Guru Nanak Saakhi : अपनी किस्मत को दोष देने वाले ये साखी जरूर सुने ।

 

साध संगत जी आज की साखी है कि हम में से कुछ सत्संगी लोगों की यह शिकायत रहती है कि हमारी किस्मत ही खराब है हमारी किस्मत में यह लिखा ही नहीं है हमारी किस्मत ही अच्छी नहीं है जिसके कारण हमसे कोई भी काम ढंग से नहीं हो पाता और अगर हम कोई काम करते हैं

तो उसका फल हमें उतना नहीं मिल पाता जितनी कि हमें उम्मीद होती है हम मेहनत ज्यादा करते हैं और हमें फल कम मिलता है और साध संगत जी अगर बात भजन बंदगी की आए और रूहानियत की आए तब भी हम यही बात कहते हैं कि हमारी किस्मत में मालिक की भजन बंदगी लिखी ही नहीं है क्योंकि अगर लिखी होती तो मालिक ने खुद करवा लेनी थी इसी के कारण हमसे मालिक की भजन बंदगी नहीं होती और हम तरह-तरह के बहाने बनाने लगते हैं और कहते हैं कि इस समय मालिक की भजन बंदगी नहीं की जा सकती क्योंकि अब घोर कलयुग चल रहा है माया का बहुत गहरा प्रभाव पढ़ रहा है काल ने सभी को माया की मीठी नींद सुला रखा है और उसका बहुत ज़ोर चल रहा है जिसके कारण अभ्यासी से भजन बंदगी नहीं हो पाती तो साध संगत जी हममें से कुछ ऐसे सत्संगी है जो काल को आगे रखकर भजन बंदगी करने से बचते हैं तरह-तरह के बहाने बना देते है तो इसी विषय पर एक बार सत्संग करता जी ने सत्संग में फरमाया था कि अब तो हम बड़ी आसानी से कह देते हैं की काल का बहुत जोर है इसीलिए हम से भजन बंदगी नहीं होती लेकिन जरा विचार कीजिए जब सतगुरु नानक का समय था तब कितना अत्याचार लोगों पर होता था कितना भेदभाव होता था जब कबीर जी का समय था तब भी लोगों पर अत्याचार होता था क्योंकि इस बात के गवाह खुद संत महात्मा है जिनको बार-बार राज दरबार में राजा के सामने पेश होना पड़ता था जैसे कि सतगुरु नानक को बाबर ने जेल में डाल दिया संत कबीर जी को उस समय के एक धनवान सेठ ने भला बुरा कहा था और उन्हें परेशान किया तो हमारे संत महात्माओं के साथ उस समय क्या क्या नहीं हुआ हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि आज का समय तो फिर भी ठीक है लेकिन जब सतगुरु नानक आए तब कितना अत्याचार था लेकिन फिर भी उन्होंने नाम की चर्चा इस संसार में की उस मालिक की भजन बंदगी करते हुए आप कहां-कहां नहीं गए जगह-जगह जाकर आपने नाम का प्रचार किया लोगों को सच्ची शिक्षा दी और करतार से जुड़ने का उपदेश दिया और उस समय दौरान आपको क्या-क्या नहीं सहन करना पड़ा जब आप बगदाद गए तो वहां पर कुछ लोगों ने आपको खाई में गिरा दिया लेकिन आप वहां से भी बाहर आ गए और आपने फिर नाम का प्रचार करना शुरू कर दिया और कुछ लोगों ने आपको बगदाद में पत्थर भी मारे लेकिन आप नहीं रुके आप मालिक के हुक्म से आगे बढ़ते रहे तो साध संगत जी हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि आज का समय तो फिर भी ठीक है लेकिन जो हमारे संत महात्माओं का समय था वह कितना कठिन रहा होगा और जब हम समय को खराब बताते हुए भजन बंदगी करने से बचते हैं तो उसमें कमी हमारी तरफ से ही है क्योंकि अगर हम अपने सतगुरु के उपदेश को मानकर नाम की कमाई करें तो हमारा मिलाप उस परमपिता परमात्मा से हो सकता है जो कि हमारे बहुत नजदीक है लेकिन हम अपनी किस्मत को दोष देते हैं जोकि बिल्कुल भी ठीक नहीं है और यह बात अक्सर फरमाई जाती है कि हम जैसे कर्म करते हैं हमें वैसा ही फल मिलता है और हमारी किस्मत भी हमारे किए गए कर्मों पर आधारित होती है जो भी हमने पीछे किया है आगे भी हमें वही देखने को मिलता है और हमारे कर्मों में मालिक कभी भी दखलअंदाजी नहीं करता हम जैसे भी कर्म करते हैं हमें वैसा ही उसका फल मिलता है तो एक प्रकार से हम अपनी किस्मत खुद ही बनाते हैं क्योंकि मालिक ने मनुष्य को कर्म करने की छूट दी हुई है और यह पूरी तरह से वह जीव पर निर्भर करता है कि वह कैसे कर्म करता है और यह बात संत कबीर जी ने अपनी वाणी में भी कही है :

"कबीर मनुआ एक है चाहे गुर कि भगत करें चाहे विशे कमाए"

