साध संगत जी यह एक सच्ची कहानी है जो कि एक सत्संगी बजुरर्ग की है जिसे एक साखी के माध्यम से संगत के सामने रखा गया है, जो भी उनके साथ हुआ है वह उनकी पत्नी ने संगत के सामने रखा है ताकि हमारे अंदर भी सतगुरु के प्रति प्रेम और प्यार पैदा हो और हमारे अंदर भी सेवा के प्रति और गुरु घर के प्रति अंदर तड़प पैदा हो और वह तड़प ऐसी हो जाए कि हम एक पल भी सद्गुरु की संगत के बिना और भजन सिमरन के बिना रह ना पाए तो उन्होंने अपनी आप बीती संगत से सांझा की है जिसमें उन्होंने नामदान की बकसीश से लेकर सब बताया है कि उनकी जिंदगी में क्या-क्या हुआ कैसे-कैसे उतार-चढ़ाव उन्होंने देखे है और कैसे उन पर सद्गुरु की अपार कृपा हमेशा से ही बनी रही तो साध संगत जी साखी को पूरा सुनने की कृपालता करें जी और अगर आपको यह साखी अच्छी लगे तो इसे और संगत के साथ शेयर जरूर कर देना जी ।
साध संगत जी आप जी शुरुआती दौर में बताती हैं कि मुझे याद है मेरी आयु कोई 25 वर्ष की रही होगी जब मेरी इनके साथ शादी हुई और ये कनाडा से आए थे तो शादी के बाद मैं इनके साथ कनाडा चली गई थी और मुझे नाम की बख्शीश भी हो गई थी क्योंकि मेरे घर वालों ने मेरे माता पिता ने जोर डालकर मुझे नाम की बख्शीश करवा दी थी और मुझे पहली बार में ही नाम मिल गया था और आप जी कहती है उस समय हम दोनों सेवा भी बहुत किया करते थे और हमारे समय में अच्छी खुराकें होती थी कोई मिलावटी खाना नहीं होता था कोई भी चीज मिलावटी नहीं होती थी सभी चीजें शुद्ध होती थी, घी शुद्ध होता था दूध शुद्ध होता था और हम अच्छी खुराक खाया करते थे ऐसे ही नहीं कहा जाता कि पहले दूध की नदियां बहती थी पहले सच में घी और दूध की नदियां बहती थी क्योंकि उस समय हर एक घर में घी और दूध मिल ही जाता था कोई ऐसा घर नहीं होता था कि जिसके घर घी और दूध ना हो सभी लोग अच्छी खुराक खाते थे और ये मुझे अपनी जवानी के बारे में बताते थे इन्होंने मुझे अपने बारे में सब बताया है कि कैसे सतगुरु की हमेशा से ही मेरे ऊपर किरपा रही है साध संगत जी वह बातें आपसे सांझा करने जा रहा हूं जो उन्होंने अपनी पत्नी को कहीं है और उनकी पत्नी ने वह बातें संगत से सांझा की है कि वह बताते थे कि जवानी में अपने दोस्तों के साथ सेवा पर चले जाता था खूब सेवा हम किया करते थे भारी से भारी काम हम किया करते थे और उस समय मुझे संगत की सेवा करना बहुत अच्छा लगता था मैं जब भी स्कूल से आता था तो मैं गुरु घर चला जाता था और फिर शाम को वापस आता था तो ऐसे ही समय बीतता गया और फिर मैं कनाडा चला गया सतगुरु की ऐसी कृपा हुई कि वहां पर मुझे अच्छी नौकरी मिल गई अच्छा काम मुझे वहां पर मिल गया और कुछ सालों तक मैं वहां पर ही रहा, लेकिन कुछ समय बाद मुझे दो बार हार्ट अटैक आया और दो बार में सद्गुरु की कृपा से बच गया और जब मैंने इसका चेकअप करवाया तो उन्होंने मुझे बताया कि आपके हार्ट की सर्जरी करनी पड़ेगी तो उन्होंने मुझे कहा कि आपको ऑपरेशन के लिए आना होगा और उन्होंने मुझे तारीख दे दी कि इस तारीख को आकर आप अपने हार्ट की सर्जरी करवा सकते हैं लेकिन मैं अंदर ही अंदर अपने सतगुरु से फरियाद कर रहा था की हे सच्चे पातशाह मैंने आज तक तुझ से कुछ नहीं मांगा तेरी कृपा से तेरे दर की सेवा भी बहुत की है लेकिन मुझे इन सब बातों में नहीं पड़ना, मुझे किसी तरह का कोई भी ऑपरेशन नहीं करवाना क्योंकि मुझे इन सब चीजों से बहुत डर लगता है और मैं इन सब बातों में पड़ना नहीं चाहता तो आप जी कहते हैं कि उसी रात मुझे सपना आया और सपने में मुझे सतगुरु के दर्शन हुए और सपने में मैं हॉस्पिटल में बैठा हूं और सद्गुरु आते हैं और उन्होंने मेरी रिपोर्ट देखी है रिपोर्ट देखने के बाद उस रिपोर्ट को फाड़ देते हैं और चले जाते हैं