे कि ये हमें हमारे धर्म से तोड़ने के लिए आए है और लोगों ने सतगुरु को खाई में फेंक दिया, लेकिन सतगुरु उस खाई से भी बाहर आ गए और जब सतगुरु उस खाई से बाहर आ गए तो उन्हें वहां दस्तगीर के सामने पेश किया गया, वह वहां का मुखी था, तो साध संगत जी सतगुरु तो जानी जान होते हैं उन्हें सब मालूम होता है तो जब सतगुरु वहां पर गए तो दस्तगीर ने सतगुरु से कहा कि मैंने सुना है कि आप एक महात्मा है लेकिन मेरे कुछ प्रश्न है जिनके जवाब मुझे आज तक नहीं मिल पाए, अगर आप मेरे इन प्रश्नों का जवाब मुझे दे दोगे तो आपकी बड़ी किरपा होगी, मेरा मस्तक आपके चरणों में होगा, लेकिन अगर आपने मेरे प्रश्नों के जवाब नहीं दिए तो हमारे यहां सजा दी जाती है कि व्यक्ति को जमीन में घुटनों तक दबाकर उसको पत्थर मारे जाते है, तो सतगुरु ने कहा कि ए दस्तगीर सजा के डर से तो हम जवाब नहीं देंगे लेकिन हम घर से निकले ही इसलिए है की लोगों के सवालों का जवाब उन्हें दे सके, तो सतगुरु ने कहां, पूछो आपके क्या सवाल है, तो वह अपने सिंहासन पर बैठा था और सतगुरु अपने शिष्य मर्दाना के साथ खड़े थे, तो उसने सतगुरु को कहा कि मेरा पहला प्रश्न यह है जिसका जवाब आज तक मुझे नहीं मिला कि परमात्मा से पहले क्या था ? खुदा से पहले क्या था ? मैं जानना चाहता हूं कि जब यहां पर कुछ भी नहीं था तो उस समय यहां पर क्या था ? तो उसके इस सवाल का जवाब सतगुरु ने बहुत ही अच्छे तरीके से उसे दिया सतगुरु ने उसे कहा कि किसी भी सवाल का जवाब देने से पहले हमने एक विधान बनाया हुआ है मुझे एक मोतियों से भरा हुआ थाल चाहिए तो उसने सोचा कि ये तो लोभी फकीर है, जवाब अभी दिया नहीं और पहले ही मांग रहे है तो उसने अपने सिपाहियों को हुकुम दिया कि जाओ जाकर मोतियों से भरा थाल ले आओ तो मोतियों से भरा हुआ थाल आ गया और सतगुरु ने उसे कहा कि इसमें जितने मोती हैं उनकी गिनती करनी शुरू करो और जब उसने ने गिनती करनी शुरू की और जब उसने कहा 1, 2, 3, 4 सतगुरु ने उसे वही रोक दिया और कहा कि नहीं तुम गलत कर रहे हो दोबारा से करो, तो उसने दोबारा से गिनती करनी शुरू की 1, 2, 3 तो सतगुरु ने फिर रोक दिया कि नहीं तुम गिनती सही से नहीं कर रहे तो उसने कहा कि, तो फिर कैसे करूं 1 से ही तो गिनती शुरू होती है और उसने कहा कि अब मैं फिर से गिनती करनी शुरू करता हूं जब आपको लगे कि मैं गलत हूं तो मुझे उसी समय रोक देना मेरा उसी समय हाथ पकड़ लेना तो जब उसने गिनती करनी शुरू की और कहा 1, तो सतगुरु ने उसी समय उसका हाथ पकड़ लिया और कहा कि नहीं तुम यही पर गलत हो, इससे पहले गिनती करनी शुरू करो तो उसने कहा कि यह कैसे हो सकता है एक से पहले में गिनती कैसे शुरू कर सकता हूं एक से पहले कुछ भी नहीं है तो 1 से पहले गिनती कैसे शुरू हो सकती है तो सतगुरु ने कहा कि तेरे पहले प्रश्न का जवाब भी यही है कि जैसे 1 एक से पहले कुछ भी नहीं है तो ऐसे ही परमात्मा से पहले भी कुछ नहीं था, ऐसे ही खुदा से पहले भी कुछ नहीं था, ये जो कुछ भी बना है इस संसार की रचना हुई है या फिर जो जो भी बना है जो भी रचनाएं हैं सब उस एक से ही शुरू होती है उस एक से ही बनी है और उससे पहले कुछ भी नहीं था तो सतगुरु का यह जवाब सुनकर उसके मन को शांति मिली क्योंकि वह वर्षों से इसका जवाब ढूंढ रहा था और उसे इसका जवाब नहीं मिल पाया था तो उसके मन में सतगुरु के प्रति मान आदर और भी बढ़ गया कि मेरे पहले सवाल का जवाब मुझे मिल गया है तो उसे लगा कि अगले जो प्रश्न है उसका जवाब भी मुझे मिल जाएगा तो उसने अपना अगला सवाल सतगुरु के सामने रखा और कहा कि खुदा रहता कहा है और अगर परमात्मा है तो दिखाई क्यों नहीं देता ? हम सभी उसकी पूजा करते हैं उसका गुणगान करते हैं लेकिन वह दिखाई क्यों नहीं देता इसकी क्या वजह है ? तो सतगुरु ने इसका जवाब भी बहुत अच्छे तरीके से उसको दिया सतगुरु ने कहा कि जाओ एक प्याला दूध का लेकर आओ तो उसने अपने सिपाहियों को हुकुम दिया कि जाओ अभी जाकर दूध लेकर आओ तो दूध हाजिर हो गया तो सतगुरु