
साध संगत जी आज का विषय एक ऐसा विषय है जोकि आज के समय में हर बच्चे बूढ़े और जवान लोगों की समस्या बन चुका है साध संगत जी आज के समय में अधिक लोग दिमाग की तकलीफो से ग्रस्त रहते हैं और अधिक लोगों में स्ट्रेस डिप्रेशन जैसी बीमारियां पाई गई है जिनके पीछे हर किसी के अपने-अपने कारण है और ये ऐसी बीमारियां हैं जो कि हमारे दिमाग को कमजोर करती है और ऐसे व्यक्ति को रात रात तक नींद नहीं आती और व्यक्ति चिड़चिड़ा सा रहता है उसे गुस्सा जल्दी आने लगता है और माइग्रेन में सिर के दर्द की तकलीफ व्यक्ति से सहन नहीं हो पाती और भी ऐसी बहुत सारी दिमाग से संबंधित बीमारियां हैं
जो हमें दिन प्रतिदिन कमजोर करती जा रही है जिसकी वजह से हम किसी भी काम को लगन से नहीं करते और किसी भी काम में हम रुचि नहीं लेते, कोई भी काम हमसे ढंग से नहीं हो पाता और हम चिड चिडे हो जाते हैं और छोटी-छोटी बात पर गुस्सा होने लगते हैं तो ऐसी बहुत सारी समस्याएं आज के दौर में पाई जा रही हैं जिसका केवल एक ही हल है और वह है भजन सिमरन और साध संगत जी यह बात हम भी जानते हैं कि हमारे दिमाग में हर रोज लाखों करोड़ों विचार आते हैं और यह विचार हमारी दिमागी हालत को कमजोर करते रहते हैं जिसकी वजह से हमें दिमाग से संबंधित ऐसी ऐसी बीमारियां हो जाती है तो जब व्यक्ति मेडिटेशन करता है ध्यान में बैठता है भजन सिमरन करता है तो उसके दिमाग से कुछ ऐसे केमिकल निकलते हैं जोकि हमारी अंदर की व्यवस्था को बेहतर बनाते हैं हमें शांत रखते हैं और हमें जल्दी गुस्सा नहीं आने देते और जब कोई व्यक्ति भजन सिमरन करता है ध्यान करता है तो जो उसकी कंसंट्रेशन पावर है वह एक आम व्यक्ति से बहुत ज्यादा होती है वह व्यक्ति अगर किसी बात का प्रण ले ले कि मुझे यह करना है तो वह उसे कर कर ही रहता है और उस व्यक्ति का दिमाग दिन प्रतिदिन जागरूक होता रहता है तेज़ होता रहता है क्योंकि साध संगत जी यह बात विज्ञानियों ने भी सिद्ध कर दी है कि दिमाग के विकास की आयु 14 से 15 वर्ष तक होती है उसके बाद नहीं लेकिन अगर व्यक्ति ध्यान करता है या फिर भजन सिमरन करता है तो उसका दिमाग प्रतिदिन तेज होता है और वह हर एक चीज लगन से करने लगता है क्योंकि ध्यान करने वाले व्यक्ति के दिमाग के अंदर विचार इतने नहीं चलते जितने कि एक आम व्यक्ति के अंदर चलते हैं जैसे जैसे व्यक्ति ध्यान करता है या फिर भजन सिमरन करता जाता है उसके विचारों की संख्या कम होती रहती है और उसका दिमाग शांत होने लगता है तेज होने लगता है और एक ऐसी सीमा आती है जहां पर हमारे अंदर कोई भी विचार नहीं रहता हमारा दिमाग शून्य हो जाता है उस समय हमारे दिमाग के अंदर बहुत सारी तब्दीलियां होती है जो हमें दिन प्रतिदिन अच्छा बनाती जाती है और हम हर काम लगन से करने लग जाते हैं इसलिए आपने देखा होगा कि जो नाम की कमाई करते हैं भजन सिमरन करते हैं वह बहुत सोच समझ कर बात करते हैं ज्यादा बात नहीं करते तो साध संगत जी आज की ये साखी सुनकर हमे ये पता चलेगा की भजन सिमरन करने से कैसे हमारी सभी परेशानियां दूर होती है कैसे हमारी सभी बीमारियां दूर होती है तो साध संगत जी आज की यह कहानी पंजाब के पटियाला शहर में रह रहे एक सत्संगी परिवार की 15 साल की लड़की की है जोकि डिप्रेशन का शिकार रह चुकी है और उनकी माता ने अपनी आपबीती सुनाई है जो