इन्सान जितना अधिक अक्लमंद होता है वह उतना ही दुनिया में ज्यादा फंसा रहता है यह इन्सान की चतुराई वाली बुध्दि ही मालिक के सच्चे मार्ग में सब से बड़ी रुकावट है, चौरासी लाख योनियों में केवल एक इनसान ही है जो रुपया-पैसा कमाता है परन्तु इसके बावजुद भी उसका पेट आज तक भरा नही है और ना ही भर सकता है ये तो मालिक ही है जो जीव पर अपनी किरपा कर उसे अपनी तरफ़ लगा लेता है ।
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