Sakhi : एक सत्संगी लड़की का शादी के बाद पति के पीछे लगकर भजन सिमरन करना छोड़ देना । जरूर सुने

 

साध संगत जी यह साखी देहरादून में रह रहे एक सत्संगी परिवार की है जिनकी लड़की की शादी एक ऐसे परिवार में हो जाती है जो मांस आदि का सेवन करते होते हैं तो जब इस लड़की की शादी उस परिवार में हो जाती है तो लड़की के ससुराल वाले उसे बहुत जोर डालते हैं कि वह भी मांस आदि का सेवन करें और उसे कहते हैं कि तुम बहुत ही कमजोर हो दुबली पतली हो तुम्हें मांस का सेवन करना चाहिए ।

तो अपने ससुराल वालों की यह बातें सुनकर वह पहले तो इंकार कर देती है क्योंकि उसे नाम की बख्शीश हुई होती है और वह शुरू से ही सत्संग सुनते आ रही होती है तो उसे सब मालूम होता है और जैसे कि नाम की बक्सीश के समय फरमाया जाता है कि भाई आपको इतने समय भजन बंदगी पर बैठना है इतना समय आपको भजन बंदगी को देना है और यही संतमत का असूल है और जिन जिन बातों से परहेज रखने को बोला जाता है उसमें भी हमारी ही भलाई होती है जैसे कि नाम की बख्शीश के समय अक्सर फरमाया जाता है कि भाई मांस शराब आदि का सेवन नहीं करना किसी भी प्रकार का नशा हों हमें उसका सेवन नहीं करना है और ना ही कोई ऐसा काम करना है जो संतमत के खिलाफ हो तो यह बातें नाम की बख्शीश के समय एक अभ्यासी सत्संगी को समझाई जाती है वह बातें सिर्फ कहने के लिए हमें नहीं कही जाती उनके पीछे भी एक गहराई छुपी होती है और उस गहराई को हम में से बहुत ही कम सत्संगी समझ पाते हैं वह हमें ऐसी चीजों का सेवन करने के लिए इसलिए मना करते हैं क्योंकि अगर हम मांस शराब आदि का सेवन करने लग जाएं तो हम इस मार्ग पर नहीं चल सकते इस मार्ग पर हमारी तरक्की नहीं हो सकती क्योंकि यह चीजें हमें ऊपर उठने ही नहीं देती हमें नीचे की तरफ धकेलती रहती है इसलिए अक्सर संत महात्मा हमें ऐसी चीजों का सेवन न करने का उपदेश देते हैं तो जब उस लड़की के ससुराल वाले उसे मांस खाने के लिए कहते हैं तो पहली बार तो वह मना कर देती है क्योंकि उसे संतमत के असूल मालूम होते हैं और वह भजन बंदगी भी कर रही होती है लेकिन कुछ दिनों बाद वह अपने पति के पीछे लग कर इन वस्तुओं का सेवन करना शुरू कर देती है क्योंकि जब उसका पति उसे डॉक्टर के पास लेकर जाता है क्योंकि वह बहुत दुबली पतली होती है जिसकी वजह से उसे गर्भधारण करने में भी मुश्किल आ सकती है तो इस बात की चिंता रखते हुए जब उसका पति उसे डॉक्टर के पास लेकर जाता है तो डॉक्टर उन्हें मांस मछली और अंडे खाने की सलाह देता है ताकि इन चीजों का सेवन करने से शरीर को शक्ति मिल सके शरीर में मोटापा पढ़ सके लेकिन वह उस डॉक्टर की बात सुनकर भी मना कर देती है लेकिन उसका पति उस पर बहुत जोर डालता है और उसे इन चीजों का सेवन करने के लिए मजबूर कर देता है तो वह अपने पति के पीछे लग कर यह सब खाने लगती है और जब वह इन चीजों का सेवन करना शुरू कर देती है तो उससे मालिक की भजन बंदगी भी छूट जाती है तो ऐसे ही कुछ समय और बीत जाता है उस लड़की के धीरे धीरे कर मोटापा पढ़ना शुरू हो जाता है लेकिन उसके बाद ही उसके पेट के अंदर बहुत तेज दर्द होती है और उसका पति उसे हॉस्पिटल दाखिल करवा देता है और जब सारी रिपोर्ट्स आ जाती है तब डॉक्टर उस लड़की के पति को कहता है कि आपकी पत्नी के गालब्लैडर जानी पित्त में पथरिया पड़ी हुई है जिनका निकलना मुश्किल लग रहा है तो हमें आपकी पत्नी का ऑपरेशन करना होगा और आपकी पत्नी का गालब्लेडर हमें निकालना होगा ताकि दोबारा उसके अंदर पथरिया ना पढ़ सके क्योंकि बहुत सारे मरीजों की बार-बार यही शिकायत रहती है कि उनकी पथरियां निकल भी जाती है लेकिन फिर पड़ जाती है तो बेहतर यही होगा कि आपकी पत्नी का गालब्लैडर निकाल दिया जाए ताकि आपको दोबारा से इस मुश्किल का सामना ना करना पड़ सके तो उसका पति डॉक्टरों को उसके ऑपरेशन की इजाजत दे देता है और उस लड़की का ऑपरेशन हो जाता है और उसका