साथ संगत जी यह साखी सतगुरु महाराज जी के समय की है और आज की ये साखी सुनकर हमें ये विश्वास होगा की सतगुरु कोई देह नहीं होते वह तो शब्द स्वरूप होते हैं और केवल वही सत्संगी उन्हें समझ सकता है जो उनके हुक्म अनुसार रोजाना भजन बंदगी करता है ।
साध संगत जी बात उस समय की है जब महाराज जी हुआ करते थे और अमेरिका से एक डॉक्टर जिसका नाम डॉक्टर जॉनसन था वह भारत आया हुआ था उस समय में उसने बहुत सारी पढ़ाई कर रखी थी बहुत सी डिग्रियां उसके पास थी तो जब वह भारत आया यहां आकर उसने घूमना शुरू कर दिया, भारत आकर वह सभी धार्मिक स्थानों पर गया और भारत के सभी धर्मों के बारे में जानने की कोशिश की और वह यीशु मसीह को मानता था और उन्हीं का प्रचार करता था तो जब सभी धार्मिक स्थान घूमते घूमते हुए अमृतसर आ पहुंचा तो यहां आकर उसने किसी व्यक्ति से पूछा कि यहां पर कोई ऐसा व्यक्ति है जो मेरे साथ धार्मिक चर्चा कर सकें क्योंकि हम यीशु को मानते हैं और वही सबका दाता है क्योंकि प्रभु जीसू ने अपने आप को उसका बेटा कहां है उस व्यक्ति ने उसे सतगुरु महाराज जी के पास जाने की सलाह दी कि आप उनके पास जाओ वह आपके साथ धार्मिक चर्चा कर सकते हैं आपके प्रश्नों के जवाब दे सकते हैं तो जब वह उनके पास गया तो उसने वहां पर देखा कि यहां पर इतनी संगत सेवा कर रही है और इतने लोग इन को मानते हैं तो वहां पर उसने एक सेवादार से कहा कि मुझे आपके गुरु से मिलना है और मैं अमेरिका से आया हूं तो जब उसकी मुलाकात सतगुरु महाराज जी से हुई तो उसने सतगुरु से कहा कि मैं प्रभु यीशु को मानता हूं और उसी में विश्वास रखता हूं क्योंकि हमारा प्रभु जीसू अंधों को आंखें देने वाला है तो सतगुरु महाराज जी ने उसकी यह बात सुनकर कहा कि मैं भी वही काम करता हूं लेकिन मैं अंदर की दृष्टि प्रदान करता हूं अंदर की आंखें खोलने के लिए कहता हूं तो उसने सतगुरु से कहा कि मैं आपकी बात समझा नहीं कृपया विस्तार से बताएं आप क्या कहना चाहते है तो सतगुरु महाराज जी ने उसके सिर पर हाथ रखा और अंदर उसे सब दिखाई पड़ा उसने देखा कि महाराज जी का सिर सचखंड में है और पाव पताल में है और यह देखकर वह हैरान हो गया कि पूरा का पूरा ब्रह्मांड सतगुरु में समाया हुआ था तो ये दृश्य देखकर उसने एकदम से अपनी आंखें खोली और सतगुरु के चरणों पर गिर पड़ा और उसने सतगुरु से नाम लेने की इच्छा जाहिर की तो उसे नाम दान की बख्शीश हो गई और फिर वह वही रहने लग गया वहीं पर सतगुरु की सेवा में लीन हो गया फिर वह वापस अमेरिका नहीं गया उसने अपनी पूरी जिंदगी गुरु कर की सेवा में लगा दी ।
साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर कीजिए, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके ।
By Sant Vachan
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