कि आपसे सांझा करने जा रहा हूं आप जी कहती हैं कि मेरी लड़की सातवीं कक्षा में पढ़ती थी जब ये इस बीमारी का शिकार हो गई और यह छोटी-छोटी बात पर चिड जाती थी इसे गुस्सा आने लगता और यह रात रात तक सोती नहीं थी अगर मैं इसे सुलाने की कोशिश करती थी तब ये उठ कर बैठ जाती थी क्योंकि इसे नींद नहीं आती थी और ये कहती थी की इसके दिमाग पर एक भारीपन सा बना रहता था और मेरी लड़की हर समय परेशान रहती थी और घर के अंदर ही रहती थी घर के बाहर जाना पसंद नहीं करती थी इसे दूसरों के साथ बात करना अच्छा नहीं लगता था इसे अकेली रहना ही अच्छा लगता था और यह अंदर ही अंदर घुटती जा रही थी और कुछ पागलों जैसी हरकतें भी करने लग पड़ी, जब इसके साथ यह सब होने लगा तो मुझे चिंता होने लगी तो मैंने अपने घर वालों से बात की तो वह इस बात को दूसरी तरफ ले गए कि पता नहीं इसके ऊपर किसी ने कुछ कर ना दिया हो, तो उन्होंने मुझे एक बाबा के पास जाने की सलाह दी कि उस बाबा के पास लेकर जाओ लेकिन मेरा मन इस बात को नहीं मान रहा था कि ऐसा कुछ हो सकता है क्योंकि मैं तो शुरु से ही सत्संग सुनती आई हूं और मुझे सतगुरु पर पूरा विश्वास था कि ऐसा कुछ नहीं हो सकता और मेरा मन इस बात के लिए नहीं माना लेकिन घरवालों के जोर डालने पर मुझे अपनी लड़की को लेकर उस बाबा के पास जाना पड़ा तो जब मैं उनके पास गई तो उसने मुझे एक कागज में राख डाल कर दे दी कि जब ये पागलों जैसी हरकतें करना शुरू करें इसे यह खिला देना तो जब मेरी लड़की कुछ ऐसी हरकतें करती थी तो मैं उसे वह खिला दिया करती थी और उसके बाद वह कुछ देर के लिए ठीक भी हो जाती थी लेकिन उसके बाद फिर वही हरकतें करना शुरू कर देती थी और ऐसा कुछ दिनों तक होता रहा जब वह पागलों जैसी हरकतें करने लगती तो मैं उसे वह थोड़ी सी राख दे देती तो वह कुछ देर के लिए ठीक हो जाती लेकिन फिर उसके बाद वही हरकतें करना शुरू कर देती तो मुझे लगने लगा था कि इन सब चीजों से मेरी लड़की ठीक नहीं हो पाएगी मुझे इसको दिखाना ही पड़ेगा तो मैंने इसे डॉक्टर को दिखाया तो जब मैं इसे डॉक्टर के पास लेकर गई तो उसने कहा कि आपकी लड़की को डिप्रेशन हो गया है और समय भी बहुत हो चुका है आपको पहले आना चाहिए था क्योंकि यह जो बीमारी है दिमाग को अंदर ही अंदर कमजोर करती रहती है और इसे ठीक होने में भी समय लगता है तो जब मैंने इसे डॉक्टर को दिखाया तो उसने दवाई दे दी और दवाई से इसे कुछ राहत मिली इसे नींद आनी शुरू हो गई थी क्योंकि वह जो दवाइयां थी उसमें नशा होता था जिसके कारण इसे नींद आ जाती थी लेकिन ऐसा बहुत देर तक चलता रहा मेरी लड़की दवाइयां खाती रही लेकिन उसे आराम नहीं आया और बहुत डॉक्टर भी हमने बदले लेकिन कोई बात नहीं बनी और हमने इसे बहुत दवाइयां खिलाई और बहुत पैसे खर्च हो गए थे लेकिन मेरी लड़की को आराम नहीं आया तो इसकी इस बीमारी की वजह से हमने इसका स्कूल जाना भी बंद कर दिया था और हम भी बहुत परेशान रहने लग पड़े थे कि पता नहीं लड़की को क्या हो गया है और ये ठीक भी हो पाएगी या नहीं ? तो आप जी कहती हैं कि अब हमने सब कर कर देख लिया था और हमारी आखरी उम्मीद केवल हमारे सतगुरु थे हमने उनके आगे फरियाद की विनती की कि इसे ठीक कर दो तो आप जी कहती हैं कि मैंने अपनी लड़की को सेवा पर लेकर जाना शुरू किया क्योंकि अब मेरी आखिरी उम्मीद मेरे