After Death Experiences । मृत्यु के बाद व्यक्ति के साथ क्या-क्या होता है ? जरूर देखें

 

साध संगत जी आज की सच्ची कहानी एक सत्संगी गुरु भाई की है जोकि आपसे सांझा करने जा रहा हूं लेकिन उन्होंने अपना नाम बताने के लिए मना किया है मृत्यु के बाद उनके साथ जो जो भी हुआ है वह उन्होंने संगत से सांझा किया है और आज वह मालिक की कृपा से जीवित है और कहते हैं कि मुझे यह जीवन और यह स्वांस मालिक ने उधारे दिए है

तो कहानी की शुरुआत में आप बताते हैं कि मेरी उम्र उस समय कुछ 22 या 23 वर्ष की रही होगी जब मेरे साथ यह हादसा हुआ था और मैं एक प्रोफेसर था और मेरी शादी भी हो चुकी थी तो जब मैं प्रोफेसर लगा तब मुझे याद है कि मैं स्कूल से पढ़ा कर घर आया था और थका हुआ था तो घर आकर कुर्सी पर बैठ गया ताकि कुछ आराम कर सकूं तो मेरी आंखें भी बंद थी और उस समय मैं देखता हूं कि मेरी तरफ दो आदमी आ रहे हैं जो कि बिल्कुल ही काले रंग के हैं और उनके घोड़ों जैसे कान है तो जब वह मेरे पास आए और उन्होंने मुझे पकड़ लिया तो मै उनसे बहस करने लगा कि आप कौन हो और आप मुझे क्यों पकड़ रहे हो तो उन्होंने मुझे मारना शुरू कर दिया कि हे प्राणी ! तेरी मृत्यु हो चुकी है और वह मुझे मारने लगे और मैं उनसे भागने लगा कि किसी तरह इनसे छुटकारा पा सकूं तो जब उन्होंने मुझे कहा कि तेरी मृत्यु हो चुकी है तो उस समय मैं भी हैरान रह गया कि ऐसा कैसे हो सकता है और उस समय मुझे सब कुछ याद था कि अभी तो मैं स्कूल से पढ़ा कर घर आया था और आकर आराम कर रहा था तो ऐसे मेरी मृत्यु कैसे हो सकती है तो उन्होंने मुझे कहा की तेरे स्वांस पूरे हो चुके है तो मैं उनसे भाग रहा था और वह मुझे पकड़कर मार रहे थे और मुझे घसीट घसीट कर लेकर जा रहे थे तो जब मैं उनसे अपना बचाव नहीं कर सका वह मुझे घसीट कर धर्मराज के पास ले गए मुझे वह दृश्य आज भी नहीं भूलता जब वह मुझे धर्मराज के पास धर्मपुरी ले गए थे और वहां पर धर्मराज ने मेरा नाम बोलकर उन यमदूतो से पूछा कि इसे ले आए हो तो धर्मराज ने मेरा हिसाब देखा और उसके बाद कहां कि इसने कोई भी अच्छा कर्म नहीं किया है जाओ जाकर इसे आरे के साथ चीरना शुरू करो तो आप जी कहते हैं कि यह सुनकर मैं कांपने लगा और उस समय मुझे यह एहसास हुआ कि यहां पर मेरा जो शरीर है यही असली है और ये कभी मरता नहीं है और जो दुनिया में हमारा शरीर है वह तो झूठ है और वह पूरी की पूरी दुनिया भी झूठ है और उस समय मुझे एहसास हुआ की यह दुनिया ही सच है वह दुनिया जहां से मैं आया हूं वह तो झूठी है और वह एक सपना है सच तो यह है तो जब यमदूतों ने मुझे पकड़ा तो वह मुझे फिर से मारने लगे और मुझे घसीटते घसीटते आरे के पास ले गए और वहां पर मैं यह सभी दृश्य देख रहा था कि किसी को वहां पर उल्टा लटका रखा था किसी को कुछ सजा दी जा रही थी किसी को लोहे की सिखों पर बिठा रखा था ऐसी ऐसी सजा वहां पर देख कर मैं और भी डरने लगा और मैंने उसी समय आंखें बंद कर ली क्योंकि मुझसे वह सब देखा नहीं गया और मुझे डर लग रहा था कि अब यह मुझे भी आरे के साथ चीर देंगे लेकिन मैं उनसे अपना पीछा छुड़ाने की कोशिश कर रहा था लेकिन वहां पर हमारी कोई भी चलाकी नहीं चलती वहां पर हम कुछ नहीं कर सकते जो भी हमने किया है उसी के हिसाब से हमें वहां पर सजा दी जाती है तो जब यमदूतों ने मुझे पकड़कर आरे के साथ चीरना शुरू किया और जब उन्होंने मेरी गर्दन पर वह आरा रखा तो उसी समय मेरी चीख निकल गई और मेरे मुंह से वाहेगुरु निकल गया और मुझे वह दृश्य आज भी याद है कि जब मेरे मुख से वाहेगुरु शब्द निकला तो वह जो दोनों यमदूत थे वह मेरे से 15 फुट की दूरी पर जाकर गिरे दाईं तरफ का यमदूत दाईं तरफ जाकर गिरा और बाईं तरफ का यमदूत बाई तरफ 15 फुट की दूरी पर जाकर गिरा और वह आरा भी नीचे गिर गया तो मैं वहां धर्मराज के