सद्गुरु की ऐसी कृपा हुई कि जब दूसरी बार मुझे उनके पास जाना था जो उन्होंने मुझे समय दिया था तो वह रिपोर्ट्स मुझे उनके पास लेकर जानी थी जो उन्होंने बनाई थी लेकिन मैंने अपनी वह रिपोर्ट्स अपने घर में सभी जगह ढूंढी लेकिन वह कहीं पर नहीं मिली तो जब मैं उनके पास गया तो मैंने उनको बताया कि मेरी रिपोर्ट्स गुम हो गई है वह मुझे नहीं मिल रही है तो इसी की वजह से उन्होंने मेरा फिर से चेकअप किया और जब दूसरी बार मेरी रिपोर्ट आयी तो उसमें ऐसा कुछ भी नहीं आया और मेरी उन रिपोर्ट्स को देखकर डॉक्टर भी हैरान हो गए कि यह कैसे हो सकता है हमने जब पहले इनकी रिपोर्ट्स देखी थी तो उसमें तो साफ-साफ दिखाई दिया था कि इनके हार्ट की सर्जरी होने वाली है और जब दूसरी बार हमने इनका चेकअप किया है तो इसमें लिखा है कि सब कुछ ठीक है यह कैसे हो सकता है तो उस समय जब डॉक्टर ने यह बात उनको कहीं कि अब आपकी रिपोर्ट ठीक आई है किसी तरह के ऑपरेशन की जरूरत नहीं है तो आप जी कहते हैं कि मुझे अपने सतगुरु की लीला समझ में आ गई थी कि उस दिन सतगुरु ने मेरे सपने में आकर उन रिपोर्ट्स को क्यों फाड़ा था मुझे समझ आ गया था कि यह सतगुरु की ही लीला है यह सब उन्होंने ही किया है और आप जी कहते हैं कि उस समय मैं घर आकर बहुत रोया था और मुझे पता चल गया था कि ये मेरी सेवा का फल ही मुझे मिला है उसके बाद मैंने यह प्रण लिया कि यह जो मुझे नई जिंदगी मिली है यह केवल मेरे सद्गुरु के कारण मिली है उनकी कृपा के कारण ही मुझे यह नई जिंदगी मिली है और मैं इसे संगत की सेवा में लगा दूंगा तो आप जी की पत्नी कहती है कि इन्होंने गुरु घर में खूब सेवा की और ये बताते थे कि मुझे उसके बाद ऐसी कोई भी समस्या नहीं हुई मुझे लगा कि मैं बिल्कुल ठीक हो गया हूं अपने सतगुरु की कृपा के कारण मैं बिल्कुल ठीक हो गया और ऐसे ही समय बीतता गया और आप जी कहती हैं कि इन्होंने ज्यादा से ज्यादा समय भजन बंदगी की तरफ देना शुरू कर दिया था इनका ध्यान केवल नाम की कमाई में ही रहता था और कुछ सालों बाद एक बार फिर इन्हें हार्ट अटैक आया और जब इन्हें तीसरी बार हार्ट अटैक आया और जब इन्हें वह हार्ट अटैक आया तो हमें लग रहा था कि इनका बचना मुश्किल है लेकिन उस समय भी सतगुरु की ऐसी कृपा हुई कि इन्हें कुछ नहीं हुआ और वह कोई माइनर अटैक नहीं था लेकिन फिर भी सतगुरु ने इन्हें बचा लिया और उसके बाद हमने सोचा कि हमें इन को दिखाना चाहिए तो जब हम इनको चेकअप के लिए लेकर गए तो जब उनका चेकअप हुआ तो हमने डॉक्टरों को बताया कि इन्हें पहले भी दो हार्ट अटैक आ चुके हैं तो डॉक्टर ने जब पूछा कि वह कब आए थे तो उन्होंने बताया कि उनको तो बहुत समय हो गया है बहुत साल हो गए हैं जब इन्हें पहले अटैक आए थे लेकिन फिर उसके बाद इनके साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ लेकिन अब जाकर इन्हें तीसरा अटैक आया है तो जब डॉक्टर ने उनकी रिपोर्ट्स देखी तो वह भी हैरान रह गया कि इनको पहले दो हार्ट अटैक आए और उसके बाद यह ठीक हो गए और अब जाकर इन्हें फिर हार्ट अटैक आया है यह कैसे हो सकता है तो उसने कहा कि जब आपने पहले इनका चेकअप करवाया था जब इन्हें पहले अटैक आया था तब की रिपोर्ट्स तो आपके पास होंगी तो जब डॉक्टर ने यह बात कही तो उन्होंने डॉक्टर को सब बता दिया कि इनके साथ क्या क्या हुआ था जब इनकी पहली बार रिपोर्ट आयी थी तब उस समय डॉक्टरों ने बोला था कि आपके हार्ट की सर्जरी होगी लेकिन उसके बाद दूसरी बार जब इनका चेकअप किया गया तो डॉक्टर ने कहा कि नहीं सब ठीक है आपकी कोई सर्जरी नहीं होगी और यह बात सुनकर उस डॉक्टर ने कहा कि अबकी जो रिपोर्ट है उसमें तो यही है कि इनके हार्ट की सर्जरी होगी और यह बहुत पहले हो जानी चाहिए थी और उस समय वह डॉक्टर