जिसका अर्थ है कि कबीर जी हमें समझाते कि हमारा मन तो एक ही है और यह बात पूरी तरह से उसके ऊपर निर्भर करती है कि उसे क्या करना कैसे कर्म करने है वह अच्छे कर्मों की तरफ भी जा सकता है वह बुरे कर्मों की तरफ भी जा सकता है और जैसे वह कर्म करता है उसका भविष्य भी उसके कर्मों पर ही आधारित होता है और वह परम पिता परमात्मा मनुष्य के कर्मों में कभी भी दखलंदाजी नहीं करता मनुष्य जैसे भी कर्म करता है वह वैसा ही फल उसे देता है तो किस्मत को दोष देना ऐसा ही है जैसे कि कोई आम के वृक्ष के नीचे बैठकर यह कहे कि आम खुद ही मेरी झोली में पड़ जाए और मुझे कोई मेहनत ना करनी पड़े साध संगत जी एक बहुत ही प्यारी कहानी आपसे साझा करता हूं जिसे सुनकर हमें यह एहसास होगा कि अपनी किस्मत को दोष देना बिल्कुल ही गलत है तो आइए बड़े ही प्यार से आज की यह कहानी सर्वन करते हैं एक बार एक व्यक्ति राजा के पास जाता है और उस व्यक्ति के पास बहुत सुंदर दो पक्षी होते है जो वह राजा को भेंट कर देता है और वह पक्षी बहुत सुंदर होते हैं तो राजा यह देखकर बहुत खुश होता है लेकिन जब कुछ समय बीत जाता है तब एक पक्षी उड़ना बंद कर देता है और वह वृक्ष की डाल के साथ ही चिपका रहता है तो राजा यह देख कर थोड़ा दुखी होता है कि दूसरा पक्षी कितनी उड़ाने भरता है और वह कितना अच्छा लगता है लेकिन यह पंछी वृक्ष की डाल के साथ ही चिपका रहता है उड़ता ही नहीं ! तो वह अपने राज में यह घोषणा करवा देता है कि जो मेरे इस पक्षी को ठीक करेगा उसे मैं सोने की मुद्राएं दूंगा तो बहुत लोग उसके राज दरबार में इकट्ठे हो जाते हैं और हर कोई राजा के उस पक्षी को उड़ाने की कोशिश करता है लेकिन किसी से भी कोई बात नहीं बनती सभी अपना अपना प्रयास कर वहां से चले जाते है लेकिन वह पक्षी नहीं उड़ता और फिर प्रजा में से एक बुजुर्ग राजा से अपील करते हैं कि मैं आपके इस पक्षी को उड़ाने का एक प्रयास करना चाहता हूं तो राजा उन्हें इसकी इजाजत दे देता है तो जब उन्हें इजाजत मिल जाती है तो उसके बाद वह पक्षी को एक पल में उड़ा देते है और यह देखकर सभी हैरान हो जाते कि यहां पर इतने बड़े-बड़े लोग आए थे इतने बड़े-बड़े वेद यहां पर इकट्ठे हुए थे जो इस पक्षी को नहीं उड़ा पाए और एक साधारण से बुजुर्ग ने इसको उड़ा दिया तो राजा ये देखकर थोड़ा अचंभित हो जाता है कि यह कैसे हो गया तो वह उस बुजुर्ग से कहता है कि आपने यह कैसे किया जबकि मुझे लग रहा था कि ऐसा हो पाना असंभव है तो वह बुजुर्ग मुस्कुराते हुए राजा से कहते हैं कि यह कोई बड़ा काम नहीं था मैंने देखा कि यह पक्षी उस डाल के साथ चिपका पड़ा है तो मैंने उस डाल को ही काट दिया और फिर इसके पास उड़ने के इलावा और दूसरा कोई चारा नहीं बचा इसलिए इसे उड़ना पड़ा, उड़ाने भरनी पड़ी तो अब यह उड़ रहा है तो उस बुजुर्ग की यह बात सुनकर राजा को भी इसका बोध हो जाता है और वह उस बुजुर्ग का धन्यवाद करता है तो साध संगत जी कहीं हम भी उस पक्षी की तरह तो नहीं बन गए है कई हम भी उस पक्षी की तरह एक डाल के साथ तो नहीं चिपक गए हैं जबकि हमारे पास उड़ानें भरने के लिए बहुत बड़ा आसमान है लेकिन हम फिर भी तरक्की हासिल नहीं कर पाते और ना करने के बहाने ढूंढते रहते है तो हमें भी इस कहानी से यही प्रेरणा लेनी चाहिए कि हमें बिना रुके निरंतर प्रयास करते जाना है और जब हम निरंतर प्रयास करते जाएंगे एक ना एक दिन मालिक की कृपा अवश्य होगी क्योंकि अगर जीव मेहनती हो तो मालिक उसे वह भी दे देता है जो उसकी किस्मत में नहीं होता इतनी कृपा वह मालिक उस जीव पर कर देता है जो निरंतर प्रयास करता रहता है मेहनत करता रहता है क्योंकि और उसके पास कोई उपाय नहीं रह जाता ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर कीजिए, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके । 

By Sant Vachan


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