सतगुरु ही थे अब और कोई रास्ता हमारे पास नहीं बचा था तो मैंने इसे सेवा पर लेकर जाना शुरू किया और आप जी कहती हैं कि वहां पर यह ठीक रहती थी लेकिन जब हम घर आते थे तब फिर वही हरकतें करना शुरू कर देती थी तो आपने कहा कि मैंने सतगुरु को कह दिया था कि जब तक मेरी लड़की ठीक नहीं होगी तब तक मैं इसे स्कूल नहीं भेजूंगी और तेरे दर पर इसे सेवा पर लेकर आऊंगी तो उसके बाद आप जी ने कहा कि हम सेवा पर जाते थे और एक दिन वहां पर हमें एक बुजुर्ग मिले जोकि बहुत ही कमाई वाले लग रहे थे और मैंने उनको अपनी सारी बात बताई और जब उन्होंने मेरी सारी बात सुनी तो उन्होंने मुझे बस इतना ही कहा कि आपकी लड़की को कुछ नहीं हुआ है, ये आज का दौर ही ऐसा है कि हर बच्चे बूढ़े को ये समस्या हो रही है, लेकिन कोई बात नहीं आपकी लड़की बिल्कुल ठीक हो जाएगी, अब तुम्हें कहीं और जाने की जरूरत नहीं है शायद मालिक ने मुझे इसलिए तुझसे मिलाया है ताकि तुझे इस बीमारी की दवाई दे सकूं तुम्हारा मार्गदर्शन कर सकूं जिससे कि यह बिल्कुल ठीक हो जाएगी तो आप जी ने कहा कि उस बुजुर्ग ने मुझे यह सलाह दी कि इसे रोजाना आंखें बंद कर बैठने की आदत डालो इसे कहो कि जितनी देर यह बैठ सकती है यह चुप चाप बैठे, तो आप जी ने कहा कि उस समय मैंने उस बुजुर्ग को कहा कि नामदान से पहले हम बच्चों को ऐसा करने की इजाजत नहीं दे सकते तो आपने कहा कि उस बुजुर्ग ने मुझे कहा कि ऐसा किसने कहा कि हम बच्चों को बैठने नहीं दे सकते, बच्चे बैठ सकते हैं आंखें बंद कर चुपचाप बैठ सकते है लेकिन उन्हें किसी नाम का जाप नहीं करना चाहिए जब तक उन्हें नाम की बख्शीश नहीं हो जाती तो आप जी ने कहा कि मैंने उस बुजुर्ग की वह सलाह मानी और मैंने अपनी लड़की को लालच देना शुरू किया कि अगर वह आंखें बंद कर इतनी देर तक बैठेगी तो मैं उसकी मनपसंद की चीज उसे लाकर दूंगी तो इसी लालच के कारण उसे बैठने की आदत हो गई और धीरे-धीरे वह बैठने भी लग पड़ी थी और आप जी कहती हैं कि 1 महीने के बाद मेरी लड़की में सुधार आने शुरू हो गए धीरे-धीरे वह ठीक होती गई और मैं उसे इसी तरह हर रोज लालच देती थी और वह बैठ जाती थी तो आप जी ने कहा कि सिर्फ 3 महीने के बाद मेरी लड़की बिल्कुल ठीक हो चुकी थी और उसने पहले जैसी हरकतें करनी भी बंद कर दी थी और मैं यह देखकर बहुत खुश हुई और उस दिन मुझे सतगुरु की याद में रोना भी आ गया था कि सतगुरु हमेशा कहते हैं कि हमारी हर मुश्किल का हल भजन सिमरन है लेकिन हम मानते नहीं हैं और आप जी कहती है कि मैंने अपनी लड़की को स्कूल भेजना भी शुरू कर दिया और उसका पढ़ाई में भी मन लगने लगा और वह बिल्कुल ठीक हो गई और आज मेरी लड़की MBA की पढ़ाई कर रही है और सतगुरु की कृपा से बिल्कुल ठीक है तो साध संगत जी आज की इस कहानी से हमें यही प्रेरणा मिलती है कि हमारी हर मुश्किल का हल केवल और केवल भजन सिमरन है हमारे हर प्रश्न का जवाब केवल और केवल भजन सिमरन ही है तो साध संगत जी हमें अपने सद्गुरु के हुक्म की पालना करते हुए रोजाना भजन सिमरन को समय देना है क्योंकि इसमें हमारा ही फायदा है हमारी ही भलाई है
साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर करना, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके ।
By Sant Vachan
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box.