साध संगत जी अक्सर फरमाया जाता है कि अपने बच्चों को सत्संग में लेकर आए ताकि उन्हें भी जीवन की समझ आ सके उन्हें भी वह सच्चा ज्ञान हो सके और उनका मार्गदर्शन हो सके क्योंकि आज के समय में मां बाप के पास इतना समय नहीं होता कि वह अपने बच्चों को समझा सके लेकिन बच्चे वही सीखते हैं जो उनके मां-बाप करते हैं बच्चे वही सीखते हैं जो समाज में होता है और उनके आसपास जो घटनाएं घटती बच्चे उसी से प्रभावित होते है तो आज की ये प्यारी सी कहानी इसी पर आधारित है ।
एक बड़ी सी गाड़ी आकर बाजार में रूकी, कार में ही मोबाईल से बातें करते हुयें, महिला ने अपनी बच्ची से कहा, जा उस बुढिया से पूछ सब्जी कैंसे दी, बच्ची कार से उतरतें ही बोली, अरें बुढिया यें सब्जी कैंसे दी ? उसने जवाब दिया 40 रूपयें किलों, तो सब्जी लेते ही, उस बच्ची ने सौ रूपयें का नोट उस सब्जी वाली को फेंक कर दिया, और आकर कार पर बैठ गयी, कार जाने लगी तभी अचानक किसी ने कार के सीसे पर दस्तक दी, एक छोटी सी बच्ची जो हाथ में 60 रूपयें कार में बैठी उस औरत को देते हुये बोलती हैं आंटी जी यें आपके सब्जी के बचें 60 रूपयें हैं, आपकी बेटी भूल आयी हैं, कार में बैठी औरत ने कहा तुम रख लों, उस बच्ची ने बड़ी ही मिठी और सभ्यता से भरी हुई आवाज से कहा, नही आंटी जी हमारें जितने पैंसे बनते थें हमने ले लियें, हम इसे नही रख सकतें, मैं आपकी आभारी हूं, आप हमारी दुकान पर आए, आशा करती हूं की सब्जी आपको अच्छी लगें, जिससे आप हमारी ही दुकान पर हमेशा आए, उस लड़की ने हाथ जोड़े और अपनी दुकान पर लौट गयी....कार में बैठी महिला उस लड़की से बहुत प्रभावित हुई और कार से उतर कर फिर सब्जी की दुकान पर जाने लगी, जैसें ही वह पास गयी, सब्जी वाली अपनी बच्ची को पूछते हुयें कहती है, तुमने तमीज से बात की ना, कोई शिकायत का मौका तो नही दिया ना ? बच्ची ने कहा, हाँ माँ मुझे आपकी सिखाई हर बात याद हैं, कभी किसी बड़े का अपमान मत करो, उनसे सभ्यता से बात करो, उनकी कद्र करो, क्यूकि बड़े बुजर्ग बड़े ही होते हैं, मुझे आपकी सारी बात याद हैं, और मैं सदैव इन बातों का स्मरण रखूगी, बच्ची ने फिर कहा, अच्छा माँ अब मैं स्कूल चलती हूं, शाम को स्कूल से छुट्टी होते ही, दुकान पर आ जाऊंगी....कार वाली महिला ये देखकर शर्म से पानी पानी थी, क्योंकि एक सब्जी वाली अपनी बेटी को, इंसानियत और बड़ों से बात करने शिष्टाचार करने का पाठ सीखा रही थी और वो अपनी बेटी के अंदर छोटा-बड़ा, ऊंच-नीच का बीज बो रही थी..!!
शिक्षा : सबसे अच्छा तो वो कहलाता हैं, जो आसमान पर भी रहता हैं, और जमींन से भी जुड़ा रहता है, बस इंसानियत, भाईचारें, सभ्यता, आचरण, वाणी में मिठास, सब की इज्जत करने की सीख सदैव अपने बच्चो को दीजिए क्योंकि अब बस यहीं पढ़ाई हैं जो आने वाले समय में बहुत ज्यादा मुश्किल होगी ।
साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर कीजिए, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके ।
By Sant Vachan
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