एक बार गुरुदेव ने अपने शिष्य को गुलाब दिखाते हुए पूछा, बेटा यह क्या है ? उसने तुरंत जवाब दिया, गुरुदेव ये गुलाब है गुरुदेव ने कहा, इसे ले जा किसी दुकान में घी के डब्बे पर रख, गुड़ के थैले पर रख ,शक्कर की बोरी पर रख, तिल के थैले पर रख, दुकान की सारी वस्तुओं पर रख, फिर सूंघेगा तो खुशबू किसकी आएगी ? शिष्य बोला, गुरुदेव खुशबू तो गुलाब की ही आएगी, गुरुदेव ने फिर पूछा, गंदी नाली के आगे रख, फिर सूंघेगा तो खुशबू किसकी आएगी ? उसका जवाब वही रहा, गुलाब की ही आएगी, फिर गुरुदेव बोले, बस, ऐसा ही तू बन जाना, दूसरों की दुर्गंध अपने में मत आने देना, अपनी सुगंध फैलाते रहना, फिर तुम भी इस संसार की गंदगी में गंदे नहीं होंगे ।
शिक्षा : इस संसार में हमें कोई कितना ही भला बुरा क्यों ना कहें लेकिन एक सत्संगी को ये बात सदैव याद रखनी चाहिए कि इसमें भी उसकी ही भलाई छुपी हुई है, क्योंकि जब एक सत्संगी की निंदया हो रही होती है तब उसके कर्मो की ही सफाई हो रही होती है तो हमें इस संसार की गंदगी में गंदे नहीं होना बल्कि इन सब बातों से ऊपर उठकर नाम की कमाई करनी है शब्द की कमाई करनी है ।
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