Saakhi : एक सत्संगी होकर ये काम करना कितना भारी पड़ सकता है सुनिए इस लड़के की सच्ची कहानी

 

साध संगत जी आज की यह साखी सुनकर हमें यह मालूम होगा की एक पल की बुरी संगत हमें कितना खराब कर सकती है जितना कि हम सोच भी नहीं सकते तो आज की साखी सुनकर हमें एक घड़ी भी हुई बुरी संगत का जो प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है वह हमें आज इस साखी के माध्यम से पता चलेगा तो साखी को पूरा सुनने की कृपालता करें जी ।

साध संगत जी बात तब की है जब एक सत्संगी लड़का अपने गुरु के पास जाकर उनसे प्रश्न करता है की हे सतगुरु ! कुछ दिन पहले मेरे कॉलेज में एक प्रोग्राम आयोजित किया गया था और उसमें हम सभी छात्र छात्राओं ने भाग लिया था और वहां पर मुझसे एक बहुत बड़ी गलती हो गई थी क्योंकि उस प्रोग्राम में मेरे कुछ दोस्तों ने शराब भी पी रखी थी और वह मुझे भी ऐसा करने के लिए ज़ोर डाल रहे थे लेकिन मैं पहले तो मना करता रहा लेकिन उनके ज्यादा जोर डालने पर मुझे भी वहां पर शराब का सेवन करना पड़ा और मैंने भी थोड़ी सी शराब पी ली और उसके बाद जब मैं घर गया तो जब मेरी मम्मी ने मेरी हालत को देखा तो वह तुरंत समझ गई कि यह कोई नशा कर कर आया है तो उस दिन मुझे घर में बहुत डांट पड़ी, बहुत बातें मुझे सुननी पड़ी और जब सुबह हुई तो मेरी तबीयत खराब हो गई मुझे उल्टियां आ रही थी तो मेरी ऐसी हालत देखकर मेरे पापा ने मुझे बहुत डांटा और मुझे बहुत सुनाया और मैं भी अपनी उस गलती को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था और मुझे अपने आप पर घृणा आ रही थी कि मैं एक सत्संगी परिवार से होकर ऐसा काम कैसे कर सकता हूं और उस दिन मैंने अपने आप को भी बहुत मारा और अपने आप से और अपने मां-बाप से यह वादा किया कि मैं ऐसी गलती जिंदगी में दोबारा कभी नहीं करूंगा जबकि मुझे नाम की बख्शीश भी हुई थी तो सतगुरु मैं अपनी इस गलती को भुला नहीं पा रहा हूं मुझे लग रहा है कि मैंने एक बहुत बड़ा पाप कर दिया है जो कि एक सत्संगी को नहीं करना चाहिए तो मै अपनी इस गलती का प्रायश्चित करना चाहता हूं वह मै कैसे कर सकता हूं कृपया मेरा मार्गदर्शन करें मुझे बताएं कि मैं अपनी इस गलती को कैसे सुधार सकता हूं तो उसकी यह बात सुनकर सतगुरु ने फरमाया कि बेटा जो पीछे हो गया उसे भुलाना सीखो और आगे की तरफ ध्यान दो कि हमें आगे क्या करना है किस तरफ जाना है मालिक ने हमें विवेक की ताकत दी है इसीलिए दी है कि हम अपने अच्छे और बुरे की पहचान कर सकें हम एक अच्छा मार्ग अपने लिए तैयार कर सकें और अगर हम अपने लिए अच्छा और बुरा भी नहीं सोच सकते तो हम इस रूहानियत के मार्ग पर कैसे चल पाएंगे जबकि हमें अच्छे और बुरे की पहचान भी नहीं है नाम लेने के बाद व्यक्ति को हर समय सावधान रहना चाहिए कि मुझसे कोई ऐसी गलती ना हो जाए जिससे कि मेरा गुरु मुझसे नाराज हो जाए क्योंकि एक पल की भी बुरी संगत हमें बर्बाद कर सकती है और तुम्हे अपनी उस गलती का अफसोस है बस यही तुम्हारा प्रतेश्चित है और यहां पर आप एक बहुत ही सुंदर साखी के माध्यम से उस को समझाते हैं कि एक बार एक शिकारी शिकार करने गया, शिकार नहीं मिला, थकान हुई, तो एक वृक्ष के नीचे आकर सो गया, हवा तेज थी, इसलिए वृक्ष की छाया कभी कम-ज्यादा हो रही थी, इस दौरान वहां से सुन्दर हंस उड़कर जा रहा था, हंस ने देखा कि वह व्यक्ति परेशान हो रहा हैं, धूप उसके मुंह पर आ रही हैं तो ठीक से सो नहीं पा रहा हैं, हंस पेड़ की डाली पर अपने पंख खोल कर बैठ गया ताकि उनकी छांव में वह शिकारी आराम से सो सके, शिकारी आराम से सो रहा था तभी एक कौआ आकर उसी डाली पर बैठा, जिस पर हंस बैठा था, कौवे ने इधर-उधर देखा और बिना कुछ सोचे-समझे शिकारी के ऊपर मल विसर्जन कर वहां से उड़ गया, शिकारी उठ गया और गुस्से से यहां-वहां देखने लगा और उसकी नजर हंस पर पड़ी और उसने तुरंत धनुष बाण निकाला और हंस को मार दिया, हंस नीचे गिरा और मरते-मरते हंस ने कहा, 'मैं तो आपकी सेवा कर रहा था, मैं तो आपको छाया दे रहा था, आपने मुझे ही मार दिया? इसमें मेरा क्या दोष ? उस समय शिकारी ने कहा, यद्यपि आपका जन्म उच्च परिवार में हुआ, आपकी सोच आपके तन की तरह ही सुंदर होगी, आपके संस्कार शुद्ध हैं, यहां तक कि आप अच्छे इरादे से मेरे लिए पेड़ की डाली पर बैठ मेरी सेवा कर रहे थे, लेकिन आपसे एक गलती हो गई कि जब आपके पास कौआ आकर बैठा तो आपको उसी समय उड़ जाना चाहिए था, उस दुष्ट कौए के साथ एक घड़ी की संगत ने ही आपको मृत्यु के द्वार पर पहुंचाया है, साध संगत जी हमें भी इस साखी से यही प्रेरणा लेनी चाहिए कि हमें कभी भी बुरी संगत में बैठना नहीं चाहिए क्योंकि एक घड़ी की भी बुरी संगत हमारा जीवन बर्बाद कर सकती है इसलिए जो सत्संगी नाम के मार्ग पर चलते हैं नाम की कमाई करते हैं उन्हें बुरी संगत से सदैव बचना चाहिए क्योंकि हम चाहे कितने ही अच्छे क्यों ना हो कितने ही कमाई वाले क्यों ना हो लेकिन जब हम बुरी संगत में जाते हैं तो हमारा मन बुरी संगत का प्रभाव बहुत जल्दी लेता है और यह प्रभाव ऐसा होता है जो कि हम पर बहुत जोर डालता है और हमारे अंदर एक गहन तरीके से कार्य करने लगता है तो हमें सदैव इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अगर हम रोहानियत मार्ग पर चल रहे हैं तो हमें बुरी संगत से दूरी बनाए रखनी है और गुरु के उपदेश को मुख्य रखकर जीवन में चलते जाना है ।

शिक्षा: संसार में संगति का सदैव ध्यान रखना चाहिये, जो मन, कार्य और बुद्धि से परमहंस हैं, उन्हें कौओं की सभा से दूरी बनायें रखना चाहिये ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर करना, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके । 

By Sant Vachan


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