जब सत्संगी की आत्मा उसके शरीर को छोड़ देती है तब गुरु और काल की वकालत होती है काल गुरु से कहता है कि आपकी इस आत्मा ने नाम तो लिया लेकिन मन से भजन नहीं किया और गुरु कहता है कि उससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि मन तो तेरा है और आत्मा मेरी है साध संगत जी इसलिए सतगुरु अपने सत्संग में अक्सर फरमाते हैं कि मन लगे या ना लगे लेकिन भजन पर बैठो जरूर ।
ऐसे ही रूहानी विचार रोजाना सुनने के लिए, नीचे अपनी E- Mail डालकर, वेबसाइट को सब्सक्राइब कर लीजिए ताकि हर नई पोस्ट की नोटिफिकेशन आप तक पहुंच सके ।
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box.