भी हैरान रह गया कि बिना सर्जरी के यह इतनी देर तक कैसे बच गए तो जब यह बात डॉक्टर ने उनको कहीं तो आप जी कहती हैं कि ये भी वही पर थे और डॉक्टर की ये बात सुनकर इनकी आंखों से आंसू आ गए थे और ये सतगुरु की याद में रोने लग पड़े थे कि मै अगर बचा हूं तो केवल अपने सतगुरु की किरपा से और उसके बाद उन्होंने ऑपरेशन की तारीख भी ले ली तो आप जी कहती हैं कि ये सर्जरी करवाने के लिए मान रही रहे थे लेकिन हमारे कहने पर उन्होंने हामी भर दी लेकिन जिस दिन सर्जरी होनी थी उस दिन इनके साथ कुछ ऐसा वाक्य हुआ कुछ ऐसा चमत्कार हुआ जिसे देखकर हम भी हैरान रह गए थे कि जब इनको सर्जरी के लिए लेकर जाना था तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा कि अब मुझे कहीं नहीं जाना क्योंकि अब मेरा जाने का समय हो चुका है और आप कहती हैं कि बस यही बात उन्होंने मुझे कहीं और उसके बाद इन्होने बोलना बंद कर दिया यह हमें कुछ कहना चाह रहे थे लेकिन कह नहीं पाए और इनकी आंखें भी नहीं खुल रही थी यह आंखें खोलने की कोशिश कर रहे थे और उनके हाथ जुड़ गए थे जैसे कि यह किसी के आने की उड़ीक कर रहे हो ऐसे लग रहा था कि जैसे सतगुरु इन्हें लेने आने वाले है और उनके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान थी तो उन्होंने मेरा हाथ थामा और दोनों हाथों से मुझे प्रणाम किया, और उन्होंने उसी समय अपने प्राण त्याग दिए और आप जी कहती हैं इनका अपने सतगुरु के ऊपर अटूट विश्वास था और यह मुझसे अक्सर यह बात कहा करते थे की भजन बंदगी करो जितना समय बैठा जाता है उतना समय करो और गुरु घर की सेवा जितनी हो सके उतनी करो, क्योंकि सतगुरु ऐसे ही नहीं हमें बोल रहे, की भजन बंदगी करो क्योंकि जब हम करेंगे तब हमें पता चलेगा कि भजन बंदगी से हमें क्या मिलता है तो उनकी पत्नी कहती है कि ये वाक्य उस दिन मैंने भी देख लिया था कि जिन्हें नाम की बख्शीश हुई है जिन्हें एक पूरे गुरु की शरण मिली है कैसे सतगुरु अपने सत्संगी की मृत्यु में सहाई होते है उसे पहले ही बता देते है कि भाई तैयार रहना इस तारीख को मैं तुझे लेने आने वाला हूं और कैसे सतगुरु अपने उस प्यारे सत्संगी को अपने साथ सचखंड ले जाते है और मृत्यु के समय कमाई वाले सत्संगी के चेहरे पर किसी तरह का कोई रोना नहीं होता बलिक एक मुस्कान होती है आंखों में नूर होता है क्योंकि उनके हाव भाव से पता चल जाता है की सतगुरु उन्हें लेने आ गए है और उनके जाने का समय हो गया है तो साध संगत जी इस साखी से हमें भी यही सीख मिलती है कि अगर हमें नाम की बख्शीश हुई है तो हमें मृत्यु से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि हमारी संभाल करने के लिए सतगुरु आते ही हैं और वह अपने शिष्य को बड़े ही प्रेम और प्यार के साथ अपने साथ ले जाते है और आप देख सकते हैं जो सत्संगी मालिक से जुड़े हैं जिन्हें नाम की बख्शीश हुई है उनमें से ऐसे बहुत कम जीव होंगे जो दुखी हालत में मृत्यु को प्राप्त हुए होंगे वह इसलिए होता है क्योंकि उन्होंने नाम की कमाई नहीं की होती गुरु घर की सेवा नहीं की होती और उन्होंने तो अपनी तरफ से बस कार्रवाई डाली होती है नाम लेकर रख लिया होता है लेकिन जैसे कि फरमाया जाता है कि यह मार्ग करनी का है और जो करता है उसी को मिलता है जो गुरूघर की सेवा करता है चाहे ही वह भजन बंदगी नहीं भी करता अगर वह गुरुघर की सेवा करता है तो मालिक उसकी संभाल करता ही है सतगुरु उसकी मृत्यु के समय उसे लेने आते हैं और उसे लेकर अपने साथ सचखंड चले जाते हैं ।
साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर करना, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके ।
By Sant Vachan
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