दरबार में धर्मपुरी में था और जब यह घटना मेरे साथ घटी तो उसी समय एक शक्ति मेरे पास आई जोकि एक नूर था एक प्रकाश था उसने मुझे उठाया और मुझे गले से लगा लिया और मेरी हिफाजत की और मुझे इतना प्यार दिया जो कि मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता इस दुनिया में मां बाप का प्यार तो उसके सामने कुछ भी नहीं उसने मुझे जितना प्यार दिया जितनी मेरी हिफाजत की वह मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता और वह मुझे उठा कर दूसरे लोक में ले गया जहां पर सब कुछ पवित्र था शुद्ध था और वहां पर बहुत ही आनंद था वहां जाकर मैंने बहुत आनंद पाया तो जब मैं वहां पर गया तो वहां पर आकाशवाणी हुई कि तुम्हें फिर से जीवन दिया जा रहा है जाओ जाकर जीवन बनाओ और जीवन बनाकर ही यहां आना तो यह अकाशवानी सुनने के बाद मैंने उसी समय वहां पर जोर से कहा कि मुझे अब उस दुनिया में नहीं जाना है मुझे तो यही रहना है क्योंकि मुझे वहां पर बहुत आनंद आ रहा था बहुत सुकून था तो फिर मुझे आवाज सुनाई दी कि नहीं यहां पर तुम नहीं रह सकते जाओ जाकर अपना जीवन बनाओ तुम्हें यह जीवन फिर से दिया जा रहा है तो उसी समय मुझे वहां से नीचे गिरा दिया गया और मैं फिर इस दुनिया में वापस आ गया था तो जब मैं अपनी शरीर में वापस आ गया तो मुझे यह एहसास हुआ कि ये शरीर झूठ है वह शरीर सच्चा है और जब मैं वापस आया तो मेरी जो पत्नी थी वह मेरे दोनों पांव की मालिश कर रही थी और मेरे जो पिता जी थे वह मेरे सिर की मालिश कर रहे थे क्योंकि मेरा शरीर बेजान पड़ा था और जब मैं वापस अपने शरीर में आया तो मैंने अपनी आंखें खोली लेकिन उस समय मुझसे बोला नहीं गया मैं कुछ देर मौन रहा क्योंकि अभी भी मेरे अंदर वही दृश्य चल रहे थे जो जो भी मेरे साथ हुआ था वह दृश्य आज भी मुझे नहीं भूलते तो कुछ देर मौन रहने के बाद मैंने अपने घर वालों को कहा कि अब मैं ठीक हूं अब मुझे कुछ नहीं होगा तो उसके बाद मैंने अपनी नौकरी से 7 दिन की छुट्टी ली ताकि घर रह कर आराम कर सकूं और विचार कर सकूं कि मुझे करना क्या है जब से मेरे साथ यह सब हुआ तब से मैं उदास रहने लग गया मेरे अंदर बेचैनी सी हो गई थी और मैं चिंतित था क्योंकि मुझे यह कहकर यहां पर भेजा गया था कि जाओ जाकर अपना जीवन बनाओ और जीवन बनाकर ही आना और मैं ये बातें किसी से कर भी नहीं सकता था क्योंकि मुझे यह एहसास हुआ कि मुझे यह जीवन उधार स्वरूप मिला है मुझे पता था कि कोई मेरी इन बातों पर विश्वास नहीं करेगा तो उस समय मुझे इतना ज्ञान नहीं था तो मैंने गुरु धारण करने की सोची जो कि मुझे समझा सके कि मुझे करना क्या है और मैं इस बात को लेकर बहुत चिंता में पड़ा हुआ था कि जीवन कैसे बनाया जाता है क्या करना पड़ता है तो उस समय में गुरुद्वारे में गया और सतगुरु के सामने अरदास करने लगा कि हे सतगुरु मेरा मार्गदर्शन करो मुझे बताओ कि मुझे क्या करना है तो सतगुरु की कृपा से गुरु धारणा भी हो गई और मुझे बाद में यह बात समझ में आई कि गुरबाणी में जो भी लिखा है वह वही है जो भी हमारे संत महात्माओं के अनुभव रहे है तो मैंने गुरबाणी पढ़नी शुरू की और फिर मेरे साथ जो हुआ था जब मैंने वह भी गुरबाणी में पड़ा तब जाकर मुझे यह एहसास हुआ कि हमारे संत महात्माओं ने हमारे गुरुओ ने सब कुछ अपनी वाणी में अंकित किया है लेकिन हम दुनियादारी में ऐसे फंसे हैं कि उस पर विचार करने की कोशिश ही नहीं करते जबकि सच्ची दुनिया यह नहीं सच्ची दुनिया तो वह है जो मृत्यु के बाद हमें दिखाई देती है यहां पर हमें जाना होता है और अपना हिसाब किताब वहां पर देना होता है तो आज मैं सद्गुरु की कृपा से जीवित हूं और उनकी सेवा में हूं ।

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By Sant Vachan


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