जब भी भजन पर बैठो तो शरीर का शुद्धिकरण करकर बैठो क्योंकि अगर शरीर शुद्ध होगा तो मन का शुद्धिकरण करने में आसानी होगी और सतगुरु कहा करते थे अगर शरीर पवित्र होता है
तो नाम या शब्द की कमाई करने से होता है क्योंकि शब्द की कमाई करने से अंदर परमात्मा प्रत्यक्ष हो जाता है और अगर अंदर परमात्मा प्रत्यक्ष नहीं हुआ तो यह शरीर पवित्र नहीं बल्कि मैल यानी गंदगी की एक गठरी के अलावा और कुछ नहीं है जिसकी शुरुआत एक कतरा पानी से होती है और अंत मुट्ठी भर राख से होता है ।
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