Guru Nanak Saakhi : एक लड़की की सच्ची कहानी । जो लोग चमत्कारों पर विश्वास नहीं करते वह इसे जरूर सुने


साध संगत जी आज की यह सच्ची कहानी पंजाब में रह रहे एक सत्संगी परिवार से एक लड़की की है जिन्होंने अपनी यह कहानी संगत से सांझा करने के लिए कहा है आप जी कहती हैं कि मैं बचपन से ही रूहानियत से जुड़ गई थी क्योंकि मेरे माता-पिता को नाम की बख्शीश हुई थी तो इसलिए मैं भी बचपन से ही रूहानियत से जुड़ी हुई हूं और मेरा गुरु नानक देव जी पर और उनकी वाणी पर पूरा विश्वास है मैं बचपन से ही जपजी साहब का पाठ करती आ रही हूं और मेरा उन पर पूरा विश्वास है 

तो आप जी कहती हैं कि मैंने MCA की पढ़ाई करने के बाद जॉब अप्लाई कर दी और मेरी इंटरव्यू दिल्ली में होनी थी तो पंजाब से दिल्ली बहुत दूर पड़ता है और मेरा वहां पर जाना थोड़ा मुश्किल था लेकिन मुझे जॉब अच्छी मिल गई थी तो उसे मैं छोड़ भी नहीं सकती थी तो मुझे वहां पर इंटरव्यू देने के लिए जाना ही था तो मैंने इसके बारे में अपने घर वालों से बात की तो उन्होंने पहले मेरी बात सुनकर मुझे वहां जाने की आज्ञा नहीं दी लेकिन मैंने किसी भी तरह करके उनको मना लिया और मेरे माता-पिता मेरी इंटरव्यू के लिए मान गए तो मुझे दिल्ली जाना था और मैं पहले कभी भी दिल्ली नहीं गई थी तो मुझे थोड़ा सा अजीब लग रहा था तो मेरी इंटरव्यू आ गई और मुझे दिल्ली जाने के लिए तैयारी करनी थी और जाने से पहले मैं सतगुरु के आगे यही फरियाद कर रही थी कि मैं बचपन से आपसे जुड़ी हूं और मेरा बचपन से ही आप पर पूरा विश्वास है और अब मैं दिल्ली जा रही हूं तो आप मेरी संभाल करना और जिस काम के लिए मैं वहां पर जा रही हूं उस काम को पूरा करने का मुझे बल बक्शना और मेरे अंग संग रहना, हर पल मेरी संभाल करना तो आप जी कहती हैं कि मैं अंदर ही अंदर सतगुरु से बार-बार यही फरियाद कर रही थी तो जिस दिन मुझे जाना था उस दिन मैंने फिर सतगुरु के आगे यही फरियाद की और सतगुरु का ध्यान किया और अपने काम के लिए निकल पड़ी और जब मैं दिल्ली पहुंची तो वहां पर बहुत लोग इंटरव्यू देने आए हुए थे और उस समय मुझे लग रहा था कि मुझे यह जॉब नहीं मिल सकती क्योंकि यहां पर तो मेरे से बढ़िया प्रोफाइल के लोग इंटरव्यू देने आए हुए जोकि कॉलेज और यूनिवर्सिटीस के टॉपरस है तो यह जॉब मुझे मिलना मुश्किल है क्योंकि मैं इनके सामने कुछ भी नहीं हूं और मैंने जो पढ़ाई की है उसमें मेरी परसेंटेज भी इतनी अच्छी नहीं है ठीक-ठाक ही है और आप जी कहती हैं कि मैं अंदर ही अंदर यह भी सोच रही थी की सतगुरु हमेशा समझाते हैं कि आप अपना कर्म करें फल की इच्छा मत रखें क्योंकि हमारा कार्य सिर्फ कर्म करना है फल देना मालिक के हाथ में है तो अब इतनी दूर यहां पर आई हूं तो मुझे बेहतर तरीके से इंटरव्यू देनी है और कोशिश करनी है कि मुझे जॉब मिल सके तो आप जी कहती है कि मैंने इंटरव्यू की तैयारी पूरी कर रखी थी और बाकी सब मालिक पर छोड़ दिया था तो जब मेरा नाम बोला गया और मुझे इंटरव्यू देने के लिए बुलाया गया तो जिन्होंने मेरी इंटरव्यू लेनी थी उन्होंने पहला ही प्रशन मुझसे यह पूछा कि आपका सबसे ज्यादा इंटरेस्ट किस चीज में है आप क्या देखना पसंद करती हैं क्या सुनना पसंद करती हैं और क्या पढ़ना पसंद करती हैं तो आप जी कहती हैं कि उस समय मैंने उनको यही जवाब दिया कि मुझे अध्यात्मिकता के बारे में पढ़ना बहुत पसंद है और जब मेरे पास समय होता है तो मैं अध्यात्मिक किताबें पढ़ना पसंद करती हूं तो उसके बाद उन्होंने सवाल किया कि आप अध्यात्म को पढ़ना क्यों पसंद करती है तो आप जी कहती हैं कि मैं बचपन से ही आध्यात्मिकता से जुड़ी हुई हूं इसलिए मुझे अध्यात्म के बारे में जानना अच्छा लगता है तो उसके बाद वह पूछते हैं कि अगर आपको यह जॉब दे दी जाए तो सबसे पहले आप क्या करोगी तो आप जी कहती हैं कि सबसे पहले मैं अपने गुरु का धन्यवाद करूंगी अपने मालिक का धन्यवाद करूंगी जिन्होंने मुझे यह जॉब दिलाई है तो वह पूछते हैं कि आप का गुरु कौन है और मालिक कौन है वे कहती हैं कि सबका मालिक एक ही है और उसके बाद वह पूछते हैं कि आप यह बात कैसे कह सकती है क्या आपके पास कोई प्रमाण है जिसके आधार पर आप यह कह सकती हैं तो आप जी कहती है की जपजी साहब में शुरुआत में ही सतगुरु नानक ने फरमाया है

