"गुरु बिन कोई नहीं अपना" सारी दुनिया पर नजर डालकर देखेँ, यहां अपना कौन है ? अपना तो वही है जो यहां भी अपना हो और मौत के बाद भी अपना हो, जिनको हम अपना समझते हैं, वे तो हमारे जीते जी हमें आंखें दिखा देते हैं, हमारे जीते जी हमेँ छोड़कर चले जाते हैं, मौत के बाद वे हमारी क्या सहायता करेंगे ? हमारा अपना सिर्फ एक सतगुरु है जिसका केवल एक ही हुकम है नाम की कमाई, शब्द की कमाई ।
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