अगर हम एक दिन में 24000 सांसो के भंडार में से दसवां हिस्सा भी मालिक के नाम पर नहीं बैठ सकते, तो हमारी तुलना भी उस मशीन से की जायेगी जो खाली चलती रहे और उत्पादन कुछ ना करे क्योंकि ये शरीर रूपी मशीन और इसे चलाने के लिए सांसे कुछ करने के लिए मिली है यानि भजन सिमरन करने के लिए लेकिन हम इतने अंधे हो चुके है कि दुनियावी काम काज को ही उत्पादन समझकर खुश होते रहते हैं, जबकि असल में वो जीरो है और मालिक के दरबार में हम खाली चलने वाली मशीन के सम्मान है, हमे चाहिए कि हम सुमिरन को पूरा वक्त दें और अपनी सांसो का सही उपयोग करें ।
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