"इक ओंकार सतिनामु करता पुरखु निरभउ निरवैरु
अकाल मूरति अजूनी सैभं गुर प्रसादि।।"

जिसका अर्थ है कि वह मालिक एक है सतनाम है वही सत्य है करता पुरख है जो भी करता है वही करता है वही कर्ताधर्ता है भय से रहित है, वैर से रहित है, अकाल मूरत है कालातीत-मूर्ती है, अयोनि है, स्वयंभू है और गुरु की किरपा से प्राप्त होता है और आप जी कहती हैं कि जब मूल मंत्र की व्याख्या को मैं उनके सामने रखती हूं तो वह जो मेरी इंटरव्यू ले रहे होते हैं वह बड़े ध्यान से मेरी बात सुन रहे होते है और मेरी तरफ देख कर हल्का सा मुस्कुरा देते है और उसके बाद वह मुझसे कोई भी प्रश्न नहीं पूछते और मुझे केवल एक ही बात कहते हैं कि बेटा आप कल से जॉब पर आ सकती हो तो आप जी कहती हैं कि उनकी यह बात सुनकर मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता और मैं उनका धन्यवाद कर वहां से बाहर आ जाती हूं और उस दिन मुझे यह महसूस होता है कि जब मैं इंटरव्यू दे रही थी मेरे सतगुरु मेरे अंग संग थे और मेरी मदद कर रहे थे और आप जी कहती हैं कि मुझे वह जॉब मिल जाती है और मैं बाकी लोगों को देख कर हैरान हो जाती हूं कि उनके मुझसे भी अच्छे मार्क्स होते हैं मुझसे भी अच्छी पढ़ाई उन्होंने कर रखी होती है लेकिन मेरे मालिक ने मुझ पर ही यह कृपा की है और मेरी आंखों से खुशी के आंसू निकल पड़ते है और उसके बाद जब वह जॉइनिंग लेटर मुझे देते हैं उसको देखकर मेरी खुशी और बढ़ जाती है क्योंकि उसमें यह बात साफ साफ लिखी होती है कि आप इस जॉब को ज्वाइन कर सकती हैं और आपके रहने का खाने का पीने का खर्चा भी कंपनी का है और आप जी कहती हैं कि मैं ये बात पढ़कर और भी हैरान हो जाती हूं कि जब मैंने अप्लाई किया था तो वहां पर ऐसा कुछ नहीं लिखा था तो आप जी कहती है कि मैं इस बात को जानने के लिए अपने ऑफिसर के पास जाती हूं कि मुझे यह सुविधाएं कैसे मिल गई है तो वह कहते है कि जिन्होंने आपकी इंटरव्यू ली है उन्होंने कंपनी को कहकर आपको यह सुविधाएं दिलाई है इसलिए आपको कंपनी द्वारा यह सुविधाएं दी गई है नहीं तो यह सुविधाएं ऐसे ही किसी को नहीं दी जाती जिसकी बहुत अच्छी प्रोफाइल होती है उसको ही दी जाती है और यह बात पूरी तरह से इंटरव्यू लेने वाले पर निर्भर करता है कि वह किसको कितना पैकेज दे रहे हैं और उस पैकेज में उसको क्या क्या दे रहे है तो अपने उस ऑफिसर की यह बात सुनकर वह अपने घर आकर सतगुरु को याद कर कर बहुत रोती है और आप जी कहती है कि मुझे यह मालूम हो जाता है कि जो भी हो रहा है मेरे सतगुरु ही कर रहे है क्योंकि मुझे ऐसी कोई उम्मीद नहीं थी कि मैं इस कंपनी में काम करूंगी लेकिन मेरे सतगुरु की अपार कृपा ने मुझे कहां से कहां पहुंचा दिया, तो साध संगत जी इस साखी से हमें भी यही शिक्षा मिलती है कि जो सत्संगी पूरी लगन से अपने सतगुरु के आगे फरियाद करता है विनती करता है सतगुरु उसकी पुकार जरूर सुनते हैं और उसके हर काम में उसके साथ होते हैं उसके अंग संग रहकर उसकी संभाल करते हैं और उसे किसी भी चीज की कमी नहीं आने देते जैसे कि अक्सर फरमाया जाता है कि भाई आप मेरा काम करो मैं आपका काम करूंगा तो साध संगत जी जो सत्संगी अपने सतगुरु के हुकुम को मुख्य रखकर जीवन में आगे बढ़ता है सद्गुरु उसके सभी कार्य सवार देते हैं उसे किसी भी चीज की कमी नहीं रहने देते तो साध संगत जी हमें भी इस साखी से प्रेरणा लेकर अपने सतगुरु के उपदेश को मुख्य रखकर चलना है और रोजाना बिना नागा भजन बंदगी करनी है नाम की कमाई करनी है ताकि हमारा भी स्वार्थ सिद्ध हो सके और परमार्थ में तरक्की हो सके ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर करना, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके । 

By Sant Vachan

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