के हाथों में दूध का प्याला आ गया और सतगुरु उसको देख रहे हैं तो दस्तगीर ने कहा कि दूध बिल्कुल पवित्र है शुद्ध है तो सतगुरु ने कहा कि मैंने कब कहा कि इसमें कोई खराबी है दूध बहुत अच्छा है तो उसने कहा कि फिर आप मेरे दूसरे सवाल का जवाब दीजिए तो सतगुरु ने कहा कि तुम्हें इसमें घी दिख रहा है उसने कहा कि नहीं इसमें घी कैसे दिख सकता है जब हम इसका दही बनाएंगे और उससे फिर मक्खन बनाएंगे तो उसके बाद ही घी बनेगा ऐसे कैसे दिख सकता है और उसके बाद सतगुरु ने कहा कि तुम यह मानते हो कि इसमें घी है तो उसने कहा जी हां मैं मानता हूं इसमें घी है सतगुरु ने कहा कि दूध के कण-कण में घी है लेकिन वह हमें दिखाई नहीं पड़ता, दिखाई तभी पड़ता है जब हम इससे मक्खन बनाते हैं और उसके बाद घी निकलता है तब हमें पता चलता है कि इसमें घी है तो ऐसे ही मालिक भी कण-कण में समाया हुआ है लेकिन हमें दिखाई नहीं देता लेकिन जैसे-जैसे हम उसका गुणगान करते हैं उसकी भजन बंदगी करते हैं तपस्या करते हैं वैसे वैसे हमें मालिक की अनुभूति होने लगती है और वह मालिक सभी जगह हमें दिखाई देने लगता है, तो उसे समझ आ गई थी कि सतगुरु क्या समझाना चाहते हैं तो उसे उसके दूसरे प्रश्न का भी जवाब मिल गया था और वह बहुत ही प्रसन्न था तो उसके बाद उसने अपना तीसरा सवाल सद्गुरु के आगे रखा कि अगर परमात्मा है तो वह काम क्या करता है उसका क्या काम है ? तो उसका ये सवाल सुनकर पहले तो सतगुरु मुस्कुराए और फिर उसको कहा कि तुम्हारे इस सवाल का जवाब भी हम तुम्हें देंगे लेकिन उससे पहले तुम्हें एक काम करना होगा जहां पर हम खड़े हैं वहां पर तुम आ जाओ और जहां पर तुम हो वहां पर मैं आ जाता हूं उसके बाद तुम्हारे इस सवाल का जवाब तुम्हें मिलेगा तो उसने कहा जी ठीक है तो सतगुरु उसके स्थान पर चले गए और वह सतगुरु के स्थान पर आ गया सतगुरु उसके सिंहासन पर चौकड़ी लगा कर बैठ गए और अंतर्ध्यान हो गए और उसके बाद सतगुरु ने अपनी आंखें खोली और जब सतगुरु ने अपनी आंखें खोली तो उसने पूछा की मेरे तीसरे प्रश्न का क्या जवाब है तो सतगुरु ने कहा कि यही तुम्हारे तीसरे प्रश्न का जवाब है कि वह जो कुल मालिक है वह एक पल में किसी को राजा बना देता है एक पल में ही किसी को कुछ बना देता है जैसे कि मैं अब तुम्हारे सिंहासन पर हूं और यह उसका खेल है वह जिसको चाहे जो मर्जी बना दे वह किसी को राजा बना देता है किसी को भिखारी बना देता है यही उसका काम है और यह पूरा का पूरा खेल उसका है ये खेल उसकी मर्जी से चलता है हमारी मर्जी से नहीं और वह जिसको चाहे जो मर्जी बना दे तो उसको सतगुरु की ये बात समझ आ गई थी और उसे उसके तीसरे प्रश्न का भी जवाब मिल चुका था और वह सतगुरु के पाव पर जाकर गिर पड़ा क्योंकि वह जान गया था कि वाक्य ही ये एक महात्मा है एक पूर्ण महात्मा है वह बहुत ही खुश था कि आज मेरे तीनों प्रश्नों का जवाब मुझे मिल गया है जिसे वह ढूंढ रहा था और उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था तो साध संगत जी आज की इस साखी से हमें यही प्रेरणा मिलती है कि जो पूर्ण संत महात्मा होते हैं उनके पास हर एक प्रश्न का जवाब होता है और वह केवल हमें मालिक की भजन बंदगी में लगाने के लिए आते हैं और हमें हमेशा से ही यही समझाते हैं कि भाई मालिक की भजन बंदगी के अलावा हमारा उद्धार नहीं हो सकता उसके बिना हमारे साथ किसी ने नहीं जाना अगर हमने अपने जीवन में नाम की कमाई की होगी शब्द की कमाई की होगी तभी हमारी संभाल होगी नहीं तो हमारा पार उतारा नहीं हो सकता तो जो पूर्ण संत महात्मा होते है वह हमें मालिक की भजन बंदगी में लगाने के लिए आते हैं ताकि हमारा उस कुल मालिक से मिलाप हो सके और हम अपने सच्चे धाम सचखंड जा सके और हमारा इस जन्म मरण के चक्कर से छुटकारा हो सके ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर करना, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके ।

By Sant Vachan


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