गालब्लैडर निकाल दिया जाता है तो जब उसका ऑपरेशन हो जाता है उसके बाद वह रोने लगती है क्योंकि वह दर्द उससे सहन नहीं हो पाता तो उस लड़की की मां भी वहां पर मौजूद होती है और उस समय लड़की की मां उसे समझाती है की बेटी मैंने तो तुझे पहले ही मना किया था कि इन चीजों का सेवन कभी मत करना क्योंकि हमने सतगुरु से यह वादा कर कर ही नाम दान लिया होता है हम सतगुरु से यह वादा करते हैं कि हम ऐसी चीजों का सेवन जिंदगी में कभी नहीं करेंगे लेकिन अगर हम फिर भी इन चीजों का सेवन कर लेते हैं और सतगुरु से किया हुआ वादा तोड़ देते हैं तो उसका हिसाब किताब भी हमें देना पड़ता है बल्कि दो गुना देना पड़ता है क्योंकि जिनको संतमत के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है उनको तो फिर भी माफी मिल सकती है क्योंकि वह अनजान है लेकिन हमें तो सतगुरु ने सब बताया है और अगर हम फिर भी यह गलती करते हैं तो उसके भागीदार भी हम ही बनते हैं इसका बोझ भी हमें ही उठाना पड़ता है जैसे कि अब तुम्हारे साथ हुआ है मैंने तुझे कितना समझाया था कि बेटी इन चीजों का सेवन मत कर भले ही तुम्हारे ससुराल वाले कितना ही जोर क्यों ना डालें लेकिन इन चीजों का सेवन कभी मत करना क्योंकि सतगुरु ने हमें नाम की बख्शीश कर हमारी जिम्मेवारी ली होती है हमारे कर्मों का हिसाब किताब साथ ही साथ होता रहता है ताकि हमें दोबारा से जन्म ना लेना पड़े इसलिए जिनको नाम की बख्शीश हो जाती है उनका हिसाब साथ ही साथ हिसाब होता रहता है उन्हें उसका नतीजा उसी समय भोगना पड़ता है क्योंकि सतगुरु ने यह जिम्मेवारी ली होती है कि हमारे कर्म बाकी ना रह जाए इसी जन्म में हमारे कर्म खत्म हो जाए ताकि वह हमें अपने साथ सचखंड ले जा सके क्योंकि अगर हमारे कर्म बाकी रह गए तो उसका हिसाब किताब देने के लिए हमें दोबारा जन्म लेना पड़ेगा और सतगुरु ऐसा नहीं होने देते इसलिए अक्सर देखा जाता है कि सत्संगियों पर ही इतने दुख आते हैं वह इसलिए होता है क्योंकि उनका हिसाब किताब साथ ही साथ होता रहता है सतगुरु उनके कर्म जल्द से जल्द निपटाने की कोशिश करते हैं इसलिए हमें दुखो का सामना करना पड़ता है लेकिन जिन्हें नाम की बख्शीश नहीं हुई और वह जो कर्म करते हैं उनका हिसाब किताब तो वह इस जन्म में भी देते हैं और अगले जन्म में भी देते रहते हैं लेकिन जब एक अभ्यासी को नाम की बाक्सीश हो जाए तब उसके कर्मों का सफाया जल्द से जल्द होने लगता है जैसा कि अब तुम्हारे साथ हुआ है तुमने मांस आदि का सेवन किया और तुम्हें तुरंत उसका भुगतान करना पड़ा तुम्हारे शरीर का एक अंग निकालना पड़ा तो जब यह बातें वह लड़की अपनी मां के मुख से सुनती है तो उसकी आंखों से आंसू आ जाते हैं और अपनी मां के गले लग कर वह जोर जोर से रोने लग जाती है और अपनी मां से वादा करती है कि वह आज से फिर कभी ऐसी चीजों का सेवन नहीं करेगी और रोजाना मालिक की भजन बंदगी करेगी और अपने किए गए गुनाहों की माफी मांगेगी तो साध संगत जी इस साखी से हमें भी यही प्रेरणा मिलती है कि जब हमें नाम की बख्शीश हो जाए उसके बाद हमें एक एक कदम बहुत ध्यान से रखना चाहिए क्योंकि हमारी एक भी गलती हम पर भारी पड़ सकती है क्योंकि जो अनमोल दौलत सतगुरु ने हमें बक्शी हुई है उसे संभालना हर किसी के बस की बात नहीं है सतगुरु ने हमें उसके लायक समझा है हमारे लिए यही बहुत बड़ी बात है जो वादा हमने नाम की बख्शीश के समय अपने सतगुरु से किया था वह हमें निभाते जाना है और मन पर नियंत्रण रख संतमत के इस मार्ग पर आगे बढ़ते जाना है और फिर एक दिन ऐसा आएगा जब उस मालिक की अपार कृपा हम पर बरस जाएगी और उस दिन हमें यह एहसास होगा कि गुरु क्या है और क्या देता है ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर करना, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके । 

By Sant Vachan


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