सतगुरु कहा करते थे कोई किसी क़दर आदर करें या निंदा करे आदर व स्तुति में खुश नहीं होना और निंदा मे नाराज नहीं होना सदा राजी रहना और मालिक की रजा मे खुश रहना वह जहां भी रखे हमे खुश रहना चाहिए और हमें यह चिंता करनी चाहिए हमारे दिन घडी पहर पल सांस सब गिनती के हैं यह समय फिर से कभी नहीं मिलनेवाला है तो हमें भी भजन का फिक्र करना चाहिए, मन को दुनिया की वासना से निकालकर सुरत को शब्द मे रखना चाहिए और हर वक़्त यही ताकीद है नानक के घर केवल नाम निधान ।
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