एक बहुत सुंदर साखी । एक सत्संगी लड़की का मोबाइल चार्जिंग पर लगाकर भजन सिमरन पर बैठना ।

 

साध संगत जी यह वार्तालाप एक सत्संग करता और एक सत्संगी महिला की है जब एक सत्संगी महिला एक सत्संग करता से वार्तालाप करते हुए कहती हैं कि मैं स्कूल की प्रिंसिपल हूं और मुझे आज से कुछ साल पहले नाम की बख्शीश हो चुकी है तो मेरे कामकाज ही इतने होते हैं कि मुझे भजन बंदगी के लिए समय नहीं मिल पाता मैं बहुत कोशिश करती हूं लेकिन कोई ना कोई काम मुझे आ पड़ता है

जिसके कारण मुझे समय नहीं मिल पाता और मैं पूरा दिन अपने काम में ही व्यस्त रहती हूं और अब तो मुझे माइग्रेन की बीमारी भी हो गई है क्योंकि बहुत ज्यादा काम पड़ने की वजह से मैं पूरा दिन काम में व्यस्त रहती थी जिस कारण मुझे यह बीमारी हो गई और यह ऐसी बीमारी है जिससे आदमी का सिर इतनी तेजी से दर्द होता है और इतना भयंकर दर्द सिर में होता है कि मानो सिर फटने वाला हो और मेरी इस बीमारी के कारण मैं बहुत परेशान रहती हूं मैंने दवाइयां भी बहुत खाई है लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा इस बीमारी का इलाज सभी यही बता रहे हैं कि हमें अपने दिमाग को रेस्ट देने की जरूरत होती है और हमें दिन में एक घंटा सोने की जरूरत होती है और हमें रात को भी समय पर सो जाना चाहिए तो उनकी इस बात को बीच में ही रोककर सत्संग करता जी कहते हैं कि अगर आपने पहले से ही भजन बंदगी की होती नाम की कमाई की होती तो आपको यह बीमारी आनी ही नहीं थी और आप एक बहुत अच्छी उदाहरण देकर उनको समझाते हैं कि आपके पास फोन है तो वह सत्संगी महिला कहती हैं जी हां ! मेरे पास एक अच्छा स्मार्टफोन है तो सत्संग करता जी कहते हैं कि आप अपने इस फोन से बहुत सारे काम कर लेते होंगे जैसे कि किसी से बात भी हो जाती है हम किसी को कुछ भेजना चाहते हैं वह भी अपने इस स्मार्टफोन के जरिए भेज सकते हैं आजकल सब कुछ इस छोटे से मोबाइल से हो जाता है लेकिन यह चलता कैसे है, बिना बैटरी के तो यह नहीं चल सकता और फिर इसे चार्ज भी करना पड़ता है अगर चार्ज नहीं करेंगे तो इसकी क्या अहमियत है यह खाली डिब्बा रह जाएगा और कुछ नहीं, तो जैसे हमें हर सुबह मोबाइल को चार्ज करना पड़ता है वैसे ही हमें भजन बंदगी के जरिए अपने आपको भी चार्ज करने की जरूरत होती है जिस मस्तिष्क से हम इतना काम लेते है इसको भी चार्ज करने की जरूरत होती है इसलिए फरमाया जाता है कि भाई भजन बंदगी को पूरा समय दो लेकिन हम कह देते हैं जी हम बहुत व्यस्त हैं इसलिए हमें समय नहीं मिल पाता जबकि करना इससे उलट है अगर हम बहुत व्यस्त रहते हैं तो हमें उतना ज्यादा भजन सिमरन करने की जरूरत है क्योंकि व्यस्त रहने का मतलब है कि हमें बहुत काम पढ़ते हैं और उन काम काजो को करने के लिए दिमाग की जरूरत होती है और अपनी दिमागी हालत को ठीक रखने के लिए उतनी ही भजन बंदगी करने की जरूरत है लेकिन हम तो बड़ी आसानी से यह बात कह देते हैं जी हमें समय नहीं मिल पाता आजकल दिमाग से जुड़ी बीमारियां आई ही इसलिए है क्योंकि इंसान ने आज के समय में बहुत तरक्की कर ली है और इंसान का दिमाग व्यस्त रहता है काम काजो में डूबा रहता है इसलिए हमें माइग्रेन हो जाता है डिप्रेशन हो जाता है लेकिन जो पहले समय था उस समय ऐसा नहीं था सीधे-साधे लोग थे और ज्यादा काम भी नहीं होता था और लोग ज्यादा दिमाग भी नहीं लगाते थे तो ऐसी बीमारियां तब नहीं थी लेकिन आज के समय में सब कुछ बदल रहा है संसार तरक्की की राह पर इतना आगे बढ़ चुका है कि वह अपने आपको भूलता जा रहा है और मालिक से दूर होता जा रहा है इसलिए हम पर ऐसी बीमारियां आती है तो उनकी ये बात सुनकर वह सत्संगी महिला समझ गई थी कि वह मुझे क्या समझाना चाहते है उन्हें यह बात अच्छे से समझ आ गई थी की भजन बंदगी हमारे लिए कितनी जरूरी है और वह यह भी जान चुकी थी कि भजन बंदगी हम केवल आत्मा के लिए ही नहीं करते बल्कि इसका फायदा हमारे शरीर को भी है हमारा स्वास्थ्य भी इससे जुड़ा हुआ है तो उन्हें इस बात का ज्ञान होता है कि सतगुरु भी अक्सर सत्संग में फरमाया करते हैं कि अगर हम मालिक की भजन बंदगी करेंगे तो मालिक हमारा परमार्थ भी बनाएगा और हमारा स्वार्थ भी वह सवार देगा, स्वार्थ से उनका मतलब है कि इस संसार में हम जो भी करते हैं हमारा जो भी वजूद है मालिक उसको भी कायम रखता है उसकी भी संभाल करता है और अंदर आत्मा की संभाल तो वह करता ही आत्मा का मार्गदर्शन तो वह करता ही है उसके साथ साथ बाहर भी हमारा मार्गदर्शन करता है और अंदर भी हमारी संभाल करता है तो साध संगत जी उसके बाद आप जी कहती है कि मैं जब भी अपने फोन को चार्ज करने लगती हूं तो वह बातें मुझे याद आ जाती है जो सत्संग करता जी ने मुझे समझाई थी और मै उनकी बात मानकर रोजाना भजन बंदगी भी कर रही हूं तो साध संगत जी इस साखी से हमें यही प्रेरणा लेनी चाहिए कि हमें भी मालिक की भजन बंदगी के लिए समय निकालना है और बिना नागा उसकी भजन बंदगी करनी है ।

शिक्षा : जैसे एक मोबाइल को हम अपने काम काजो के लिए चार्ज करते हैं हर सुबह उसे चार्जिंग पर लगाते हैं वैसे ही हमें भी चार्ज होने की जरूरत होती है और वह चार्ज होना भजन बंदगी है नाम की कमाई है जिससे मालिक हमें इतनी ताकत देता है कि हम दुनिया के कामकाज आसानी से कर लेते हैं और हमें कोई तकलीफ भी नहीं होती ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर कीजिए, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके । 

By Sant Vachan


Post a Comment

0 Comments