एक बहुत सुंदर साखी । धन दौलत से प्यार करने वाले इसे जरूर सुने ।

 

साध संगत जी आज के समय में हर कोई ज्यादा से ज्यादा धन इकत्र करना चाहता है ताकि उसका आगे का समय अच्छी तरह से व्यतीत हो सके इस पृथ्वी पर केवल इंसान ही है जिसे हर समय अपने आने वाले समय की फिक्र लगी रहती है हर समय चिंता लगी रहती है इसी को ध्यान में रखते हुए इंसान ज्यादा से ज्यादा धन एकत्र करने की कोशिश करता है

ताकि उसका आने वाला समय अच्छी तरह कट सके लेकिन जब यह लालसा एक विराट रूप ले लेती है तो हमें इस बात की खबर ही नहीं रहती कि हम कहां से कहां पहुंच गए है हमने जरूरत से ज्यादा धन भी अगर इकट्ठा कर लिया है तो भी हम संतुष्ट नहीं होते तब भी हमारे अंदर धन को और ज्यादा इकट्ठा करने की दौड़ लगी रहती है और यह दौड़ तब रूकती है जब हमारी आत्मा शरीर को छोड़ देती है तब हमारी इस दुनिया में जितने भी दौड़े लगी होती है वह सब खत्म हो जाती है तो जो लोग अक्सर धन की दौड़ में जुटे हुए है जिनके पास अपने लिए भी समय नहीं है परमात्मा का शुक्र करने का भी समय नहीं है और जिन्होंने जरूरत से ज्यादा धन इकट्ठा किया हुआ है उनकी अंतिम समय क्या हालत होती है आयिये सुनते है इस साखी में, एक राजा था जिसने ने अपने राज्य में क्रूरता से बहुत सारा धन और खज़ाना इकट्ठा करके बाहर जंगल में एक सुनसान जगह पर बनाए तहखाने मे सारे खजाने को खुफिया तौर पर छुपा दिया था ! खजाने की सिर्फ दो चाबियां थी,एक चाबी राजा के पास और एक उसके खास मंत्री के पास थी !इन दोनों के अलावा किसी को भी उस खुफिया खजाने का राज मालूम नहीं था ! एक दिन किसी को बताए बगैर राजा अकेले अपने खजाने को देखने निकला ! तहखाने का दरवाजा खोल कर अंदर दाखिल हो गया और अपने खजाने को देख देख कर खुश होकर खजाने की चमक से सुकून पा रहा था ! उसी वक्त मंत्री भी उस इलाके से निकला और उसने देखा की खजाने का दरवाजा खुला है ! वो हैरान हो गया और ख्याल किया कि कही कल रात जब मैं खजाना देखने आया, तब शायद खजाने का दरवाजा खुला रह गया होगा तो उसने डर के कारण जल्दी जल्दी खजाने का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया और वहां से चला गया ! उधर खजाने को निहारने के बाद राजा जब संतुष्ट हुआ और दरवाजे के पास आया तो देखता है कि दरवाजा तो बाहर से बंद हो गया तो उसने जोर जोर से दरवाजा पीटना शुरू किया पर वहां उसकी आवाज सुनने वाला जंगल में कोई ना था, राजा चिल्लाता रहा पर अफसोस कोई ना आया ! वो थक हार के खजाने को देखता रहा ! अब राजा भूख और प्यास से बेहाल हो रहा था ! पागलो जैसा हो गया था, वो रेंगता रेंगता हीरो के संदूक के पास गया और बोला ए दुनिया के नायाब हीरो मुझे एक गिलास पानी दे दो.....फिर सोने, चांदी, मोती, जवाहरात के पास गया और बोला ए चांदी सोने के खजाने मुझे एक वक़्त का खाना दे दो... राजा को ऐसा लगा की जैसे हीरे मोती उसे बोल रहे हो की तेरी सारी ज़िन्दगी की कमाई तुझे एक गिलास पानी और एक समय का खाना तक नही दे सकती...राजा भूख से बेहोश हो के गिर गया ! जब राजा को होश आया तो सारे मोती हीरे बिखेर के दीवार के पास अपना बिस्तर बनाया और उस पर लेट गया ! वो दुनिया को एक संदेश देना चाहता था लेकिन उसके पास कागज़ और कलम नही था ! राजा ने पत्थर से अपनी उंगली फोड़ी और बहते हुए खून से दीवार पर कुछ लिख दिया..उधर मंत्री और पूरी सेना लापता राजा को ढूंढते रहे , पर बहुत दिनों तक राजा ना मिला तो मंत्री राजा के खजाने को देखने आया ! उसने देखा कि राजा हीरे जवाहरात के बिस्तर पर मरा पड़ा है , और उसकी लाश को कीड़े मकोड़े खा रहे थे, राजा ने दीवार पर खून से लिखा हुआ था "ये सारी दौलत मुझे एक घूंट पानी ओर एक निवाला तक नही दे सकी" यही अंतिम सच है तो साध संगत जी इस साखी से हमें भी यही प्रेरणा मिलती हैं कि आखिरी समय हमारे साथ हमारे कर्मो की दौलत ही साथ जाएगी ! चाहे आप कितनी बेईमानी से हीरे, सोना-चांदी, धन इकट्ठा कर ले सब यही धरा रह जाएगा ! इसीलिए जो जीवन आपको परमात्मा ने उपहार स्वरूप दिया है ! उसमें अच्छे कर्म, लोगों की भलाई जैसे काम कीजिए ! बिना किसी स्वार्थ के अर्जित कीजिए अच्छे कर्मो की अनमोल दौलत इकत्र कीजिए जो आपके सदैव काम आएगी !

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर कीजिए, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके । 

By Sant Vachan


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